सऽमधि
एला बनि-ठनि कऽ
सऽमधि एला बनि
- ठनि कऽ
धोती - कुरता
पहिरि कऽ
एला डहकन सुनऽ
बेटाके बियाहमे |
हम सब
करै छी पुछारि
बाजू गीत सुनब कि
गारि
आ कि उलहन सूनब बेटाके बियाहमे |
ककरा सँ
माँगि कऽ धोती पहिरलौं
ककरा सँ लेलियै कुरता,
ककरा सँ
लेलियै पाग आ मिरजइ
ककरा सँ लेलियै डोपटा,
के..हेन अछि छोटका ख..न..दान *
घिने..लौं मुइलो बापक
नाम
तेँ तँ उलहन दै छी बेटाके
बियाहमे |
लाजो ने
भेल जे टाका गनेलियै
बेटाकेँ बेचि
कऽ खेतो किनलियै
कहू तँ
कारी - चून लगा दी
अहाँ
केँ गदहा पर बैसा दी
गामक परिछन करब बेटाके बियाहमे |
पएरमे बेमाए अछि फाटल
तँ कोना
कऽ एलियै यौ बूढ़ा,
दाँत अछि एको ने बाँचल
तँ कोना चिबेलियै मूड़ा,
अजगुत लऽगैए गे दाइ !
बुढ़बा टुप -
टुप खेने जाइ !
बुढ़बा मारल जेतै बेटाके
बियाहमे |
* छोटका ख..न..दान = छोट / निकृष्ट विचारधारा बला खनदान = एहि पाँतिक
जातिगत वर्गीकरण सँ कोनहु लेन – देन नञि थिक
( रचना
: १९७६ : शशिकान्तजी - सुधाकान्तजी द्वारा विभिन्न मंच पर प्रस्तुत कयल गेल )
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