गीत कोना कऽ गाबी
एहेन हाल मे कानि सकै छी, गीत
कोन कऽ
गाबी ??
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गोली - बारूदक मौसम मे, हम कविता केहेन सुनाबी ?
हाल देखि बे-हाल भेल छी, गीत कोना कऽ गाबी ??
गाम - गाम आ शहर – शहर मे, आतंकक अछि छाया ।
ठोहि पारि कऽ कानी रहल अछि, गौतम बुद्धक काया ।
शब्द - शब्द सँ चिनगी उड़इछ, शब्द - शब्द सँ धधरा ।
अपनहि घर, हम जड़ा रहल छी, अपन - अपन बखरा ।
गामक - गाम जरैए धह - धह, ककरा कोना बचाबी ?
एहेन हाल मे कानि सकै छी, गीत कोन कऽ गाबी ??
टूटल सरस्वती केर, वीणा केर संगीतक धारा ।
मनुखक छुद्र स्वार्थ पर कनइत, अछि विज्ञान बेचारा ।
पत्रहीन, सभ गाछ नग्न अछि, जेम्हरे देखू तेम्हर ।
कतऽ अलोपित भेल गाम सँ, बऽड़क गाछ झमटगर ।
थाकल - हारल लोक सोचैए, कतऽ कने सुस्ताबी ?
एहेन हाल मे कानि सकै छी, गीत कोना कऽ गाबी ??
बेर - बेर उठबैए हाबा, एखनो वैह सवाल ।
बुद्ध – महावीरक ई धरती, एहेन कियेऽ कंगाल ।
द्रोण - भीष्म केर चुप्पी आ धृतराष्ट्रक कुत्सित सपना ।
बेर – बेर - दोहरैल जाइत अछि, लाक्षा-गृह केर घटना ।
उचित यैह जे आमक खातीर, आमक गाछ लगाबी ।
चलै चलू हम सभ हिल-मिल कऽ, अपन बिहार बचाबी ।।
(परिप्रेक्ष्य / सन्दर्भ - ओहि समयक मिथिला सहित सम्पुर्ण बिहारक दुरावस्था)
( रचना : सिवान / २२.०२.१९९२ )
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