आँखिमे चित्र हो मैथिली केर
(आत्मकथा)
2.
भिट्ठी आ पंडौलक खिस्सा
मिडिल स्कूल :
पाँचमा पास केलाक बाद मिडिल स्कूल,भिट्ठीमे
हमर नाम लिखाएल गेल |
ई स्कूल घरसँ दू किलोमीटर पर छल |
ओइ स्कूलमे सोहरायके हमर पीसा सेहो शिक्षक छलाह, नाम छलनि
बिन्देश्वर झा | पीसाक सुझावक अनुसार हम गाम परसँ चारि एक्सरसाइज हिंदीसँ अंग्रेजी
ट्रांसलेशन बना क’ ल’ जाइत छलहुँ |
दुपहरमे टिफिन टाइममे हुनका लग ल’ जाइ
छलहुँ |
ओ सही क’ दै छलाह |
गलती दोबारा नै हो से ध्यान रखैत छलहुँ |
गणित आ अंग्रेजी पढबामे नीक लगैत छल |अन्य
विषयमे कम मोन लगैत छल |
स्कूलमे प्रतियोगिताक वातावरण नै छलै |
नेतरहाटमे नाम लिखेबाक लेल परीक्षामे सम्मिलित भेलहुँ |
सफल नै भेलहुँ |
मुदा,सातमामे कक्षामे सबसँ बेशी प्राप्तांक आएल |
शान्तिक खोजमे अशांति :
आङनमे चारि घरवासी रहबाक कारण सदिखन टोना-मेनी होइत रहै छलै |जखन-तखन हल्ला-गुल्ला होइत रहब सामान्य बात भ’ गेलै |
हमर पिता घरारी अलग करबाक विकल्प चुनि लेलनि | एहि निर्णयसँ लाभ ई भेलै जे हम सभ हल्ला-गुल्लासँ अलग भ’ गेलहुँ | हानि ई भेल जे रहबा
लेल कहुना घर त ठाढ़ भ’ गेल मुदा तीन साल तक भराइ चलैत रहल |ओ खेत छलै, गहींर छलै |बहलमान
बड़द जोति क’कटही गाड़ी टोलसँ दक्षिण बाध ल’ जाइ छल | ओत’ कोदारिसँ माटि
काटि क’गाड़ीपर
लादि क’ घर अबैत छल | बाबा गाड़ीक संग
जाइ छलाह, अबै छलाह | खेतमेसँ माटि
उठाक’ गाड़ीपर रखैत छलाह | कहियो क’
बाबाक संग हमहूँ जाइत छलहुँ
|
घर बनयबामे जतेक खर्चक अनुमान कएल गेल छलै ताहिसँ बहुत बेशी खर्च
भेलै |
दू टा घर बनल | पछबारी कात एकटा
भनसा घर जाहिमे पच्छिम- दक्षिण कोनमे भगवती रहलीह, पूब दिस
चिनुआर भेल | घरमे किछु कोठी बनाक’ राखल
गेल |
बीच घरमे सेहो भोजन करबा लेल जगह छल |दुआरि
पर सेहो भोजन कएल जाइत छल | दुआरि पर घैलची बनल जाहिमे पीय’वला पानिक दूटा घैल रखबाक जगह छलै |
दक्षिण कात घर बनल जाहिमे किछु कोठी सभ राखल गेल,
एकटा पलंग
राखल गेल | ओकर दुआरिपर जाँत छल |
उत्तरसँ एकटा दरबज्जा बनल | ताहिमे
पच्छिम दिससँ एकटा छोट-छीन कोठली निकालल गेल जाहिमे लकड़ीक एकटा टेबुल आ एकटा कुरसी
राखल गेल |पूब उत्तर कोनमे एकटा चक्का बनाओल गेल |
आङनमे एकटा ढेकी गरायल |आङन
नमहर भेल | घर सभ बाँस, लकड़ी, खढ आ साबेक जौड़सँ बनल |समय बहुत लगलै | खर्च बहुत लगलै |
एकर प्रभाव जीवन-यापन पर पड़लै |
एहि बीच हमर पढ़ाइ-लिखाइ जेना-तेना चलैत रहल |
कान त सोन नहि :
जे कर्पूरा एकटा बच्चाक बाट 12 बरख
तकलनि, हुनका 6 टा बच्चा भेलनि,
तीन टा बेटा, तीन टा बेटी | मुदा आब घरक आर्थिक स्थिति एहेन भ’ गेलनि जे पहिलो
बेटीक बियाहक लेल सक्षम नहि रहलीह | पहिल बेटी शान्तिक पढाइ
