Sunday, 12 February 2012

मोन होइए

        
मोन होइए






मोन  होइए अहाँ केँ   देखिते  रही ।
किछु  बाजी  अहाँ हम सुनिते रही ।।


आइ आयल मिलन केर,
मधुर        यामिनी ।
बनि    बैसलौं   अहाँ,
मानिनी   -  कामिनी ।
एक युग सन लगइए एक-एक घड़ी ।
किछु बाजी अहाँ,  हम सुनिते रही ।।


आइ  आयल  हृदय मे,
आनन्दक      लहरि ।
बात  कहबाक  जे छल,
से    गेलौं    बिसरि ।

किछु फुरा ने रहल, की करी ने करी ।
किछु बाजी अहाँ,  हम सुनिते रही ।।


कोन जादू छी भरने,
अपन   दृष्टि   मे ।
जे  नहा  गेलौं हम,
स्नेह केर  वृष्टि मे ।

आब मरजी  अहीँ केर, अहीँ जे करी ।
किछु  बाजी अहाँ,  हम सुनिते रही ।।



( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह तोरा अंगना मेक गीत सं. ‍-- )
संगहि “गीतक फुलवारी” फुलवारी मे सेहो प्रकाशित ।


ई गीत सुरेश पंकज जी द्वार “जमाना बदलि गेलैए” आ स्व॰ हेमकान्तजी द्वारा “चल मिथिला मे चल” नामक मैथिली ऑडियो आ विडियो कैसट सभ मे नित नऽव नऽव भाष सभ मे अबैत रहल अछि ।



No comments:

Post a Comment