बड़ा - बड़ा झंझट छै
यार ! बड़ा
- बड़ा झंझट छै नोकरीमे ।
भाइ रे ! बड़ा
मजा भेटल बेकारी मे ।।
सुतलौं तऽ सुतले छी
झंझट सँ हटले छी
हाथ लेलौं
नोभेल
से बैसलौं तऽ बैसले
छी
बजितथि की बाबू, लाचारी मे
।
भाइ रे ! बड़ा
मजा भेटल बेकारी मे ।।
चाहक दोकान हो
पानक दोकान हो
बस हो ट्रेन
हो
होटल - सिनेमा हो
बीति गेल जीवन
उधारी मे ।
भाइ रे ! बड़ा
मजा भेटल बेकारी मे ।।
मारल ने माछ, आ ने
उपछल हम
खत्ता
फेकलनि क्यो छक्का
तऽ मारि लेलौं सत्ता
गेलौं कहियो ने खेती - पथाड़ी मे ।
भाइ रे ! बड़ा
मजा भेटल बेकारी मे ।।
भेटल की
नोकरी
भेलहुँ परतन्त्र हम
चऽलै छी भरि दिन
जेना कोनो यण्त्र हम
मोन भऽ
गेल बंद अलमारी
मे ।
भाइ रे ! बड़ा
मजा भेटल बेकारी मे ।।
हमरा पर
बूझू
उनटि गेल दुनियाँ
बिगड़ल छथि
साहेब
आ, रूसलि
छथि कनियाँ
मोन तंग अछि फाइल आर साड़ी मे ।
भाइ रे ! बड़ा
मजा भेटल बेकारी मे ।।
खटलौं भरि मास
तऽ भेटल
दरमाहा
मोन पड़ल हुनकर
चिट्ठी लिखलाहा
भऽ गेल सभ खरचा बिमारी मे ।
भाइ रे ! बड़ा
मजा भेटल बेकारी मे ।।
बूझू तऽ
नोकरी
बड़का तपस्या अछि
सभ केँ प्रसन्न करब
बड़का समस्या अछि
दिन बीतैए औना - पथारी मे ।
भाइ रे ! बड़ा
मजा भेटल बेकारी मे ।।
गुन-धुन मे जखन-तखन
इएह बात
सोचै छी
चिन्ता मे छुब्ध भेल
माथ अपन नोचै छी
भाइ ! कटइ छी जिनगी खुमारी मे ।
भाइ रे ! बड़ा
मजा भेटल बेकारी मे ।।
( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह “तोरा अङना मे” केर गीत क्र. २७ )
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