Thursday, 16 February 2012

सासु - पुतोहु मे

                           
सासु - पुतोहु मे



सासु - पुतोहु मे,
भोरे - भोरे झगड़ा भेलै हे ।।




सासु - पुतोहु मे,
भोरे - भोरे झगड़ा भेलै हे ।।




बाजलि सासु, उठू यै कनियाँ,
आङन  -  घऽर     बहारू
थारी - पीढ़ी     धोउ - माँजू ,
 चिल्ह्का अपन सम्हारू।

रौदक धाही  आयल  आङन,
आबहु     सीड़क    टारू
कनियाँ  आँच  पजारू हे !! .........




अँइठति-जुइठति बाजलि कनियाँ,
ई    थिक    कोन    रेबाज
बुढ़िया  बोरसि  सेबनहि  रहतै,
कनियाँ     करतै     काज ।

हम  उठब,  ई  बैसले  रहती ,
बड़बड़ाइत    भरि     काबू ।
हमहूँ  पड़ले  रहबै हे ।। ......




बुढ़िया बाजलि  हमरा सोझाँ,
के   कल्ला   अलगाओत ।
मुसरी  झा    केर    बेटी,
हमरे  पर  आनि  बघारत ।

हमरा  पर जे आँखि गुड़ारत,
तकरा  सऽख  ध   डाहब ।
छाउर लगा जीह घीचब हे ।। ..........




फाँड़ बान्ही क बाजलि कनियाँ,
आब   ने  एक्को   सहबनि ।
मूँह सम्हारथु,  नै तऽ एकटा -
कहती,   दस   टा  कहबनि ।

अपना  सँयके  हमहूँ   दुलारू,
हम   कथी   केर   सहबनि ।
हमहूँ सभ किछु कहबनि हे ।। ..........




सगर टोल दलमललित भ गेल,
पसरल    घोल   फचक्का ।
अढ़े - घाटे  देखि  रहल  छल ,
चुगिला  –  चोर  -  उचक्का

दरबज्जा  सँ   दौड़ल  आयल ,
बुढ़बा     आर    जुअनका ।
झगड़ा बढ़िए गेलै हे ।। .........




बाप-बेटा निज लोकक खातिर,
केलनि    हल्ला  –  गुल्ला ।   
 पञ्च  एला,  पञ्चैती केलनि,
कात    करौलनि     चूल्हा

बूढ़ी  धेलनि  महीसक छोहरि,
कनियाँ    धेलनि    चरखा
जुअनका मटकी मारै हे ||.......





( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह 'तोरा अँगना मे'क गीत क्र. २६ )
संगहि “गीतक फुलवारी” मे सेहो प्रकाशित ।


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