Sunday, 12 February 2012

अहाँ नील गगन केर चंदा (युगल गीत)

                 
अहाँ नील गगन केर चंदा
( युगल गीत )



अहाँ नील गगन केर चंदा , हम मृत्युभुवनक   चकोर |




------ अहाँ नील गगन केर चंदा
          हम मृत्युभुवनक   चकोर |

------ हम विरहक राति अन्हरिया
         पिया अहाँ वसंतक  भोर |


------ई                जादूगर
    कतय   सँ    आयल
    नयन         लोभायल
    निन्न         बिलायल
    मोनक चैन  पड़ायल, सखि हे ..........

------ दुनिया जकरा चोर कहय से
         अनका कहइछ चोर ||  अहाँ ........


------ की छल राजा
         की छलि रानी    
         की छल सोना
         की छल चानी
         सभटा एक पिहानी, सखि हे ........

------ दुःख-सुख जीवनमे अबिते अछि
        जहिना साँझ आ भोर || अहाँ..........

------ प्रीती डगर हम
        छोड़ब कोनाक
        छी माँछ, पानि बिनु
        जीयब कोनकऽ
       जीबितहि मरब कोनक, सखि हे ........

------  हृदय-सिन्धुमे रहि-रहि उठइछ
       अहींक सुधिक हिलकोर ||  अहाँ ...........

------ मिलनक   आशा -
    सुमन    फुलायल
       हृदय       सिनेहक
       घाट         नहायल
          अपुरुब प्रीति समायल, सखि हे------
------  होऽऽ अपुरुब प्रीति समायल

------  मन उपवनमे नाचि रहल छी
       जहिना नाचय मोर ||  अहाँ ..........


( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह ' तोरा अंगनामे'  गीत क्र. ६ )






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