माँ शारदे !
(गीत)
माँ शारदे !
वर यैह दे
हम मङ्गइत छी तोरा सँ ।
भारत मे
जनम जनम जनमी
मिथिला माइक कोरा सँ ।। माँ शारदे .................
अपन ज्ञान केर मधुर वारि
हम धरती पर
बरिसाबी,
पाथरहु मे भरि दी हृदय आर
मृतको केँ बिहुँसि जिया दी,
हिय मे ओ सुधा भरि दे ।। माँ शारदे .................
अनुपम अपन संस्कृति केँ
हम दुनियाँ मे फैलाबी,
हृदयहीनता - द्वेष कलह केँ
दुनियाँ सँ बैलाबी,
कान मे ओ मन्त्र कहि दे ।। माँ शारदे .................
सौंसे दुनियाँ मे सभकेँ
हम त्यागक मन्त्र सिखाबी,
आङन-आङन घर-घर बुलिकए
प्रेमक दीप जराबी,
ओ ज्योति कलश भरि दे ।। माँ शारदे .................
दुनियाँ एके स्वर सँ गाबय
हिलि - मिलि विजयक गीत,
ग्रह - उपग्रह नक्षत्र आदि पर
होइ मानवक जीत,
सीढ़ी ओ सबल गढ़ि दे ।। माँ शारदे .................
हमर गीत संग्रह “तोरा अङना मे” प्रकाशित गीत । ई
संग्रहा सभसँ पहिने १९७८ ई॰ मे “मुरलीधर प्रेस, पटना” सँ आ बाद मे “उर्वशी
प्रकाशन, पटना” सँ पुनः छपल । एहि मे हमर लिखल ३२ टा गीत छल । एहि गीत संग्रहक ई
पहिल गीत छल ।
बाद मे ई गीत “भवानी प्रकाशन, पटना” सँ प्रकाशित मैथिलि गीत संकलन “गीतक फुलवारी” मे संकलित भेल जकर पुनर्मुद्रण २५ नवम्बर १९८५ ई॰ कऽ फेर सँ भेल ।
बाद मे ई गीत “भवानी प्रकाशन, पटना” सँ प्रकाशित मैथिलि गीत संकलन “गीतक फुलवारी” मे संकलित भेल जकर पुनर्मुद्रण २५ नवम्बर १९८५ ई॰ कऽ फेर सँ भेल ।
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