ओतबे भेलनि जते अपन छलनि |
12 बरख पुरैत-पुरैत शांतीक लेल बर
ताकब शुरू भ’ गेल |
सभकें चिंता भेलनि |दाइ (दादी) कें सेहो पोतीक
विवाह देखबाक तेहेन अभिलाषा जागृत भ’ गेलनि जे एकटा अशिक्षित
द्वितीय बरमे सेहो सभ गुण देखाय लगलनि | किछु लोको सभ
प्रशंसा केलकनि, माथपर दू बीघा खेत छै, खुट्टापर महींस-बरद छै, पोखरि छै, पोखरिमे माँछ खूब होइछै |
हमर पिता कलकत्तामे प्रेसमे काज केने छलाह,
दरभंगामे नोकरी केने छलाह |हमरा विवाहक लेल
बहुत दिन धरि अड़ल रहलाह मुदा बेटीक विवाह लेल किए एतेक धड़फड़ा गेलाह, हमरा बहुत दिन धरि नहि बुझाएल | ओना जे कियो बाहर
नहि गेल छलाह, हुनका सभ लेल ई सामान्य बात छलै |
ओइ समयमे लोक बेटीकें पढ़ाएब ठीक नै बुझैत छल |
लगमे स्कूल नै छलै |पढ़बा लेल बेटीकें
दूर पठाएब अनुचित मानल जाइत छलै |बेटीक बियाहक लेल उपयुक्त
वयस 12 वर्ष धरि मानल जाइत छलै |कोनो
शास्त्रमे लिखल छलै(हम नै पढ़ने छी ) जे बेटीक विवाह १२ वर्षसँ पहिने करा देबाक
चाही ने त पिता पापक भागी हेताह |
लोक शास्त्रक एहि आदेशक पालन करब कर्तव्य बुझैत छल |
मान्यता ई छलै जे बेटी पराया धन थीक, कहुना सकुशल अपन सासुर चल जाए से लोकक लक्ष्य होइत छलै |
वियाह ककरा संग भ’ रहल छै, से बात महत्वपूर्ण नहि होइत छलैक,
बियाहक विधि-व्यवहार महत्वपूर्ण होइत छलै |
विधि-व्यवहार आसान नै छलै |
विवाहमे वरियाती एतै | वरियातीक
भोजनक व्यवस्था करब सबसँ महत्वपूर्ण काज होइत छलै |रंग-विरंगक
21 टा कि 31 टा तरकारी बनतै |तौलाक तौला दही पौड़ल जेतै |रसगुल्ला जबरदस्ती
पचास-पचास टा खुआएल जेतै |चारि-पाँच दिन पर चतुर्थी हेतै |बीचमे सभ दिन मौह्क हेतै |गीत-नाद होइत रह्तै |
चतुर्थीक बाद नीक दिनमे जमाएकें बिदाई द’क’
विदा कयल जेतनि |
जमाए 10 दिन कि 15 दिन पर अबैत रहताह |
हुनका सासुरमे जबरदस्ती 10-10, 20-20 दिन राखल जेतनि | ओकर बाद पंचमी हेतै | तखन मधुश्रावनी हेतै | मधुश्रावनीमे पन्द्रह दिन धरि बेटी फूल लोढ़तीह |कथा-पूजा हेतै |गीत-नाद होइत रह्तै |बेटाबला नोत पूरय एताह |चारि-पाँच दिन रहताह |हुनका ओहिना भोजन कराओल जेतनि जेना वरियातीकें कराओल जाइत छनि |हुनका नीक बिदाइक संग बिदा कयल जेतनि | तकर
बाद कोजगरा हेतै | कोजगरामे बेटीवला मखान,दही,केरा,चूड़ाक भारक संग लड़काक
ओत’ एताह |हुनको चारि दिन राखल जेतनि |तकर बाद गंजी,धोती,कुरता,डोपटा, पाग आदि द’
क’ विदा कयल जेतनि |
तकर बाद जराउर हएत |
सभ पावनिमे दुनू दिससँ भार-चङेराक आदान-प्रदान होइत रहत |
तीन अथवा पाँच साल पर द्विरागमन हएत | एहि बीच लड़का अपन सासुर अबैत-जाइत रहताह |
विवाहक सम्पूर्ण कार्यक्रममे एहि तरहें तीनसँ पाँच साल लागि जाइत छलै
