Saturday 11 February 2012

आइ ने छोड़ब

                                                 

आइ ने छोड़ब

फगुआ खेलथि श्रीकृष्णजी, गोपी सबहक संग |
मिथिला केर अछि फगुआ नामी, दियर - भाउज केर संग ||





 भौजी
आइ  ने  छोड़ब,


आइ   ने    छोड़ब,   भौजी
लेपब गाल मे लाल अबीर |
भैया  जँ  कतबो  तमसेता,   
  लेब  कान   बहीर    ||  भौजी ......



फगुआ   खेलथि   श्रीकृष्णजी,
गोपी      सबहक      संग |
मिथिला केर अछि फगुआ नामी,
दियर - भाउज    केर   संग ||  भौजी ........



फगुआ मे  होइते अछि अहिना,
व्यर्थ    करै   छी     लाज |
आजुक दिन रहिते अछि सभठाँ,
दियर – भाउज   केर    राज ||  भौजी .......



नवकी  भौजी पाबि अहाँ  सन,
हम   सभ   भेलौं    नेहाल |
बरख दिन केर बाद ई अवसरि,
आओत     परुकेँ     साल  ||  भौजी .......

            
     
भौजी  केहनो हो लजबिज्जी,
हम  सभ  आइ  ने  छोड़ी |
दियर-भाउज केर बीच होइछ ,
ई   पावनि   प्रेमक   डोरी ||  भौजी .......





( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह 'तोरा अँगना मे'क गीत क्र. १८ )
 संगहि “गीतक फुलवारी” मे सेहो प्रकाशित ।


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