रूपांतरण
(कविता)
हमरा
मोनमे नचैत रहैत अछि ---
ब्लैक
मार्केटिंग क लाखो रुपैया
एकटा एमबैसेडर
कार
एकटा पानासोनिक
रेडियो
एकटा
खूब सुन्दर पार्क
आ --- आ , दू बोतल
शराब !
हम
तीनमंजिला सं उतरि
बैसैत छी
कारमे
जे द्रुत
गतिसँ दौडेत
ल जाइत
अछि
हमरा
दूर---दूर
---
एकटा पार्कमे !
बहि रहल
अछि मंद-मंद पवन
पसरि रहल
अछि कामिनीक सुगन्धि
बाजि रहल
अछि रेडियो
नाचि रहल
अछि सगरो संसार
आ, हाथमे नेने दू बोतल शराब
ठाढ अछि
आगांमे
इन्द्र
लोकक परी-सन
एकटा
---एकटा ----जुआएल नर्तकी !
कल्पनाक
एही क्रम मे
भ जाइत
अछि मुनहारि साँझ,
आब हमर
भक्क टूटैछ
आबि जाइछ हमरामे
क्रियाशीलता
लगैत अछि
नर्तकीक बाहुपाश
एकटा
लेपटाएल गहुमन साँप जकाँ
रेडियो क
आवाज लगैछ
जंगल मे
चिकडेत
कोनो
हुराढ़क स्वर जकाँ
आ
सम्पूर्ण पार्क
एकटा
--एकटा मरुभूमि जकाँ !
हम एकटा
गहुमन सं हाथ
छोड़ाए
एकटा
हुराडसं त्रस्त भेल
भाग लगैत
छी ओहि मरूभूमि सं
अपन----
अपन डेरा दिशि !
छुइट
जाइछ हमर रेडियो आ कार
छुइट जाइत अछि
मेन पीच रो ड
आ हम
अफस्यांत भेल
जा रहल
छी
एकटा --
एकटा एकपेरिया धेने !
गुजगुज
अन्हारमे
हम ताक
लगैत छी
अपन बामा
आ दहिना
सभ तरि
देखैत छी
टूटल-फाटल
छोट -छीन घर
भुकभुक
करैत एकटा डिबिया
ओसारा पर
बैसल एकटा नर -कंकाल
जकरा
देहसँ टप-टप
चूबि रहल
छै घाम, किन्तु
राखल छै
हाथमे
सुखाएल -
टटाएल
एकटा
------एकटा रोटीक टुकड़ी !
हमरा
लगैछ जेना आबि गेल होइ
कोनो
देवताक लोकमे
हम देखैत
छी ओकर आँखिक नोर
हम जाइत
छी ओकरा लगमे
सटा लैत
छी ओकरा अपन छाती सं
आ हम सोच
लगैत छी
इहो तं
हमर----हमर
भाइए थिक !
हमरा होम
लगैछ अपनेसँ घृणा
टप -टप
चूअ लगैछ
पश्चातापक
नोर
दहा जाइत
अछि मोन सं
पूंजीबादक
सभटा बिकार
आ
जातिबादक सभटा पाप
आ आब हमरा
लगैछ जेना
दानव सं
देवतामे
भ गेल
होअए
हमर
----हमर रूपान्तरण |
( प्रकाशित : वैदेही ७२ / पेज ८ -९ -१२ )
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