| ई छलै परम्परा | एकरा संग छलै
बहुत रास विधि-व्यवहार जकरा आगाँ बेटीक
इच्छा-आकांक्षाकें कोनो महत्व नै देल जाइत छलै |
कोनो बेटी अपन इच्छा-आकांक्षाकें कहियो प्रगट नै करैत छलीह |दू-तीन टा बच्चा भेलाक बादे बेटी किछु बजबाक साहस जुटा पबैत छलीह |
पन्द्रहम बरख पुरैत-पुरैत शान्ती अपन सासुरक परिवारमे शामिल भ’
गेलीह |
हमर पिता एकटा बेटीक विवाहसँ
निश्चिंत भ’ गेलाह |
बाल-मण्डली :
टोलमे हमर संगी छलाह राजेंद्र ठाकुर,आशानन्द
ठाकुर,बैद्यनाथ ठाकुर, खेलानन्द ठाकुर
( बाबू नारायण ),राम परीक्षण झा, फकीर
चन्द्र दास, नगेन्द्र भूषण मल्लिक आ किछु गोटे और | एहिमे किछु गोटे
हमरासँ एक कक्षा
आगू छलाह | सभ गोटे साँझक’ फुट-बॉल
खेलाइत छलहुँ |
बादमे सभ गोटेक निर्णय भेल जे हम सभ गाममे स्वच्छता अभियान चलाएब |
टोलमे पोखरिकें साफ करबाक काज शुरू भेल | पोखरिक
भीड़ पर भरि टोलक लोक छठि पूजा करैत छल |
छठि पूजाक बाद एकर चिंता लोक नै करैत छल |
पोखरिमे कुम्भी बड़ भ’
गेल रहै |बाल मंडली एकर सफाइमे लागि गेल |
दस-बारह दिनमे पोखरि साफ़ भ’ गेल | आब पोखरिक भीड़ पर एकटा पुस्तकालय बनेबाक काज शुरू भेल | भूषणजीक अक्षर बहुत सुन्दर होइत छलनि | पुस्तकालयक
लेल ओ एकटा नियामावली बनौलनि, लोक सभसँ एकटा-दूटा क’ बाँस माङल गेल |हम सभ अपनेसँ बाँस काटि क’ अनैत छलहुँ | पोखरिक दछिनबरिया भीड़ पर जमा कर’
लगलहुँ | लोक सभसँ चंदा माङल गेल | जन राखल गेल | अपनो सभ भिड़लहुँ |माटिक देबाल ठाढ़ हुअ’ लागल |
हमर सबहक पढ़ाइ बाधित भ’ रहल छल
|
हमरा सभमे एक गोटे तमाकुल खाइत छलाह |
हमर पिता एकदिन हमरा कहलनि जे जाहि मंडलीक सदस्य तमाकुल खाइत छथि ओ
मण्डली समाज-सुधार की करत |
ई बात हमरा ठीक लागल | हम
मण्डलीक सदस्यकें नहि बदलि सकैत छलहुँ | हम इएह कारण लिखैत
मण्डलीसँ अलग भ’ गेलहुँ |
मण्डली किछु दिनक बाद भंग भ’ गेलै आ
पुस्तकालयक काज पूरा नै भेलै |मण्डलीसँ अलग भेला पर हम अपन
ध्यान अपन पढाइ पर केन्द्रित केलहुँ | शेष सदस्य सभ सेहो अपन-अपन पढाइमे लागि गेलाह |
हमरा फुट-बॉल सेहो पसंद नै आएल | हमरा
एक बेर गेंदसँ जांघमे तेहेन चोट लागल जे सभ दिन लेल
खेलसँ विरक्ति भ’ गेल |
पिता कागतसँ खेल केनाइ सिखौलनि |
कागतसँ खेल ! कागतक दुआति बनौनाइ, कागतक
नाओ बनेनाइ | हमरा ई खेल सुरक्षित लागल |
रंग्मंचक आकर्षण :
गाममे हमर कक्का आ हुनक समवयस्की सभ नाटक खेलाइत छलाह,
से हमरा नीक लगैत छल | पुबाइ टोलमे जगदीश
बाबूक ओत’ कोनो अवसर पर बेलाहीवला नौटंकी एलै |सत्य हरिश्चंद्र, वनदेवी और कोनो-कोनो नौटंकी देखैत
खूब नीक लगैत छल |एक बेर साँझ तक पता छल जे नै हेतै, त हम सब खा क’ सूति रहलहुँ | बहुत
