किछु नै भेल
मोटका - मोटका पोथी पढ़लहुँ,
पोथी केर सभ पन्ना रटलहुँ,
से सभ रटि कऽ किछु नै भेल |
पहिने जोड़ी जोड़ दशमलव
आब जोड़ै छी नून आ तेल || मोटका - मोटका पोथी .....
कनिएँ
बढ़लौं तऽ बूझऽ लगलौं,
की
थिक भाषण, की थिक शासन ।
आब तऽ भरि दिन इएह बुझै छी,
की
थिक बासन की थिक रासन ।
पहिने हाथ रुमाल रहै छल
आब हाथमे झोड़ी लेल || मोटका - मोटका पोथी .....
पहिने
मोन रहय जीहे पर,
कहिया
कतऽ कथीक चुनाव ।
आब
तऽ भरि दिन मोन रहैए,
चाउर
– दालि - आँटा केर भाव ।
पहिने हाथ मे कलम रहै छल
आब हाथ मे छओ नमरी * लेल || मोटका - मोटका पोथी .....
पहिने रहय प्रवल जिज्ञासा,
के
छथि कोन दलक लीडर ।
आब
करै छी कोशिश चीन्हक,
के
छथि मुखिया के डीलर ।
पहिने हमहूँ खेली फगुआ
आब मात्र खेली धुरखेल || मोटका - मोटका पोथी .....
पहिने
पढ़लौं “क्या और कहाँ” मे,
सोना
- चानीक कतऽ
खान ।
आब
जनै छी कतऽ कतऽ,
सरकारी
कोटक दोकान ।
पहिने खेली खेल ताश
केर आब खेलै छी कर्मक खेल || मोटका - मोटका पोथी .....
पहिने
छल डीग्रीक
सेहन्ता,
आब
अछि नोकरी केर चिन्ता ।
खेतो
सब अछि पड़ गेल भरना,
बिका
गेलनि कनियाँ केर गहना ।
हम छगुन्तामे पड़ले छी
हे परमेश्वर ई की भेल ? मोटका - मोटका पोथी .....
पहिने
विपत्ति पड़इ तऽ लोकक,
मदति
करैत छला भगवान ।
आब
कतबो हर-हर बम-बम कहू,
देथि
ने शिवशंकर जी ध्यान ।
आइ कृष्ण गोवर्धनधारीक
चक्र - सुदर्शन कत्तऽ गेल ? मोटका - मोटका पोथी .....
* छओ नमरी =
पहिने छओ नम्मर केर कोदारि अबैत छल ।
( १९७८ मे प्रकाशित गीत संग्रह 'तोरा अँगना मे'क गीत क्र. २० )
संगहि “गीतक फुलवारी” मे सेहो प्रकाशित ।
No comments:
Post a Comment