Saturday, 10 December 2022

 

                            आँखिमे चित्र हो मैथिली केर

                                    (आत्मकथा)

                                                            2.

                                भिट्ठी आ पंडौलक खिस्सा

 

मिडिल स्कूल :

 

पाँचमा पास केलाक बाद मिडिल स्कूल,भिट्ठीमे हमर नाम लिखाएल गेल |

ई स्कूल घरसँ दू किलोमीटर पर छल |

ओइ स्कूलमे सोहरायके हमर पीसा सेहो शिक्षक छलाह,                                नाम छलनि बिन्देश्वर झा  | पीसाक सुझावक अनुसार हम गाम परसँ चारि एक्सरसाइज हिंदीसँ अंग्रेजी ट्रांसलेशन बना कजाइत छलहुँ |

दुपहरमे टिफिन टाइममे हुनका लग लजाइ छलहुँ |

ओ सही कदै छलाह |

गलती दोबारा नै हो से ध्यान रखैत छलहुँ |

गणित आ अंग्रेजी पढबामे नीक लगैत छल |अन्य विषयमे कम मोन लगैत छल |

स्कूलमे प्रतियोगिताक वातावरण नै छलै |

नेतरहाटमे नाम लिखेबाक लेल परीक्षामे सम्मिलित भेलहुँ | सफल नै भेलहुँ |

मुदा,सातमामे कक्षामे सबसँ बेशी प्राप्तांक आएल |

 

शान्तिक खोजमे अशांति :

 

आङनमे चारि घरवासी रहबाक कारण सदिखन टोना-मेनी होइत रहै छलै |जखन-तखन हल्ला-गुल्ला होइत रहब सामान्य बात भगेलै | हमर पिता घरारी अलग करबाक विकल्प चुनि लेलनि | एहि निर्णयसँ लाभ ई भेलै जे हम सभ हल्ला-गुल्लासँ अलग भगेलहुँ | हानि ई भेल जे  रहबा लेल कहुना घर त ठाढ़ भगेल मुदा तीन साल तक भराइ चलैत रहल |ओ खेत छलै, गहींर छलै |बहलमान बड़द जोति ककटही गाड़ी टोलसँ दक्षिण बाध लजाइ छल | ओतकोदारिसँ माटि  काटि  गाड़ीपर लादि कघर अबैत छल | बाबा गाड़ीक संग जाइ छलाह, अबै छलाह | खेतमेसँ माटि उठाकगाड़ीपर रखैत छलाह | कहियो कबाबाक संग हमहूँ  जाइत छलहुँ  |

घर बनयबामे जतेक खर्चक अनुमान कएल गेल छलै ताहिसँ बहुत बेशी खर्च भेलै |

दू टा घर बनल | पछबारी कात एकटा भनसा घर जाहिमे पच्छिम- दक्षिण कोनमे भगवती रहलीह, पूब दिस चिनुआर भेल | घरमे किछु कोठी बनाकराखल गेल |

बीच घरमे सेहो भोजन करबा लेल जगह छल |दुआरि पर सेहो भोजन कएल जाइत छल | दुआरि पर घैलची बनल जाहिमे पीयवला पानिक दूटा घैल रखबाक जगह छलै |

दक्षिण कात घर बनल जाहिमे किछु कोठी सभ राखल गेल, एकटा पलंग

राखल गेल | ओकर दुआरिपर जाँत छल |

उत्तरसँ एकटा दरबज्जा बनल | ताहिमे पच्छिम दिससँ एकटा छोट-छीन कोठली निकालल गेल जाहिमे लकड़ीक एकटा टेबुल आ एकटा कुरसी राखल गेल |पूब उत्तर कोनमे एकटा चक्का बनाओल गेल |

 

आङनमे एकटा ढेकी गरायल |आङन नमहर भेल | घर सभ बाँस, लकड़ी, खढ आ साबेक जौड़सँ बनल |समय बहुत लगलै | खर्च बहुत लगलै |

एकर प्रभाव जीवन-यापन पर पड़लै |

एहि बीच हमर पढ़ाइ-लिखाइ जेना-तेना चलैत रहल

 

कान त सोन नहि : 

जे कर्पूरा एकटा बच्चाक बाट 12 बरख तकलनि, हुनका 6 टा बच्चा भेलनि, तीन टा बेटा, तीन टा बेटी | मुदा आब घरक आर्थिक स्थिति एहेन भगेलनि जे पहिलो बेटीक बियाहक लेल सक्षम नहि रहलीह | पहिल बेटी शान्तिक पढाइ ओतबे भेलनि जते अपन छलनि |

