Monday, 13 February 2012

आधा अंगक मालिक छी अहीं

आधा अंगक  मालिक छी अहीं


प्राणनाथ केर  चरण - कमल मे,    सादर  हमर प्रणाम
हम  लीखि रहल छी  लेटर ई,   अहाँ बूझब  टेलीग्राम



प्राणनाथ केर  चरण - कमल मे,    सादर  हमर प्रणाम
हम  लीखि रहल छी  लेटर ई,   अहाँ बूझब  टेलीग्राम
पबितहि चिट्ठी, चलि देब अहाँ,   कनियोँ जँ हैब गियानी
नहि तऽ ससरि जैत, हाथ सँ,   मधुमय  हमर  जुआनी ।



आधा अंगक  मालिक छी अहीं,
तेँ   दै  छी  इएह    इशारा ।
एहन  वयस मे फेर ने कहियो,
भेटब      हम     दोबारा ।।




कतेक साओन आयल, आ आबि कऽ चल गेल ।
कतेक बादरि आयल, आ बरसि कऽ चल गेल ।

पियास नयन केर मिझा ने सकलौं
केलौं        कते       नेहोरा ।।  एहन वयस मे ........




सपनो नै कहियो दरस भेल, आ हम चिहुकि रहि गेलौं ।
बीति चुकल कयटा वसंत, आ हम     कुहुकि रहि   गेलौं ।

कहू कते दिन जीबि सकब हम,
रटइत          प्रेम   -   पहाड़ा ।।  एहन वयस मे........




तन केर सागर मे अबइत अछि, अहाँक सुधिक हिलकोर जखन ।
विरह - वेदना  भँवर  बीच,  डुुबि  जाइछ  आश केर डोर तखन

जीवन-नैया कोना क़ऽ  पहुँचत
माँझी    बिना     किनारा ।।  एहन वयस  मे.......

  




( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह 'तोरा अँगना मे'क गीत क्र. -- )
संगहि “गीतक फुलवारी” फुलवारी मे सेहो प्रकाशित ।

No comments:

Post a Comment