मोन होइए
मोन होइए अहाँ केँ देखिते
रही ।
किछु बाजी अहाँ हम सुनिते रही ।।
आइ आयल मिलन केर,
मधुर
यामिनी ।
बनि बैसलौं अहाँ,
मानिनी - कामिनी
।
एक युग सन लगइए एक-एक घड़ी ।
किछु बाजी अहाँ,
हम सुनिते रही ।।
आइ आयल हृदय
मे,
आनन्दक लहरि ।
बात कहबाक जे
छल,
से गेलौं बिसरि ।
किछु फुरा ने रहल, की करी ने करी ।
किछु बाजी अहाँ, हम सुनिते रही ।।
कोन जादू छी भरने,
अपन
दृष्टि मे ।
जे नहा गेलौं हम,
स्नेह केर वृष्टि मे ।
आब मरजी अहीँ केर, अहीँ जे करी ।
किछु बाजी अहाँ, हम सुनिते रही ।।
( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह “तोरा अंगना मे” क गीत सं. -- )
संगहि “गीतक फुलवारी” फुलवारी मे सेहो प्रकाशित ।
ई गीत सुरेश पंकज जी द्वार “जमाना
बदलि गेलैए” आ स्व॰ हेमकान्तजी द्वारा “चल मिथिला मे चल” नामक मैथिली ऑडियो आ विडियो
कैसट सभ मे नित नऽव नऽव भाष सभ मे अबैत रहल अछि ।
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