रातिमे निन्न टूटल त नगाराक आवाज सुनाइ पड़ल | हमरा नै रहल
भेल | हम चुपचाप एसगरे ओते रातिमे गाछी द’ क’
चल गेलहुँ नौटंकी देख’ आ ख़तम भेलै त और लोक सभ
संगे चल एलहुँ |
महराजजीक कथा :
नारायणपट्टीमे हमर पिताक एकटा बहिन छलथिन |हुनक एकमात्र पुत्र रहथिन शंकर | शंकरक उपनयन भ’ गेल रहनि | दुर्योगसँ
एक राति घरमे सूतलमे शंकरकें साँप काटि लेलकनि | ओ नहि जीबि
सकलाह |बड़का शोकमे दीदीक परिवार डूबि गेल | सभ सम्बन्धी लोकनि दुःखमे पड़ि गेलाह |हमर पिता सेहो
बहुत चिंतित भेलाह |घरमे सभ बहुत दुखी रहथि |एहि दुर्घटनासँ पहिने एक बच्चाक जन्मक समय दीदीक ई स्थिति भ’ गेलनि जे देहमे खून बहुत कम बचलनि, खून चढ़ाबक
आवश्यकता भ’ गेलै |बाबू अपन खून देलखिन
| दीदीक जान बँचलनि | आब ई पुत्र-शोक |
बाबूकें भेलनि घरक जगहकें कोनो गुनी-महात्मासँ जाँच करबियैक |
एकटा महात्माजी कतहु भेटलखिन | हुनका ओ घरारी
देखब’ लेल अनलनि | नारायणपट्टी जेबासँ
पहिने चारि-पाँच दिन महात्माजी हमरा सबहक पाहुन भेलाह |ओ अपन
किछु करतब देखौलनि |एकदिन ओ कहलखिन हम कागतसँ रुपैया बना देब
| लोक अचंभित भेल | लोक जमा भ’ गेल |
महात्माजी एकटा कागजक पन्ना लेलनि, एक लोटा पानि लेलनि |कागजपर किछु लीखि क’ सभकें देखाक’ ओकरा टुकड़ी-टुकड़ी
क’ देलनि | ओकरा मुँहमे ध’ लेलनि | चिबाक’ लोटामे रखलनि |
हाथ लोटामे ध’ क’ बाहर
निकाललनि त ओहिमेसँ एकटा दसटकही रुपैया निकाललनि | ओइ पर
ओहिना सभ चित्र आ चेन्ह सभ रहै जेना आन रुपैया सभमे रहै छै |सभ
आश्चर्यचकित भ’ गेल | महात्माजी कहलखिन
जे किछु घंटाक बाद ई रुपैया पुनः कागत भ’ जाएत, तें जतेक शीघ्र हो एकर उपयोग क’ लिय’ |
एक आदमी सायकिलसँ गेल पंडौल ओ रुपैया ल’क’ आ ओकर मोतीचूरक लड्डू किनने आएल | सभ कियो लड्डू खेलक | सभ हुनका महाराजजी कह’ लगलनि |
महाराजजी कहलखिन, जे कियो सिमरिया
जाए चाहै छी से तैयार होउ, हम साँझमे गाछ पर चढ़ा क’ ल’ चलब, ओत’ स्नान क’क’ सभ गोटे घूरि आएब |
दिनमे त’ कए गोटे तैयार भेलाह, मुदा
साँझ होइते सभ डेरा गेलाह, कियो नै तैयार भेलाह |
बाबू हमरा सिखौलनि जे महाराजजी जौं पुछथि ‘की चाही ?’ त कहबनि जे कोट-पेंट चाही | दोसर दिन महाराजजी पुछ्लनि, ‘की चाही ?’ हमरा नै कहल भेल जे कोट-पेंट चाही |हम किछु नै मांगि
सकलहुँ |ई हमर स्वभाव छल |बाबू बहुत
दिन तक हमर एहि स्वभावकें हमर कमजोरी मानैत रहलाह | मुदा,हमर ई स्वभाव हमर शक्ति छल,से बहुत बादमे पता चलल |
महाराजजी और लोक सभकें पुछलखिन, की
चाही त नवयुवक सभ कहलखिन हमरा सभ गोटेकें सिनेमा देखा दिय’| महराजजी
सभकें ल’क’ मधुबनी गेलाह |रस्तामे कागजसँ एकटा नमरी बना क’ द’ देलखिन | सभ गोटे रातिमे घुरलाह त उदास रहथि |
