गजल
अपन नाम परिचय आ घर त्यागिक’ हम
कहू की सोचै छी एत’ आबिक’ हम
सभठाँ अहाँकेर संगे छी
हमहूँ
आब जायब कतयसं कतय भागिक’ हम
ओ सभ गाछ ब’रक सुखा
गेल असमय
त सुस्ताएब जा कय कतय थाकिक’ हम
सत बात बाजी से होइछ
सिहन्ता
से चुप छी अहाँ केर
मुंह ताकिक’ हम
सपनेमे देखल करब हम
अहाँकें
निकलि जाएब भोरे गजल गाबिक’ हम
(मात्रा क्रम : 2222 2222 22)
दू टा अलग-अलग लघुकें एक दीर्घ मानल गेल अछि |
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