12 बरख पुरैत-पुरैत शांतीक लेल बर ताकब  शुरू भ’ गेल | सभकें चिंता भेलनि |दाइ (दादी) कें सेहो पोतीक विवाह देखबाक तेहेन अभिलाषा जागृत भगेलनि जे एकटा अशिक्षित द्वितीय बरमे सेहो सभ गुण देखाय लगलनि | किछु लोको सभ प्रशंसा केलकनि, माथपर दू बीघा खेत छै, खुट्टापर महींस-बरद छै, पोखरि छै, पोखरिमे माँछ खूब होइछै |

हमर पिता कलकत्तामे प्रेसमे काज केने छलाह, दरभंगामे नोकरी केने छलाह |हमरा विवाहक लेल बहुत दिन धरि अड़ल रहलाह मुदा बेटीक विवाह लेल किए एतेक धड़फड़ा गेलाह, हमरा बहुत दिन धरि नहि बुझाएल | ओना जे कियो बाहर नहि गेल छलाह, हुनका सभ लेल ई सामान्य बात छलै |

ओइ समयमे लोक बेटीकें पढ़ाएब ठीक नै बुझैत छल |

लगमे स्कूल नै छलै |पढ़बा लेल बेटीकें दूर पठाएब अनुचित मानल जाइत छलै |बेटीक बियाहक लेल उपयुक्त वयस 12 वर्ष धरि मानल जाइत छलै |कोनो शास्त्रमे लिखल छलै(हम नै पढ़ने छी ) जे बेटीक विवाह १२ वर्षसँ पहिने करा देबाक चाही ने त पिता पापक भागी हेताह |

लोक शास्त्रक एहि आदेशक पालन करब कर्तव्य बुझैत छल |

मान्यता ई छलै जे बेटी पराया धन थीक, कहुना सकुशल अपन सासुर चल जाए से लोकक लक्ष्य होइत छलै |

वियाह ककरा संग भ’ रहल छै, से बात महत्वपूर्ण नहि होइत छलैक,

बियाहक विधि-व्यवहार महत्वपूर्ण होइत छलै |

विधि-व्यवहार आसान नै छलै |

विवाहमे वरियाती एतै | वरियातीक भोजनक व्यवस्था करब सबसँ महत्वपूर्ण काज होइत छलै |रंग-विरंगक 21 टा कि 31 टा तरकारी बनतै |तौलाक तौला दही पौड़ल जेतै |रसगुल्ला जबरदस्ती पचास-पचास टा खुआएल जेतै |चारि-पाँच दिन पर चतुर्थी हेतै |बीचमे सभ दिन मौह्क हेतै |गीत-नाद होइत रह्तै | चतुर्थीक बाद नीक दिनमे जमाएकें बिदाई दविदा कयल जेतनि |

जमाए 10 दिन कि 15 दिन पर अबैत रहताह | हुनका सासुरमे जबरदस्ती 10-10, 20-20 दिन राखल जेतनि | ओकर बाद पंचमी हेतै | तखन मधुश्रावनी हेतै | मधुश्रावनीमे  पन्द्रह दिन धरि बेटी फूल लोढ़तीह |कथा-पूजा हेतै |गीत-नाद होइत रह्तै |बेटाबला नोत पूरय एताह |चारि-पाँच दिन रहताह |हुनका ओहिना भोजन कराओल जेतनि जेना वरियातीकें कराओल जाइत छनि |हुनका नीक बिदाइक संग बिदा कयल जेतनि | तकर  बाद कोजगरा हेतै | कोजगरामे बेटीवला मखान,दही,केरा,चूड़ाक भारक संग लड़काक ओतएताह |हुनको चारि दिन राखल जेतनि |तकर  बाद गंजी,धोती,कुरता,डोपटा, पाग आदि दविदा कयल जेतनि |

तकर बाद जराउर हएत |

सभ पावनिमे दुनू दिससँ भार-चङेराक आदान-प्रदान होइत रहत |

तीन अथवा पाँच साल पर द्विरागमन हएत | एहि बीच लड़का अपन सासुर अबैत-जाइत रहताह |

विवाहक सम्पूर्ण कार्यक्रममे एहि तरहें तीनसँ पाँच साल लागि जाइत छलै | ई छलै परम्परा | एकरा संग छलै बहुत रास विधि-व्यवहार जकरा आगाँ  बेटीक इच्छा-आकांक्षाकें कोनो महत्व नै देल जाइत छलै |

