Tuesday, 21 February 2012

ई जुनि पूछू


                                               
ई जुनि पूछू






ई  जुनि  पूछू  अहाँ  बिना,
राति  बितैए  हमर  कोना |




किछु बात  मोन पड़ि आबय |
मोनक  पंछी  उड़ि    भागए |
चैनक चिल्हका उठि कानए |
कतबो  कहने  नहि   मानए |
लाख थकनी  रहइछ तैयोऽऽ,
गाढ़ निन्न    नहि  आबयऽऽ |

ई  जुनि  पूछू  अहाँ  बिना,
राति  बितैए  हमर  कोना |




किछु  दर्द  एहेन  सन  होइए |
लिखितो जे लिखल ने   जाइए  |
कहितो  जे  कहल   ने जाइए |
लेकिन  जे  सहल  ने जाइए |
मजबूरी  त  अछि  रहबा ले'ऽऽ,
एसगर   रहल  ने  जाइए,ऽऽ |  

ई  जुनि  पूछू  अहाँ  बिना,
राति  बितैए  हमर  कोना |




अछि आँखिक निन्न बिलायल
लगइछ  किछु  जेना  हेरायल
मन  विकल  भेल  औनायल
नोरे   नयना    भरि   आयल
प्रिये ! अहाँ केर सुधिक लहरि मेऽऽ
जाइत     छी      भसिआयलऽऽ |

ई  जुनि  पूछू  अहाँ  बिना,
राति  बितैए  हमर  कोना |


ई गीत विजय सिंहजी केर अवाज मे “परदेसिया” नामक ऑडियो कैसेट मे नीलम कैसेट सँ बहरायल । यद्यपि एहि मे जे गयबाक भाष प्रयोग भेल अछि से मूल भाष सँ सर्वथा भिन्न अछि तथापि निश्चित रूपेँ एहि गीतक गायन आ संगीत संयोजन मे विजय सिंहजी बहुत मेहनति कएलन्हि अछि । सभसँ नीक बात जे शब्दक उच्चरण ओ वाक्य – विन्यास केँ यथावत रखलन्हि अछि । ओना एहि कैसेट मे ई गीत नवीन संगीत (रैप वा पॉप) सन बुझना पड़ैछ, पर एकर मूल संगीत सत्तरि केर दशक केर हिन्दी फिल्मी संगीत जेकाँ सौम्य व सुगम थिक । दिक्कति इएह जे कागज पर सिर्फ गीत लीखि सकैत छी हम, ओकर संगीत नञि ।


( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह 'तोरा अँगना मे' केर गीत क्र. ‍१५ )
संगहि “गीतक फुलवारी” मे सेहो प्रकाशित ।

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