Wednesday, 22 February 2012

एना गे सुगिया कतेक दिन रहबें ?

एना गे सुगिया कतेक दिन रहबें ?



टूइट    जेतै    बन्हन,
तोँ जोर क देखही





नोरे  के  जिनगी,  कतेक दिन उघबेँ ?
एना गे सुगिया  कतेक  दिन  रहबेँ ?



तोहर  वयस    जेना,
कोबर  के   कनियाँ ।
तोरा  ले     एखनहि,
अन्हार भेल दुनियाँ ।

तोँ  अपने कपार पर कतेक दिन झखबेँ ?
एना गे सुगिया  कतेक  दिन  रहबेँ ?



तोरा   ले’  सभ  ठाम,
सभ    बाट  काटल ।
सभ   दृष्टि    काटल,
आ सभ गाछ काटल

ओकरा सँ छाहरि केर, आश कोना  करबेँ ?
एना  गे सुगिया  कतेक  दिन  रहबेँ ?



लोक  तोरा सोझ भ ऽ,
चऽलहु      ने       देतौ ।
जीबऽ      ने      देतौ,
आ   मरहु   ने      देतौ

चालनि मे पानि तोँ कतेक दिन भरबेँ ?
एना गे सुगिया  कतेक  दिन  रहबेँ ?



जिनगी   छै    सभकेँ,
आ जिनगी छौ तोरो
राति  अपन    देखलेँ,
तऽ देख अपन भोरो

बाट कोनो रामक,  कतेक दिन तकबेँ ?
एना गे सुगिया  कतेक  दिन  रहबेँ ?



टूइट    जेतै    बन्हन,
तोँ जोर क देखही
भेटि    जेतौ        संगी,
तोँ सोर कऽ देखही ।

हुकुर-हुकुर जीबेँ, तऽ जीबि क की करबेँ ?
एना गे  सुगिया   कतेक  दिन  रहबेँ ?






(परिप्रेक्ष्य / सन्दर्भ विषय – बाल वैधव्य ओ पुनर्विवाह)  
( प्रकाशित : मिथिला मिहिर / जून ८७ / पहिल पक्ष )




हमर ई गीत आइ सँ २० २५ वर्ष पहिने, महादेव ठाकुरजी द्वारा, nv (new voice) Series, Mumbai (Bombay) सँ हुनिकहि द्वारा गाओल एक गोट मैथिली ऑडियो कैसेटमे निकलल छल । कैसेटक नाँव छल "मैथिली गीत संग्रह" । बाद मे बहुतहु गोटे विभिन्न मैथिली सांस्कृतिक मञ्च सभपर गओलन्हि ।





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