गजल
बेर-बेर बौआ खसै छी
किए
अहाँ धडफडायल चलै छी किए
अहाँ चुप्प र’हू कोनो
बात नै
अहाँ रातिकें दिन कहै छी किए
‘सरस’‘चन्द्रमणि’कि ‘रवीन्द्र’क सुनाउ
अहाँ भोजपूरी गबै छी किए
छुबि कान देखू हकमै किए छी
कौआके पाछाँ भगै छी किए
सूतल जे मन अछि तकरा जगाबी
अनकासं तुलना करै छी किए
संतान छी हम परमात्माकेर
तखन मृत्युसं हम डरै छी किए
(मात्रा क्रम :222222222)
1.दूटा
अलग-अलग लघुकें एक दीर्घ
मानल गेल अछि |
2.पांचम
शेरमे ‘जे’आ ‘सं’ कें क्रमशः
लघु आ दीर्घमे गिनती कैल गेल अछि |
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