एकहि मन्त्र जपब जीवन भरि
हम नहि जायब मास करै ले',
हम नहि करब उपास ।
अपनहि मन, मंदिर बनि
पाबय, तकरहि करब प्रयास ।।
नहि जायब हम काबा
– काशी, वा बृन्दावन धाम ।
हम तऽ प्रेमक दीप
जड़ायब, घुमि-घुमि अपनहि गाम ।।
रामायण, गुरुग्रण्थ आ गीता, बाइबिल
आओर कुरान ।
सभ ग्रण्थ केर मूल मंत्र थिक, मानव केर
कल्याण ।।
चानन – ठोप - पाग आ डोपटा, जप-तप-योग-धियान ।
सभ ध्यान सऽ सुन्दर लागय, देशभक्ति केर ध्यान ।।
एकहि माला, एकहि पूजा आ एकहि टा ध्यान ।
एकहि मन्त्र जपब जीवन भरि,
जय-जय हिंदुस्तान ।।
( प्रकाशित : हिंदी पत्रिका "सद्भावना
दर्पण", क्षेत्रिय भाषा स्तम्भ - "मैथिली" अन्तर्गत, रायपुर,
तत्कालीन मध्य प्रदेश आ एखनुक छत्तीसगढ़ )
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