दोहा :
1.
सभ छथि दुनियामे अपन, कतहु कियो नहि आन
इएह सोचि सदिखन करी, हम सबहक
सम्मान |
2.
स्नेह-सुधा, शुभकामना, सम्मति सबहक लेब
मोन, बचन आ कर्मसं, दुःख ककरो नहि देब |
3.
प्राप्त करू पुरुषार्थसं
अनुचित-उचितक ज्ञान
लेखक अहांक भाग्यकेर और कियो नहि आन |
4.
नहि ओझा, नहि ज्योतिषी अथवा कोनो यंत्र
मनकें आनंदित करय क्षमा थीक ओ
मन्त्र |
5.
सबहक दुखमे संग हो, राखय सबहक लाज
सबहक हित-चिन्तन करय,तकरे नाम समाज |
6.
जहिना सगरो विश्वकें ज्योति देथि आदित्य
चिंतन सबहक हो जतय, सएह थीक साहित्य |
7.
जे नहि पोसथि मोनमे कोनहु अशुभ
विचार
‘अनिल’ एहि संसारमे वएह परम
बुधियार |
8.
भ’ जायत आसान ओ, करब जकर अभ्यास
जीवनमे सुख-शान्तिले’ सदिखन करू प्रयास |
9.
थिक कविता केर लक्ष्य की, उल्लासक संसार
सबहक जीवनमे बहय, आनंदक रसधार |
10.
तन मन धन सभ स्वस्थ हो, कविता राखथि ध्यान
कविता सूनब थीक करब,
गंगामे असनान |
11.
कविता त गंगा थिकी, सबहक हरथि कलेश
कविक मोनमे बास करथि ब्रह्मा,विष्णु,महेश |
12.
भूमि,भवन,लाकर तथा अन्न-जलक भण्डार
चित्त शांत त ठीक सभ,नै त सभ
बेकार |
13.
मिथ्या शान-गुमानसं, करै जाउ परहेज
कन्यादानक यज्ञमे, राक्षस थीक दहेज़ |
14.
हो व्यभिचारक अंत आ सदाचारके जीत
सभ मनमे उल्लास आ स’भ ठोर पर गीत |
15.
आवश्यक की अछि की नहि अछि जे राखथि ई ध्यान
‘अनिल’ एहि संसारमे, हुनकहि कहब महान
|
16.
कहुना क’ धन जमा करू आ कीनू बंगला, कार
भोज खाउ आ अहूँ खुअबियौ, इएह थीक संसार ?
17.
की थिक रामायण आ गीता, की थिक वेद,पुराण
‘खट्टर कक्का’सं सुनू, रावण कोना महान |
18.
मनकें आनंदित करय, दिअए शान्ति, विश्राम
दोहा, कविता, गीत, गजल, हमर ई चारु धाम |
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