लेखक - जगदीश चन्द्र ठाकुर "अनिल" .......... हमर रचित मैथिली गीत,गजल,कविता,लेख आ समिक्षा केर ब्लॉग ............ Written by Jagdish Chandra Thakur "Anil"
Thursday, 26 August 2021
किछु एहने-सन लागि रहल अछि
की भेटल आ की हेरा गेल
की भेटल आ की हेरा गेल ( आत्म गीत )
देखने छी
देखने छी
नाव कागतक बना-बनाक' देखने छी
और पानिमे चला-चलाक' देखने छी
अपन दृष्टिसं देखै छी हम दुनियाँकें
माँ सीतोकें कना-कनाक' देखने छी
जिनगी भरि चालनिमे पानि भरैत रहू
खूब पमरिया नचा-नचाक' देखने छी
प्रश्न सभक छै हमरा खातिर की केलौं
पेट काटिक' बचा-बचाक' देखने छी
सुखं नहि कीनल जा सकैत अछि टाकासं
चारू हाथें कमा-कमाक' देखने छी
के ककरा मोजर दै छै ऐ दुनियाँमे
अहूँ त हड्डी गला-गलाक' देखने छी
ईर्ष्या क्रोध कपट आ निन्दा सभ ओहिना
हम गंगहुमे नहा-नहाक' देखने छी
बहुत कठिन छै जगाक' राखब जागलकें
हम अपनहुकें जगा-जगाक' देखने छी
पाथर पर नहि दूभि जनम लै छै कहियो
पानि करीने पटा-पटाक' देखने छी
बिनु तप केने पौलक नहि वरदान कियो
हमहूँ सपना सजा-सजाक' देखने छी
सबहक छातीमे धधकै छै आगि बहुत
हम करेजसं सटा-सटाक' देखने छी
अनिलक धन थिक गीत गजल कविता दोहा
से सभटा हम लुटा-लुटाक' देखने छी