Thursday 8 March 2018

कानमे तूर धेने अछि लोक गजल की कहबै

गजल

कानमे तूर   धेने  अछि   लोक  गजल की कहबै
लगैए  भांग  खेने  अछि  लोक गजल की कहबै


बरियातीकें   चाही   खाली   रहु  माँछक   मूड़ा
पिबैले' जान  देने अछि  लोक गजल  की कहबै


छै   बलडप्रेशर    डायबिटीज   और    बबासीर
भोजले'   मूँह  बेने अछि लोक  गजल की कहबै


खुट्टा त  गड़तै  ओही  ठाम  जत'  हम कहै छियै
एकेटा  सुर  धेने  अछि लोक  गजल  की  कहबै


ढेपाक   जबाब   पाथरसं   देबाक  चलन   गेलै
जेबीमे  बम  नेने  अछि  लोक  गजल की कहबै


चाही   सभकें   जाड़मे  रौद,  गरमीमे    बसात
खिड़कीए बन्द केने अछि लोक गजल की कहबै

( मात्रा क्रम : 2 2 2 2  2 2 2 2 2 2 2 2 2)
दू टा अलग-अलग लघुकें दीर्घ मानल गेल अछि

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