सभ्यता आ संस्कृति
हम कहलियनि हमरा नोकरी भेटि गेल
बाबूजी प्रसन्न भ' गेलाह
हम कहलियनि हम अपन विवाह ठीक क' लेलहुँ
बाबूजी नाराज भ' गेलाह
हम कहलियनि विवाहमे दस लाख भेटत
बाबूजी प्रसन्न भ' गेलाह
हम कहलियनि कनियाँक नाम पर बैकमे जमा रहत
बाबूजी नाराज भ' गेलाह
हम कहलियनि कनियाँ सेहो नोकरी करैत छथि
बाबूजी प्रसन्न भ' गेलाह
हम कहलियनि कनियाँ सेहो संगे आबि गेल छथि
बाबूजी सन्न रहि गेलाह !
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