Wednesday, 22 February 2012

एकहि मन्त्र जपब जीवन भरि / मैथिली गीत


                         
एकहि मन्त्र जपब जीवन भरि






हम नहि जायब  मास करै ले',  हम नहि  करब   उपास ।
अपनहि मन,  मंदिर बनि पाबय, तकरहि करब प्रयास ।।



नहि  जायब  हम  काबा – काशी,  वा   बृन्दावन धाम ।
हम तऽ  प्रेमक दीप जड़ायब, घुमि-घुमि अपनहि गाम ।।



रामायण,  गुरुग्रण्थ आ गीता,  बाइबिल  आओर  कुरान ।
सभ ग्रण्थ केर  मूल मंत्र थिक,  मानव केर     कल्याण ।।



चाननठोप - पाग आ  डोपटा,  जप-तप-योग-धियान ।
सभ   ध्यान  सऽ  सुन्दर  लागय, देशभक्ति  केर ध्यान ।।



एकहि  माला,   एकहि  पूजा      एकहि  टा  ध्यान ।
एकहि  मन्त्र  जपब  जीवन  भरि, जय-जय हिंदुस्तान ।।





( प्रकाशित : हिंदी पत्रिका "सद्भावना दर्पण", क्षेत्रिय भाषा स्तम्भ - "मैथिली" अन्तर्गत,  रायपुर, तत्कालीन मध्य प्रदेश आ एखनुक छत्तीसगढ़ )



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