Sunday, 18 February 2024

एसगर कहाँ रहै छी हम

 

             गीत

एसगर कहाँ रहै छी हम |

 

रंग विरंगक पोथी –पतरा संग रहय हरदम

              एसगर कहाँ रहै छी हम  |

 

 

हँसै-बजै छी गप्प करै छी पोथी सबहक संग

जे सुख आ आनन्द दैत अछि मनमे भरय उमंग

बिना झालि-ढोलक-हरमुनियाँ मोन करय बम-बम

सूतल  कहाँ रहै छी हम |

 

 

पोथी संगे भोरे-भोरे घूमि अबै छी गाम

देखि अबै छी फड़ल गाछमे जामुन-आम-लताम

मधुर-मधुर शब्दक गाछी गमकैए गम-गम

भूखल  कहाँ रहै छी हम |

 

 

कखनो घूमी बाध-बोन आ देखी खेत-पथार

डेन पकड़ि देखबैए पोथी पोखरि-धार-इनार

प्रकृति कल्पना केर जगतमे नाचि रहल छम-छम

रूसल  कहाँ रहै छी हम |

 

दर्शन दै छथि पोथी सभमे ग्यानी-ध्यानी लोक

जे हरि लै छथि सभटा पीड़ा सभ चिन्ता सभ शोक

मातु-पिता-गुरु-बन्धु-मित्र सभहक देखी संगम 

टूटल  कहाँ रहै छी हम |

 

 

ज्ञानक गंगामे पोथी सभ करबय नित असनान

गीत गजल कविता आ कथा सभ लागय तीर्थ समान

पोथीमे देखी मानवता केर दृश्य अनुपम 

बैसल कहाँ रहै छी हम |

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