पत्रिका नै
किनै छी
पत्रिका नञि किनै छी |
पत्रिका नञि किनै छी ।
अखबार नञि पढ़ै छी ।
बुझिए कऽ हम की करबै,
समाचार नञि सुनै छी ।।
दूर कियो भोंपू सँ,
बेर - बेर चिकरैए ।
सत्य अहिंसाक
मन्त्र,
हमरे -
टा सिखबैए ।
कथनी आ करनी मे,
सरोकार नञि देखै छी ।।
फुइट गेल तमघैल,
छुतहर ने फूटल ।
फूल उपटि गेल, मुदा
काँट गेल चतरल ।
दूर, बहुत दूर धरि,
अन्हार - टा देखै छी
।।
बगुलाक आँखि देखल,
कौआक पाँखि देखल ।
साँपक
गरा मे अँटकल,
बेंगोक देह देखल ।
भादोक बेंग सँ हम,
अधिकार नञि
मँगै छी ।।
सभतरि देवाल पाइक,
सभतरि सवाल पाइक ।
सभ ठाम पाइक
बरखा,
सभ ठाम
अकाल पाइक ।
पाइक बियाधि केर,
कोनो
उपचार नञि देखै छी ।।
( प्रकाशित
: समय -साल / मइ - जून २०११ )
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