Thursday 26 August 2021

किछु एहने-सन लागि रहल अछि


किछु एहने-सन लागि रहल अछि

किछु एहने-सन लागि रहल अछि
चोरे जोर सं बाजि रहल अछि |

रहता लाखो युवक  कुमारे
सएह जमाना आबि रहल अछि |

दुलहा आ दुलहिन उदास छथि
वरियाती टा नाचि रहल अछि |

जकर मूँह चिन्है छै बारीक
वएह मुंगबा  पाबि रहल अछि |

ककरहु ले’ मुनहारि साँझ ई
कियो पराती गाबि रहल अछि |

एहि भीड़मे चीन्हब मोसकिल
कंठ ककर के दाबि रहल अछि |

की भेटल आ की हेरा गेल

की भेटल आ की हेरा गेल ( आत्म गीत )


                    (१)
एक दिन बीतल कए दिन बीतल
एक युग बीतल कए युग बीतल

कएटा वसंत            भादो बनिक'
अछि समय   सिन्धुमे समा गेल
हम सोचि       रहल छी जीवनमे
की भेटल        आ की हेरा गेल |

                    (२)
जीवन केर          आंगनमे वसंत
आयल कहियो       हंसिते-हंसिते
किछु कोंढ़ी छल से फूल बनल
झरि गेल मुदा      छुबिते-छुबिते

गुन-गुन  करइत मोनक भमरा
कांटेक दोगमे               घेरा गेल
हम सोचि रहल छी      जीवनमे
की भेटल       आ की हेरा गेल |
                   (३)
सपना पाहुन बनि क    आयल
तन्नुक सन निन्नक आंगनमे
ओ फूल जे माला बनि ने सकल
छिड़िआयल सुधिकेर  काननमे 

से  टीस  ह्रदयमे  अछि  एखनहुँँ  
किछु तप्पत सन  किछु सेरा गेल 
हम  सोचि रहल छी      जीवनमे
की  भेटल       आ  की हेरा गेल |




देखने छी

                      देखने छी 

 नाव   कागतक   बना-बनाक'   देखने   छी 

और   पानिमे   चला-चलाक'    देखने   छी 


अपन   दृष्टिसं    देखै   छी  हम दुनियाँकें 

माँ    सीतोकें    कना-कनाक'    देखने छी 


जिनगी   भरि   चालनिमे  पानि भरैत रहू 

खूब    पमरिया    नचा-नचाक' देखने छी 


प्रश्न   सभक   छै हमरा खातिर की केलौं 

पेट   काटिक'    बचा-बचाक'  देखने  छी 


सुखं नहि कीनल जा सकैत अछि टाकासं 

चारू    हाथें   कमा-कमाक'   देखने   छी 


के   ककरा   मोजर   दै   छै  ऐ  दुनियाँमे 

अहूँ  त   हड्डी    गला-गलाक'  देखने  छी 


ईर्ष्या क्रोध कपट आ निन्दा सभ ओहिना 

हम   गंगहुमे   नहा-नहाक'   देखने   छी 


बहुत कठिन छै जगाक' राखब जागलकें 

हम   अपनहुकें   जगा-जगाक'  देखने छी 


पाथर   पर नहि दूभि जनम लै छै कहियो 

पानि    करीने    पटा-पटाक'   देखने   छी 


बिनु   तप  केने  पौलक नहि वरदान कियो 

हमहूँ     सपना   सजा-सजाक'   देखने छी 


सबहक   छातीमे   धधकै  छै  आगि  बहुत 

हम    करेजसं   सटा-सटाक'   देखने    छी 


अनिलक धन थिक गीत गजल कविता दोहा 

से   सभटा   हम   लुटा-लुटाक'  देखने   छी