चलि जो रे पाँती
चलि जो रे पाँती ! साजन केर गाम |
चलि जो रे पाँती ! साजन केर गाम
कहियन्हु हुनका हम्मर प्रणाम ।
मोन पाड़ि दीहनु सासुर के बाट-घाट
मोन पाड़ि दीहनु अभगलीक नाम ।। ......
पुछिहनु हुनका जे रूसल किएक छथि,
हमरा बिसरि चुप्प बैसल किएक छथि,
पठौलनि ने मिसरी आ ने खटमिट्ठी,
ने देलनि समाद आ ने लिखलनि चिट्ठी,
की ने पड़नि मोन - रातियो चतुर्थीक
की ने भेटै छनि लिफाफोक दाम ।। ........
कहलनि अहाँ चान हम छी चकोरी,
टूटत ने कहियो पिरीतिक ई डोरी,
मोन मे आशाक गुड्डी उरौलनि,
संग-संग कतेक नव सपना सजौलनि,
प्रेमक पथ पर दौड़ाय - आब किए ,
पाछाँ घिचै छथि पकरि कऽ लगाम ।। .......
करइछ किलोल आइ आँखिक पिपासा,
चूर - चूर भऽ गेल मोनक बतासा ,
पाथर करेज केँ तोँ पिघलबिहेँ,
मिझा गेल बातीकेँ फेर सऽ जड़बिहेँ,
कहिहनु बेकल छथि - जंगल मे सीता,
जल्दी सऽ चलियौ यौ अयोध्याक राम ।।.........
( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह 'तोरा अँगनामे'क गीत क्र. १२ )
संगहि “गीतक फुलवारी” मे सेहो प्रकाशित
।
Badd madhur geet.Priyatam aibai karta ehan madhur ras se bharal geet par.Premak vijay hoit.
ReplyDeleteबहुत सुंदर अपने क सब रचना कि लिखलौ ह हम ह्रदय सँ नमन करैत छी प्रणाम 👏 👏 💐 करैत छी।
ReplyDeleteमिथिला के पावन धरती पर अपने एकटा मिथिला विभूति छी