एहि माटिकें प्रणाम
बौआ हाथ जोरि करू
एहि माटि कें प्रणाम |
ई गाँधीक देश
ई विद्यापतिक गाम |
बौआ......
सोनाक चिड़ै भारत
से दुनिया जनैए
आ तकर ह्रदय मिथिला
से के नै बुझैए
माँ जानकीक ई जन्मभूमि पावन
आएल छथि शंकर
लोभाएल छथि राम | बौआ.......
काल्हि केर मिथिलाक मंडन अहीं
यौ वाचस्पति अहीं, यौ विद्यापति अहीं,
आ काल्हि केर भारतक गांधी अहीं
यौ सुभाषो अहीं, यौ भगत सिंह
अहीं
विश्वमे बढाबी, नाम अपन देशक
आशा करैए
ई धरती ललाम |
बौआ......
पेट अपन कहुना त
कुकुरो भरैए
छिः छिः ओ जीवन
जे अजगर जिबैए
देश-दुनियाक लेल जीवन जे दैत अछि
सैह दुनियामे अमर भ’ रहैए
थूकि दैछ दुनिया स्वार्थीक नाम पर
माटि केर नाम
जे करैछ बदनाम |
बौआ.......
पडल अछि अहींक लेल
काज एकटा
बनयबाले’ पवित्रतम
समाज एकटा
सभले’ हो सुख आ समृद्धि केर भारत
चकमक करय
सभ शहर सभ
गाम | बौआ.....
बौआ हाथ जोरि करू एहि माटिकें प्रणाम |
बौआ सूति-ऊठि करू एहि माटिकें प्रणाम |
बौआ बेर-बेर करू एहि माटिकें
प्रणाम |
बौआ घूरि-फीरि करू एहि माटिकें प्रणाम |
गीत संग्रह 'तोरा अङनामे' मे 1978 मे प्रकाशित )