ई जुनि पूछू
ई जुनि पूछू अहाँ बिना,
राति बितैए हमर कोना |
किछु बात मोन पड़ि आबय |
मोनक पंछी उड़ि भागए |
चैनक चिल्हका उठि कानए |
कतबो कहने नहि मानए |
लाख
थकनी रहइछ
तैयोऽऽ,
गाढ़
निन्न नहि आबयऽऽ |
ई जुनि पूछू अहाँ बिना,
राति बितैए हमर कोना |
किछु दर्द एहेन सन होइए |
लिखितो जे लिखल ने जाइए |
कहितो जे कहल ने जाइए |
लेकिन जे सहल ने जाइए |
मजबूरी
तऽ
अछि रहबा ले'ऽऽ,
एसगर रहल ने जाइए,ऽऽ |
ई जुनि पूछू अहाँ बिना,
राति बितैए हमर कोना |
अछि आँखिक निन्न बिलायल
लगइछ किछु जेना हेरायल
मन विकल भेल औनायल
नोरे नयना भरि आयल
प्रिये
! अहाँ केर सुधिक लहरि मेऽऽ
जाइत
छी भसिआयलऽऽ |
ई जुनि पूछू अहाँ बिना,
राति बितैए हमर कोना |
ई गीत विजय सिंहजी केर अवाज मे “परदेसिया” नामक ऑडियो कैसेट मे नीलम कैसेट सँ बहरायल । यद्यपि एहि मे जे गयबाक भाष प्रयोग भेल अछि से मूल भाष सँ सर्वथा भिन्न अछि तथापि निश्चित रूपेँ एहि गीतक गायन आ संगीत संयोजन मे विजय सिंहजी बहुत मेहनति कएलन्हि अछि । सभसँ नीक बात जे शब्दक उच्चरण ओ वाक्य – विन्यास केँ यथावत रखलन्हि अछि । ओना एहि कैसेट मे ई गीत नवीन संगीत (रैप वा पॉप) सन बुझना पड़ैछ, पर एकर मूल संगीत सत्तरि केर दशक केर हिन्दी फिल्मी संगीत जेकाँ सौम्य व सुगम थिक । दिक्कति इएह जे कागज पर सिर्फ गीत लीखि सकैत छी हम, ओकर संगीत नञि ।
( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह 'तोरा अँगना मे' केर गीत क्र. १५ )
संगहि “गीतक फुलवारी” मे सेहो प्रकाशित ।
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