बजै गेलाह जे सिनेमा हॉलसँ निकलैत काल महराजजी कत’ बिला गेलखिन जे सभ गोटे तकैत-तकैत रहि गेलाह, नै
भेटलखिन |
हमर हाइ स्कूलक शिक्षा :
1961 मे आठमामे हमर नाम पंडौल हाई स्कूलमे लिखाएल गेल |
हमरा गणित नीक लगैत छल |तें
विज्ञान लेलहुँ, फिजिक्स,केमिस्ट्री आ मैथमेटिक्स |
प्रधानाध्यापक छलाह श्री अशर्फी सिंह | गणित पढ़बैत छलाह महावीर बाबू | गुप्तेश्वर बाबू
अलजेब्रा आ बैद्यनाथ बाबू ज्यामिति पढ़बैत छलाह |
बच्चा बाबू मैथिली पढबैत छलाह |ओ हमरा
मामा गाम रुचौलक छलाह | हुनका हाथमे ‘मिथिला मिहिर’ रहिते छलनि |बादमे हुनक पुत्र
राम सेवक बाबू सेहो मैथिली पढ़ौलनि | बमबम मास्टर साहेब
केमिस्ट्री पढ़ौलनि, ओ बलिया (भैरव) गामक छलाह |
पढाइ बड सुंदर होइत छलैक |खूब मोनसँ
मास्टर साहेब सभ पढबैत छलाह |
हम बहुत कुशाग्र बुद्धिक बालक नै छलहुँ जे कोनो विषय एक बेर पढलासँ
याद भ’ जाए |हम अभ्यास खूब करैत छलहुँ
|
क्लासमे जे पढ़ाइ होइत छलै, तकरा
घुरती काल रस्तामे याद करैत अबैत छलहुँ |गामपर साँझमे फेर एक
बेर याद करैत छलहुँ | गणित आ विज्ञानमे काल्हि जे पढाइ हेतै
तकरा एक बेर पढ़ि जाइत छलहुँ |अइसँ लाभ ई होइत छल जे क्लासमे
जखन पढाइ होइत छलै त ठीकसँ बुझि जाइत छलिऐक | जौं कतहु नै
बुझाएल त ठाढ़ भ’क’ पुछि लैत छलियनि |मास्टर साहेब बुझा दैत छलाह, फेर कोनो दिक्कत नै रहि
जाइत छल |
पढाइक ई तरीका बाबू सिखौने छलाह |एहिसँ
बहुत लाभ भेल |
स्कूलमे प्रतियोगिताक वातावरण नै छलैक |
आठमा-नौमामे हमर संगी छलाह राजेंद्र झा,
मुनीन्द्र नारायण दास,मोद नारायण झा, शमीम अहमद आदि |
आठमाक अर्ध-वार्षिक परीक्षामे एडवांस्ड मैथमेटिक्समे चारिटा सवाल रहै,
तीनटाक जवाब देबाक छलैक |
महावीर बाबू नंबर सुनौलथिन ---जगदीश चन्द्र ठाकुर –नाइंटी नाइन - हाइएस्ट |
ओ हमर छात्र जीवनक सभसँ बेशी
आनन्ददायक दिन छल |
एलीमेंट्री मैथमेटिक्समे सेहो बहुत नीक अंक आएल |फिजिक्स आ केमिस्ट्रीमे बहुत नीक नै रहय |
सब विषय मिलाक’ क्लासमे हमर स्थान
प्रथम रहल |
पाठ्य-पुस्तकमे मैथिली कथा-कविता सभ पढ़ब नीक लगैत छल,
तथापि, गणित हमर सभसँ प्रिय विषय भ’ गेल
छल |
कोनो भारी सवाल जखन बनि जाइत छल त बड्ड आनन्द अबैत छल |
हमर सभसँ छोट मामा सेहो ओही स्कूलमे पढैत छलाह,
हमरासँ दू क्लास आगाँ |
मामा बहुत तेज छलाह, क्लासमे प्रथम अबैत
छलाह |
मामा दसम कक्षामे प्रथम एलाह, हम आठम
कक्षामे |
गर्मीक अवकाशमे मामा गाम जाइत छलहुँ आ जे सवाल सब अपना कठिन लगैत छल
से हुनकासँ बुझि लैत छलहुँ |
नवम कक्षामे सेहो हमर स्थान प्रथम रहल |
दसम कक्षामे कोनो बलौर स्कूलसँ एलाह नागेन्द्रजी,ओ बलिया (भैरव )गामक
छलाह, बालेश्वर झा,मधुकान्त झा सेहो ओही गामक छलाह | नागेन्द्रजीसँ
