Friday 27 January 2012

रूपांतरण

                                   
रूपांतरण
(कविता)



हमरा मोनमे नचैत रहैत अछि ---
          ब्लैक मार्केटिंग क लाखो रुपैया
          एकटा   एमबैसेडर           कार
          एकटा       पानासोनिक रेडियो
          एकटा           खूब सुन्दर पार्क
          आ ---   दू बोतल शराब !

हम तीनमंजिला सं उतरि
         बैसैत  छी                  कारमे
         जे द्रुत गतिसँ             दौडेत
         ल जाइत अछि           हमरा
दूर---दूर ---            एकटा पार्कमे !
        बहि रहल अछि मंद-मंद पवन
        पसरि रहल अछि कामिनीक सुगन्धि
        बाजि रहल अछि रेडियो
        नाचि रहल अछि सगरो संसार
        , हाथमे नेने दू बोतल शराब
        ठाढ अछि आगांमे
        इन्द्र लोकक परी-सन
एकटा ---एकटा ----जुआएल नर्तकी !
        कल्पनाक एही क्रम मे
        भ जाइत अछि मुनहारि साँझ,
        आब हमर भक्क टूटैछ
        आबि जाइछ  हमरामे क्रियाशीलता
        लगैत अछि नर्तकीक बाहुपाश
        एकटा लेपटाएल गहुमन साँप जकाँ
        रेडियो क आवाज लगैछ
        जंगल मे चिकडेत
        कोनो हुराढ़क स्वर जकाँ
        आ सम्पूर्ण पार्क
एकटा --एकटा मरुभूमि जकाँ !
        हम एकटा गहुमन  सं हाथ छोड़ाए
        एकटा हुराडसं त्रस्त भेल
        भाग लगैत छी ओहि मरूभूमि सं
अपन---- अपन डेरा दिशि !
        छुइट जाइछ हमर रेडियो आ कार
        छुइट  जाइत अछि मेन पीच रो ड
        आ हम अफस्यांत भेल
        जा रहल छी
एकटा -- एकटा एकपेरिया धेने !
       गुजगुज अन्हारमे 
       हम ताक लगैत छी
       अपन बामा आ दहिना
       सभ तरि देखैत छी
       टूटल-फाटल छोट -छीन घर
       भुकभुक करैत एकटा डिबिया
       ओसारा पर बैसल एकटा नर -कंकाल
       जकरा देहसँ टप-टप
       चूबि रहल छै घाम, किन्तु
       राखल छै हाथमे
       सुखाएल - टटाएल
एकटा ------एकटा रोटीक टुकड़ी !
       हमरा लगैछ जेना आबि गेल होइ
       कोनो देवताक लोकमे
       हम देखैत छी ओकर आँखिक नोर
       हम जाइत छी ओकरा लगमे
      सटा लैत छी ओकरा अपन छाती सं
      आ हम सोच लगैत छी
      इहो तं
हमर----हमर भाइए थिक !
       हमरा होम लगैछ अपनेसँ घृणा
       टप -टप चूअ  लगैछ
       पश्चातापक नोर
       दहा जाइत अछि मोन सं
       पूंजीबादक सभटा बिकार
       आ जातिबादक सभटा पाप
         आब हमरा लगैछ जेना
       दानव सं देवतामे
       भ गेल होअए
हमर ----हमर रूपान्तरण |






( प्रकाशित : वैदेही ७२ / पेज ८ -९ -१२   )









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