Thursday, 26 August 2021

देखने छी

                      देखने छी 

 नाव   कागतक   बना-बनाक'   देखने   छी 

और   पानिमे   चला-चलाक'    देखने   छी 


अपन   दृष्टिसं    देखै   छी  हम दुनियाँकें 

माँ    सीतोकें    कना-कनाक'    देखने छी 


जिनगी   भरि   चालनिमे  पानि भरैत रहू 

खूब    पमरिया    नचा-नचाक' देखने छी 


प्रश्न   सभक   छै हमरा खातिर की केलौं 

पेट   काटिक'    बचा-बचाक'  देखने  छी 


सुखं नहि कीनल जा सकैत अछि टाकासं 

चारू    हाथें   कमा-कमाक'   देखने   छी 


के   ककरा   मोजर   दै   छै  ऐ  दुनियाँमे 

अहूँ  त   हड्डी    गला-गलाक'  देखने  छी 


ईर्ष्या क्रोध कपट आ निन्दा सभ ओहिना 

हम   गंगहुमे   नहा-नहाक'   देखने   छी 


बहुत कठिन छै जगाक' राखब जागलकें 

हम   अपनहुकें   जगा-जगाक'  देखने छी 


पाथर   पर नहि दूभि जनम लै छै कहियो 

पानि    करीने    पटा-पटाक'   देखने   छी 


बिनु   तप  केने  पौलक नहि वरदान कियो 

हमहूँ     सपना   सजा-सजाक'   देखने छी 


सबहक   छातीमे   धधकै  छै  आगि  बहुत 

हम    करेजसं   सटा-सटाक'   देखने    छी 


अनिलक धन थिक गीत गजल कविता दोहा 

से   सभटा   हम   लुटा-लुटाक'  देखने   छी 

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