बाबू रे बाबू
बेर - बेर पूछै छथि
कनियाँ, धेलियै कतऽ रुपैया यौ ।। |
माए
केर मुँह मे बाबू रे बाबू !
बहिनिक
मुँह
मे भैया यौ ।
बेर - बेर पूछै छथि
कनियाँ,धेलियै कतऽ रुपैया यौ ।। माए केर मुँह मे.........
भऽ अति चिंतित माए पुछैत’छि,
बौआ
बड़ दुबराएल लगै छऽ ।
सभ
टा
झंझट हटबे करतै,
एते
किए घबड़ाएल लगै
छऽ
।
हरथुन सभ दुःख
भोला दानी ,हरथुन कृष्ण - कन्हैया हौ ।। माए केर मुँहमे.......
घटले
रहइन हिनका सभ
दिन,
साबुन
तेल आ चोटी ।
कखनो
जा कऽ बैग तकै छथि,
ताकि अबै छथि जेबी
।
भऽ
निरास माछी सन भन – भन,करइछ बिढ़नी दैया यौ ।। माए केर मुँहमे.........
तैखन
बुचिया 'माँ
- माँ ' बाजलि,
लोहछलि
माँ दू - चाट लगाओल ।
सासु
बेचारी जँ किछु
बाजलि,
सभ
बिक्ख ओकरे पर
झाड़ल ।
हम गुम्म छी,
सोचि रहल छी,आयल केहन समैया यौ ।। माए केर मुँहमे.........
भानस
छोड़ि कऽ भगली कनियाँ,
ठोकि
केबाड़ खाट धऽ
लेलनि ।
भऽ
उदास माए हारि - थाकि कऽ,
भनसा
- घर केर बाट पकड़लनि ।
भानस बनल - कियो नञि
खेलक,खा गेल सऽभ बिलैया यौ ।। माए केर मुँहमे.......
मोन
पड़ैत'छि हिनकर चिट्ठी,
लिखलनि
जे “श्री प्राणनाथ जी” ।
एना
किएऽ हमरा बिसरल छी,
से
पढ़लौं आ इहो देखइ छी ।
पति - पत्नी केर बीच
आबि कऽ,सौतिन बनल रुपैया यौ ।। माए केर मुँहमे.........
भारी
संकट मे पड़ि गेलौं,
एक
दिस घर आ एक दिस कनियाँ ।
तीत
– मीठ्ठ अनुभव करइत छी ,
माए
केर ममता, बहु
केर दुनियाँ ।
सोचि रहल छी एना कते
दिन,चलतै जीवन – नैया यौ ।। माए केर मुँहमे.........
( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह 'तोरा अँगना मे' केर गीत क्र. २८ )
संगहि “गीतक फुलवारी” मे सेहो प्रकाशित ।
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