की भेटल आ की हेरा गेल ( आत्म गीत )
(१)
एक दिन बीतल कए दिन बीतल
एक युग बीतल कए युग बीतल
कएटा वसंत भादो बनिक'
अछि समय सिन्धुमे समा गेल
हम सोचि रहल छी जीवनमे
की भेटल आ की हेरा गेल |
(२)
जीवन केर आंगनमे वसंत
आयल कहियो हंसिते-हंसिते
किछु कोंढ़ी छल से फूल बनल
झरि गेल मुदा छुबिते-छुबिते
गुन-गुन करइत मोनक भमरा
कांटेक दोगमे घेरा गेल
हम सोचि रहल छी जीवनमे
की भेटल आ की हेरा गेल |
(३)
सपना पाहुन बनि क आयल
तन्नुक सन निन्नक आंगनमे
ओ फूल जे माला बनि ने सकल
छिड़िआयल सुधिकेर काननमे
से टीस ह्रदयमे अछि एखनहुँँ
किछु तप्पत सन किछु सेरा गेल
हम सोचि रहल छी जीवनमे
की भेटल आ की हेरा गेल |
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