Saturday, 11 February 2012

बड़ा-बड़ा झंझट छै

बड़ा - बड़ा झंझट छै








यार ! बड़ा - बड़ा झंझट छै नोकरीमे
भाइ रे !  बड़ा मजा भेटल बेकारी मे ।।


सुतलौं    सुतले   छी
झंझट  सँ  हटले      छी
हाथ    लेलौं     नोभेल
से बैसलौं त बैसले छी
बजितथि  की  बाबू,   लाचारी  मे
भाइ रे !  बड़ा मजा भेटल बेकारी मे ।।


चाहक  दोकान  हो
पानक  दोकान  हो
बस हो   ट्रेन      हो
होटल - सिनेमा  हो
बीति   गेल  जीवन   उधारी   मे
भाइ रे !  बड़ा मजा भेटल बेकारी मे ।।


मारल ने माछ, आ ने
उपछल   हम     खत्ता
फेकलनि क्यो छक्का
तऽ मारि लेलौं    सत्ता
गेलौं  कहियो ने  खेती - पथाड़ी मे
भाइ रे !  बड़ा मजा भेटल बेकारी मे ।।


भेटल  की     नोकरी
भेलहुँ  परतन्त्र    हम
चऽलै छी भरि    दिन
जेना कोनो यण्त्र हम
मोन   गेल  बंद  अलमारी  मे
भाइ रे !  बड़ा मजा भेटल बेकारी मे ।।


हमरा         पर        बूझू
उनटि   गेल     दुनियाँ
बिगड़ल  छथि     साहेब
, रूसलि छथि कनियाँ
मोन तंग अछि फाइल आर साड़ी मे
भाइ रे !  बड़ा मजा भेटल बेकारी मे ।।


खटलौं  भरि    मास
तऽ  भेटल    दरमाहा
मोन  पड़ल  हुनकर
चिट्ठी       लिखलाहा
भऽ गेल  सभ खरचा  बिमारी  मे
भाइ रे !  बड़ा मजा भेटल बेकारी मे ।।


बूझू   तऽ      नोकरी
बड़का तपस्या    अछि
सभ केँ प्रसन्न करब
बड़का समस्या अछि
दिन   बीतैए  औना - पथारी   मे
भाइ रे !  बड़ा मजा भेटल बेकारी मे ।।


गुन-धुन मे जखन-तखन
इएह  बात     सोचै  छी
चिन्ता  मे  छुब्ध    भेल
माथ  अपन  नोचै    छी
भाइ !  कटइ छी  जिनगी खुमारी मे
भाइ रे !  बड़ा मजा भेटल बेकारी मे ।।




( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह तोरा अङना मे केर गीत क्र. २७ )

      



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