हम मिथिला
केर छी, मैथिल छी
(गीत)
की
हिन्दू आ की मुसलमान
एके
शोणित, एके परान
मिथिलाक
माटि पर रहनिहार
बस, एक बात हम मानै छी,
हम
मिथिला केर छी, मैथिल छी ।
मन्दिर
पूजी, मस्जिद पूजी
प्रार्थना
करी आ नमाज पढ़ी
गीता
पढ़ि ली आ कुरान पढ़ी
अल्लाह
कही, सियाराम कही
पोथी
अनेक अछि, सूत्र एक
बस, एक मण्त्र हम जानै छी
हम
मिथिला केर छी, मैथिल छी ।
सभकेँ
भेटइ रोजी – रोटी
आ
सभहक वाणी केँ आदर
सभहक
चलबा ले’ बाट रहय
नहि
बाट रहय एत्ते पातर
हम सभ
सिनेह केर भूखल छी
हम
एतबहि सभदिन माँगै छी
हम
मिथिला केर छी, मैथिल छी ।
हम
मैथिल छी, हम भारत केर
भारतक
करेजा केर टुकड़ी
देशक
माला केर एक फूल
ई बात
ने कहियो हम बिसरी
आजादी
देशक, प्राण हमर
से सभ
दिन सँ हम मानै छी
हम
मिथिला केर छी, मैथिल छी ।
“मिथिला दर्शन” , सितम्बर – अक्टूबर २०११, वर्ष
५९, अंक ५, पृष्ठ ३९ पर प्रकाशित ।
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