Sunday, 18 February 2024

ओझा लेखे गाँ बताह अछि

 

                   गजल

                (  बिना रदीफक  )

                                                  

ओझा लेखें गाँ बताह अछि गामक लेखें ओझाजी

अपन महींस कुड़हरिए नाथू तैसँ मतलब अनका की

 

बबुरक मारल गेलौं बेलतर बेलक मारल जाउ कत’

अप्पन हारल बौहक मारल ककरा कहता मिसराजी

 

नाके सूते पानि पियाक’ छोडलक ई मनसा हमरा

हाथी चढ़ि-चढि गौरी पुजि-पुजि हमहूँ ई वर पौने छी 

 

जकरे खातिर चोरि करै छी सैह कहय चोरा हमरा

भगवाने जनइत छथि सभटा की गलती की भेल सही

 

जाही खातिर भीन भेल छी सैह पडल अछि बखरामे

जे ऊखरिमे मूँह देने अछि तकरा डर समाठक की

 

तमसयलासँ किछु नै होइ छै अपन मोनकें थीर करू

जे दुख आयल अछि सोझाँमे अपनहि कर्मक बदला छी

 

जे लीखल छै हेबे करतै तै लय चिन्ता कते करू

यैह सिखौलनि नाना-नानी यैह सिखौलनि दादाजी

 

भोज बेरमे कुमहर रोपब थीक हमर ई परम्परा

गप्प लेल हमरा लग बैसू टाका देता काकाजी

 

जे भवसागर पार उतारथि हुनकहु हरि लेलनि सभ दुख

आइ अयोध्या नाचय-गाबय ‘जुग-जुग जीबथु मोदीजी’

( मात्रा-क्रम : 2222 2222 2222 222 )

 

  

 

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