फगुआ चलिए गेल
फगुआ आएल, फगुआ गेल, फगुआ चलिए गेल | फगुआ खेलै लेऽ, मोन लगले रहि गेल || |
फगुआ आएल
फगुआ गेल
फगुआ चलिए गेल |
फगुआ खेलै लेऽ
मोन लगले रहि गेल || फगुआ आएल.............
करेजाके सप्पत दऽ कऽ
ओकरा लिखलिऐ |
दुइयो दिन के खातिर एतऽ
अबै लेऽ कहलिऐ |
ओकरा पर मोन
टङले रहि गेल || फगुआ आएल.............
ढोल बाजल डम्फा बाजल
होइ छल गर्द |
एम्हर हमरा होइत रहल
मीठ - मीठ दर्द |
सऽख-सेहन्ता
जरले रहि गेल || फगुआ आएल.............
जरल छल कपार तऽ
हम कोना हँसितौं |
ननदि आ दीयऽर संगे
खेलबे किएऽ करितौं |
रंग - अबीर
पड़ले रहि गेल || फगुआ आएल.............
मोन मारि रहि गेलौं
पीटैत कपार |
पड़ले रहलौं भरि दिन
बंद कऽ केबार |
तै लेऽ' अर्र-दर्र बुढ़िया
बजिते रहि गेल || फगुआ आएल.............
केहेन होइछै फगुआ
से हम ने बुझलिऐ |
भीजि गेलै गेड़ुआ
हम ततेक कनलिऐ |
तै लेऽ ननदियो निरासी
खौंझबिते रहि गेल | | फगुआ आएल.............
आब एतै मनसा तऽ
बजबो ने करबै |
कतेक मनओतै तऽ
एकेटा बात पुछबै |
जे, “एहन निशोख
ई किए' बनि गेल” || फगुआ आएल.............
( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह 'तोरा अँगना मे'क गीत क्र. २४ )
संगहि “गीतक फुलवारी” मे सेहो प्रकाशित ।
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