आधा अंगक मालिक छी अहीं
प्राणनाथ
केर चरण - कमल मे, सादर हमर प्रणाम । हम लीखि रहल छी लेटर ई, अहाँ बूझब टेलीग्राम । |
प्राणनाथ केर चरण - कमल मे, सादर हमर प्रणाम ।
हम लीखि रहल छी लेटर ई, अहाँ बूझब टेलीग्राम ।
पबितहि चिट्ठी, चलि देब अहाँ, कनियोँ जँ हैब गियानी ।
नहि तऽ ससरि जैत, हाथ सँ, मधुमय हमर जुआनी ।
आधा अंगक मालिक छी अहीं,
तेँ दै छी इएह इशारा ।
एहन वयस मे फेर ने कहियो,
भेटब हम दोबारा ।।
कतेक साओन आयल, आ आबि कऽ चल गेल ।
कतेक बादरि आयल, आ बरसि कऽ चल गेल ।
पियास नयन केर मिझा ने सकलौं
केलौं कते नेहोरा ।। एहन वयस मे ........
सपनो नै कहियो दरस भेल, आ हम चिहुकि रहि गेलौं ।
बीति चुकल कयटा वसंत, आ हम कुहुकि रहि गेलौं ।
कहू कते दिन जीबि सकब हम,
रटइत प्रेम - पहाड़ा ।। एहन वयस मे........
तन केर सागर मे अबइत अछि, अहाँक सुधिक हिलकोर जखन ।
विरह - वेदना भँवर बीच, डुुबि जाइछ आश केर डोर तखन ।
जीवन-नैया कोना क़ऽ पहुँचत
माँझी बिना किनारा ।। एहन वयस मे.......
( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह 'तोरा अँगना मे'क गीत क्र. -- )
संगहि “गीतक फुलवारी” फुलवारी मे सेहो प्रकाशित ।
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