सासु - पुतोहु मे
सासु - पुतोहु मे, भोरे - भोरे झगड़ा भेलै हे ।। |
सासु - पुतोहु मे,
भोरे
- भोरे झगड़ा भेलै हे ।।
बाजलि सासु, उठू यै कनियाँ,
आङन - घऽर बहारू ।
थारी - पीढ़ी धोउ - माँजू ,
आ चिल्ह्का अपन सम्हारू।
रौदक धाही आयल आङन,
आबहु सीड़क टारू ।
कनियाँ
आँच पजारू हे !!
.........
अँइठति-जुइठति बाजलि कनियाँ,
ई थिक कोन रेबाज ।
बुढ़िया बोरसि सेबनहि रहतै,
कनियाँ करतै काज ।
हम उठब, ई बैसले रहती ,
बड़बड़ाइत भरि काबू ।
हमहूँ
पड़ले रहबै हे ।। ......
बुढ़िया बाजलि हमरा सोझाँ,
के कल्ला अलगाओत ।
मुसरी झा केर बेटी,
हमरे पर आनि बघारत ।
हमरा पर जे आँखि गुड़ारत,
तकरा सऽख धऽ डाहब ।
छाउर
लगा जीह घीचब हे ।। ..........
फाँड़ बान्ही कऽ बाजलि कनियाँ,
आब ने एक्को सहबनि ।
मूँह सम्हारथु, नै तऽ एकटा -
कहती, दस टा कहबनि ।
अपना सँयके हमहूँ दुलारू,
हम कथी केर सहबनि ।
हमहूँ
सभ किछु कहबनि हे ।। ..........
सगर टोल दलमललित भऽ गेल,
पसरल घोल – फचक्का ।
अढ़े - घाटे देखि रहल छल ,
चुगिला – चोर - उचक्का ।
दरबज्जा सँ दौड़ल आयल ,
बुढ़बा आर जुअनका ।
झगड़ा
बढ़िए गेलै
हे ।। .........
बाप-बेटा निज लोकक खातिर,
केलनि हल्ला – गुल्ला ।
पञ्च एला, पञ्चैती केलनि,
कात करौलनि चूल्हा ।
बूढ़ी धेलनि महीसक छोहरि,
कनियाँ धेलनि चरखा ।
जुअनका
मटकी मारै हे ||.......
( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह 'तोरा अँगना मे'क गीत क्र. २६ )
संगहि “गीतक फुलवारी” मे सेहो प्रकाशित ।
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