जंगल
(१)
फूल दाइ कें
जखन-तखन
मोन परि अबैत छनि
अपन संगी सुजाता
परुकें तं भेल छलई बियाह
गनल गेल छलई दू लाख
नोकरी करैत छलइ वर
बियाहक बाद
करैत छलइ हल्ला
मँगैत छलइ दहेजक
बहुत रास चीज
कलर टी व्ही, वाशिंग मशीन
मोटर साइकिल आ फ्रीज
एक मास पहिने
पढ़लनि अखबारमे
सासुरमे एक राति
मारलि गेलि सुजाता
तें जखन -जखन घरमे
होइत छैक बियाहक चर्च
फूल दाइ भ जाइत छथि उदास
फेर मोन परि अबैत छनि
अपन संगी सुजाता !
(२)
स्कूलक हातामे
दस बजे दिनमे
जुमि गेलइ छौंडा सभ
पीचि देलकै मोटर सं
बेचारी प्रीतीकें
ओतेक लोकक बीचमे,
खबरि इ जहिया
निकललइ अखबारमे
तहिये सं फूल दाइ
चिंतित रहैत छथि
तें जखन बिदा होइत छथि कॉलेज
फूल दाइ भ जाइत छथि उदास
मोन परि अबैत छनि
प्रीति श्रीवास्तव !
( प्रकाशित : मैथिली पत्रिका आरम्भ,पटना )
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