गीत
बुच्ची बढती, लिखती-पढ़ती,
हमरा चिंता कथीके ?
भाग्य अपन अपनेसं गढ़ती
हमरा चिंता कथीके ?
रेप-दहेज़क दानवकेर
उत्पात मचल अछि भारतमे,
महिषासुरले’ दुर्गा बनती
हमरा चिंता कथीके ?
ज्ञान और विज्ञानक सम्पति
अर्जित करती जीवनमे,
नव सुरुज आ चान बनेती
हमरा चिंता कथीके ?
लोकक मोल बुझै छै एखनो
लोक बहुत छै दुनियामे,
संगी अप्पन अपने चुनती
हमरा चिंता कथीके ?
एहि बबूरकेर जंगलमे
‘किरण’, ‘सुनीता’, ‘मीरा’ बनती
हमरा चिंता कथीके ?
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