Sunday, 12 February 2012

वर आ कनियाँ

              
वर आ कनियाँ



 



वर  आ  कनियाँ  केलनि झगड़ा
के  बुझबौ,  छै मतलब ककरा ??


थीक   हमर  ई  कर्मक   दोख ।
सासु-ससुर सब  भेटल  निशोख ।।


छथि  कंजूस  अहाँ  केर  बाप  ।
मोन  होइए जे  दियनि  सराप ।।


नीक  जकाँ  हमरा  ठकि लेलनि ।
गछि कए सभटा, किछु नै देलनि ।।


अहींक  माए - बाबू  की  केलनि ?
नीक  एकोटा  भार  ने  सँठलनि ।।


दस  हजार   टाका   गनबौलनि ।
पाइ  एकोटा  खर्च  ने   केलनि ।।


नहि   जुड़लनि  एकोटा  गहना ।
लुइझ  लेलौं  देलो   मुंहबजना ।।


हमरा   ले    अहीं  की  केलौं ।
जड़ल  कपार जे अइ घर एलौं ।।


से कहि  कनियाँ  लगली कानऽ ।
क्रोधेँ   वरो     लगला   फान ।।


कनियाँ भरि मोन  खेलनि मारि ।
रो  जी भरि    सुनलनि गारि ।।


सुनु अए कनियाँ  सुनु यौ वर ।
एना  कते दिन  चलत ई घऽर ।।



( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह तोरा अङना मे केर गीत क्र.२१ )

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