हमर प्रतियोगिता भेल |
हम अपन स्थान प्रथम रखबा लेल बहुत प्रयास केलहुँ |हमरा लाज होइत छल ई सोचि क’
जे क्लासमे हमर स्थान छिना ने जाए | हमरा जतेक
गणितमे मोन लगैत छल ततेक फिजिक्स आ केमिस्ट्रीमे नहि | दसमीक
अर्द्ध-वार्षिक परीक्षाक समय हमरा अबोग्राडोक परिकल्पना याद नै होइत छल आ ओ प्रश्न
एबे करतै से लगैत छल | हम एकटा चलाकी केलहुँ |
घरे पर एकटा पन्नापर संभावित प्रश्नक जबाब लीखिक’
ओहि विषयक परीक्षाक दिन संगे नेने गेलहुँ आ अन्य प्रश्नक जबाब लीखिक’ एहि पन्नाकें प्राप्त कॉपीमे नाथि देलिऐ |परीक्षा द’
क’ चल एलहुँ |
दूनू कागजक रंग भिन्न छलै तें चोरी पकड़ाएब निश्चित छल |एकदिन राम सेवक बाबू मास्टर साहेब हमरा फूटमे बजाक’ पुछलनि,
हुनका बमबम मास्टर साहेब कहने छलखिन |हम अपन
गलती स्वीकार करैत हुनका कहलियनि जे जीवनमे फेर कहियो एहेन गलती नै करब |
कॉपी बमबम मास्टर साहेब देखने रहथिन | ओ आ राम सेवक बाबू लगभग एके समय स्कूलमे आएल छलाह | राम
सेवक बाबू हमर मामा गामक छलाह | बमबम मास्टर साहेब
नागेन्द्रजीक गामक छलाह |दूनू गोटे आपसमे गप केलनि आ बमबम
मास्टर साहेब राम सेवक बाबूक माध्यमसँ हमरा समझा देलनि, से
हमरा नीक लागल |
हमरा क्लासमे
सबहक सोझाँ नै कहल गेल, से हमरा लेल बहुत पैघ बात छल |एहि घटनाक सकारात्मक प्रभाव हमरा पर पड़ल | अपन दूनू
शिक्षक महोदयक प्रति हमर श्रद्धा बढि गेल | हम एसगरमे कनलहुँ
| मोनसँ पाश्चाताप केलहुँ आ फेर एहेन गलती कहियो जीवनमे नै
करबाक संकल्प लेलहुँ |
हम आइयो श्रद्धासँ दूनू मास्टर साहेबकें स्मरण करैत सोचैत छी जे
विद्यार्थीकें कोनो गलतीपर ओकरा बिना अपमानित केने, एसगरमे बजाक’ ओकरासँ मित्रवत बात क’क’ गलतीक निराकरणक विधि कतेक कारगर भ’ सकैत अछि |
एहि घटनाक बाद हमर मोन हल्लुक भ’ गेल |
आब दोसर स्थान पर रहब सरल भ’ गेल | नागेन्द्रजीक लेल मोनमे मित्रता आ सहयोगक भाव उत्पन्न भेल | ओ स्वयं बहुत सरल आ नीक स्वभावक छलाह |
हमरा जतेक अंक भेटब उचित छल, से
भेटल | नागेन्द्रजी प्रथम एलाह, हम
दोसर स्थानपर रहलहुँ |दसमी-एगारहमीमे इएह स्थिति रहल |
1965 मे मैट्रिकक परीक्षामे हमरा 648 अंक आएल, नागेन्द्रजीकें 665, हमरासँ 17 अंक बेशी |
गणितमे दू पेपर छलै | हमरा
दुनूमे 99-99 आएल | हुनका एकटामे 100 मे 100 एलनि |
फिजिक्स, केमिस्ट्रीमे हमरासँ बेशी अंक रहनि |
चारि-पाँच सालक बाद नागेन्द्रजीक
संग पटनामे दू दिन छलहुँ, ओ किछु अवधि तक इंडियन नेशन प्रेसमे काज केलनि, बादमे बोकारोमे
नोकरी केलनि, मास्को सेहो गेल छलाह, संपर्क किछु साल धरि बनल रहल, एखन कत’ छथि आ
कोना छथि से जिज्ञासा अछि .....
(क्रमशः )
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