वर आ कनियाँ
वर आ कनियाँ केलनि झगड़ा ।
के बुझबौ, छै मतलब ककरा ??
थीक हमर ई कर्मक दोख
।
सासु-ससुर सब भेटल निशोख ।।
छथि कंजूस अहाँ केर बाप
।
मोन होइए जे दियनि सराप ।।
नीक जकाँ हमरा ठकि
लेलनि ।
गछि कए सभटा, किछु नै देलनि ।।
अहींक माए - बाबू की केलनि ?
नीक एकोटा भार ने सँठलनि ।।
दस हजार टाका गनबौलनि ।
पाइ एकोटा खर्च ने केलनि
।।
नहि जुड़लनि एकोटा गहना
।
लुइझ लेलौं देलो मुंहबजना
।।
हमरा लेऽ
अहीं की केलौं
।
जड़ल कपार जे अइ घर
एलौं ।।
से कहि कनियाँ लगली कानऽ
।
क्रोधेँ वऽरो लगला फानऽ ।।
कनियाँ भरि मोन खेलनि
मारि ।
वऽरो जी भरि सुनलनि गारि ।।
सुनु अए कनियाँ सुनु
यौ वऽर ।
एना कते दिन चलत ई घऽर ।।
( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह “तोरा अङना मे” केर गीत क्र.२१ )
No comments:
Post a Comment