Saturday 11 February 2012

किछु नै भेल

                       
किछु नै भेल








मोटका - मोटका पोथी पढ़लहुँ,
पोथी  केर सभ पन्ना रटलहुँ,
से सभ रटि क किछु नै भेल |

पहिने  जोड़ी जोड़ दशमलव
आब जोड़ै छी नून आ तेल ||  मोटका - मोटका पोथी .....



कनिएँ  बढ़लौं  तऽ  बूझ  लगलौं,
की थिक भाषण, की थिक शासन ।
आब  तऽ भरि  दिन  इएह बुझै छी,
की थिक  बासन  की थिक रासन ।

पहिने हाथ रुमाल रहै छल
आब  हाथमे  झोड़ी  लेल ||  मोटका - मोटका पोथी .....



पहिने   मोन  रहय  जीहे  पर,
कहिया  कतऽ   कथीक  चुनाव 
आब  तऽ भरि  दिन मोन रहैए,
चाउर – दालि - आँटा केर भाव ।

पहिने हाथ मे कलम रहै छल
आब हाथ मे छओ नमरी * लेल ||  मोटका - मोटका पोथी .....



 पहिने  रहय  प्रवल   जिज्ञासा,
के छथि  कोन  दलक लीडर
आब करै छी कोशिश चीन्हक,
के छथि  मुखिया  के  डीलर

पहिने हमहूँ खेली फगुआ
आब मात्र खेली धुरखेल ||  मोटका - मोटका पोथी .....



पहिने पढ़लौं “क्या और कहाँ” मे,
सोना - चानीक   कत  खान
आब  जनै  छी   कत   कतऽ,
सरकारी     कोटक    दोकान
पहिने खेली खेल ताश केर
आब खेलै छी कर्मक खेल || मोटका - मोटका पोथी .....



पहिने  छल   डीग्रीक  सेहन्ता,
आब अछि नोकरी  केर चिन्ता
खेतो सब अछि पड़  गेल भरना,
बिका गेलनि कनियाँ केर गहना

हम छगुन्तामे पड़ले छी
हे परमेश्वर ई की भेल ?  मोटका - मोटका पोथी .....



पहिने विपत्ति पड़इ  तऽ लोकक,
मदति  करैत     छला  भगवान
आब कतबो हर-हर बम-बम कहू,
देथि ने  शिवशंकर  जी ध्यान

आइ कृष्ण गोवर्धनधारीक
चक्र - सुदर्शन कत्त गेल ?  मोटका - मोटका पोथी .....






* छओ नमरी = पहिने छओ नम्मर केर कोदारि अबैत छल ।


( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह 'तोरा अँगना मे'क गीत क्र. २० )
संगहि “गीतक फुलवारी” मे सेहो प्रकाशित ।


      



No comments:

Post a Comment