Wednesday, 22 February 2012

जै खातिर मारामारी अछि


जै खातिर मारामारी अछि



जै   खातिर    मारामारी   अछि,
भात – दालि – तरकारी    अछि ।

छात्र     गरीबक    धिया – पुता,
विद्यालय    सरकारी      अछि ।
ई   जे   उल्लू  देखि  रहल  छी,
लक्ष्मी   मैयाक  सबारी   अछि ।
सदाचार   केर   शिक्षा   सबठाँ,
सबठाँ     चोरबजारी    अछि ।
भोज    करत   रसगुल्ला   केर,
बड़का   ई   भ्रष्टाचारी    अछि ।
घूस,    दहेजक   चस्का   बूझू,
छूआछूतक    बीमारी    अछि ।
देश   द्रौपदी,  हम  भीष्म  छी,
हमरहुँ    ई   लाचारी   अछि ।




“विदेह” पाक्षिक इ पत्रिका वर्ष ५, मास ५०, अंक १०० मे छपल ।

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