आइ ने छोड़ब
आइ ने छोड़ब,
आइ
ने छोड़ब, भौजी
लेपब
गाल मे लाल अबीर |
भैया
जँ कतबो तमसेता,
कऽ
लेब कान बहीर || भौजी
......
फगुआ खेलथि श्रीकृष्णजी,
गोपी सबहक संग |
मिथिला केर अछि फगुआ नामी,
दियर - भाउज केर संग || भौजी ........
फगुआ
मे होइते अछि अहिना,
व्यर्थ
करै
छी लाज |
आजुक
दिन रहिते अछि सभठाँ,
दियर
– भाउज केर राज || भौजी .......
नवकी भौजी पाबि अहाँ सन,
हम सभ भेलौं नेहाल |
बरख दिन केर बाद ई अवसरि,
आओत परुकेँ साल || भौजी .......
भौजी
केहनो हो लजबिज्जी,
हम
सभ आइ ने छोड़ी |
दियर-भाउज
केर बीच होइछ ,
ई
पावनि
प्रेमक
डोरी || भौजी .......
( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह 'तोरा अँगना मे'क गीत क्र. १८ )
संगहि “गीतक फुलवारी” मे सेहो
प्रकाशित ।
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