मुट्ठीमे
भोर अछि
(गीत)
भरि गाम चोरे, तऽ
चोर कहू ककरा ।
कोतवालो सएह तखन सोर करू ककरा ।।
छोट माँछ, पैघ मांछ
आर बहुत पैघ माँछ
छोट जाल, महाजाल
आर महा - महाजाल
गुम्म छी
जे बंसी आ बोर कहू ककरा ।
भरि गाम चोरे, तऽ
चोर कहू ककरा ।।
छोट बाँस, पैघ बाँस
बीस आ उनैस बाँस
लहकि रहल, महकि रहल
फूलि रहल साँस - साँस
सभ लोक पैघे तऽ
थोड़ कहू ककरा ।
भरि गाम चोरे, तऽ
चोर कहू ककरा ।।
भेटि गेल कारा
ढेकार हम करैत छी
छी बिलाइ, मूस केर
शिकार हम करैत छी
सभ मुँह कारी तऽ
गोर कहू ककरा ।
भरि गाम चोरे, तऽ
चोर कहू ककरा ।।
जे भेलैक, से भेलैक
आब तेना नै हेतै
हाथ हो मशाल तऽ
अन्हार कोना नै जेतै
मुट्ठीमे भोर अछि खोलि देखू तकरा ।
भरि गाम चोरे, तऽ
चोर कहू ककरा ।।
( प्रकाशित
: मैथिली पत्रिका देशज २००१ )
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