Tuesday 24 January 2012

हम मिथिला केर छी, मैथिल छी



हम मिथिला केर छी, मैथिल छी
(गीत)


की हिन्दू आ की मुसलमान
एके शोणित, एके परान
मिथिलाक माटि पर रहनिहार
बस, एक बात हम मानै छी,
हम मिथिला केर छी, मैथिल छी ।

मन्दिर पूजी, मस्जिद पूजी
प्रार्थना करी आ नमाज पढ़ी
गीता पढ़ि ली आ कुरान पढ़ी
अल्लाह कही, सियाराम कही
पोथी अनेक अछि, सूत्र एक
बस, एक मण्त्र हम जानै छी
हम मिथिला केर छी, मैथिल छी ।

सभकेँ भेटइ रोजी रोटी
आ सभहक वाणी केँ आदर
सभहक चलबा लेबाट रहय
नहि बाट रहय एत्ते पातर
हम सभ सिनेह केर भूखल छी
हम एतबहि सभदिन माँगै छी
हम मिथिला केर छी, मैथिल छी ।

हम मैथिल छी, हम भारत केर
भारतक करेजा केर टुकड़ी
देशक माला केर एक फूल
ई बात ने कहियो हम बिसरी
आजादी देशक, प्राण हमर
से सभ दिन सँ हम मानै छी
हम मिथिला केर छी, मैथिल छी ।



मिथिला दर्शन” , सितम्बर अक्टूबर २०११, वर्ष ५९, अंक ५, पृष्ठ ३९ पर प्रकाशित ।

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