सीता
सीता अहाँ जिबै छी
एखनो सोच-विचार मे
मिथिलाकेर संस्कारमे ना |
अहाँ जे राजमहल
तजि देलहुँ
जाक’ रने-वने
बौएलहुँ
कखनो खोट ने तकलहुँ
ससुरजीक परिवारमे
छोटकी सासुक आचारमे ना |
हमहूँ जखन-जखन
घबरेलहुँ
दीदी मोन अहाँ
पड़ि गेलहुँ
लागल अहाँ कहै छी
नोरक एक टघारमे
सुख-दुख सभक कपारमे ना |
जाधरि रहता
सुरुज आ चान
ताधरि होयत
अहँक गुणगान
कीर्तिक डिगडिगिया
बाजत सौंसे संसारमे
सभ विधि आ व्यवहारमे ना |
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