कोनो बेटी अपन इच्छा-आकांक्षाकें कहियो प्रगट नै करैत छलीह |दू-तीन टा बच्चा भेलाक बादे बेटी किछु बजबाक साहस जुटा पबैत छलीह |

 

पन्द्रहम बरख पुरैत-पुरैत शान्ती अपन सासुरक परिवारमे शामिल भगेलीह |

हमर पिता  एकटा बेटीक विवाहसँ निश्चिंत भ’ गेलाह |

 

 

 

बाल-मण्डली :

टोलमे हमर संगी छलाह राजेंद्र ठाकुर,आशानन्द ठाकुर,बैद्यनाथ ठाकुर, खेलानन्द ठाकुर ( बाबू नारायण ),राम परीक्षण झा, फकीर चन्द्र दास, नगेन्द्र भूषण मल्लिक आ किछु  गोटे और | एहिमे किछु गोटे हमरासँ  एक कक्षा  आगू छलाह | सभ गोटे साँझकफुट-बॉल खेलाइत छलहुँ |

बादमे सभ गोटेक निर्णय भेल जे हम सभ गाममे स्वच्छता अभियान चलाएब | टोलमे पोखरिकें साफ करबाक काज शुरू भेल | पोखरिक भीड़ पर भरि टोलक लोक छठि पूजा करैत छल |  

छठि पूजाक बाद एकर चिंता लोक नै करैत छल |  पोखरिमे कुम्भी बड़ भगेल रहै |बाल मंडली एकर सफाइमे लागि गेल | दस-बारह दिनमे पोखरि साफ़ भगेल | आब पोखरिक भीड़ पर एकटा पुस्तकालय बनेबाक काज शुरू भेल | भूषणजीक अक्षर बहुत सुन्दर होइत छलनि | पुस्तकालयक लेल ओ एकटा नियामावली बनौलनि, लोक सभसँ एकटा-दूटा कबाँस माङल गेल |हम सभ अपनेसँ बाँस काटि कअनैत छलहुँ | पोखरिक दछिनबरिया भीड़ पर जमा करलगलहुँ | लोक सभसँ चंदा माङल गेल | जन राखल गेल | अपनो सभ भिड़लहुँ |माटिक देबाल ठाढ़ हुअलागल |

हमर सबहक पढ़ाइ बाधित भरहल छल |

हमरा सभमे एक गोटे तमाकुल खाइत छलाह |

हमर पिता एकदिन हमरा कहलनि जे जाहि मंडलीक सदस्य तमाकुल खाइत छथि ओ मण्डली समाज-सुधार की करत |

ई बात हमरा ठीक लागल | हम मण्डलीक सदस्यकें नहि बदलि सकैत छलहुँ | हम इएह कारण लिखैत मण्डलीसँ अलग भगेलहुँ |

मण्डली किछु दिनक बाद भंग भगेलै आ पुस्तकालयक काज पूरा नै भेलै |मण्डलीसँ अलग भेला पर हम अपन ध्यान अपन पढाइ  पर केन्द्रित केलहुँ शेष सदस्य सभ सेहो अपन-अपन पढाइमे लागि गेलाह |

हमरा फुट-बॉल सेहो पसंद नै आएल | हमरा एक बेर गेंदसँ जांघमे तेहेन  चोट लागल जे सभ दिन लेल खेलसँ विरक्ति भगेल |

पिता कागतसँ खेल केनाइ सिखौलनि |

कागतसँ खेल ! कागतक दुआति बनौनाइ, कागतक नाओ बनेनाइ | हमरा ई खेल सुरक्षित लागल |

 रंग्मंचक आकर्षण :

गाममे हमर कक्का आ हुनक समवयस्की सभ नाटक खेलाइत छलाह, से हमरा नीक लगैत छल | पुबाइ टोलमे जगदीश बाबूक ओतकोनो अवसर पर बेलाहीवला नौटंकी एलै |सत्य हरिश्चंद्र, वनदेवी और कोनो-कोनो नौटंकी देखैत खूब नीक लगैत छल |एक बेर साँझ तक पता छल जे नै हेतै, त हम सब खा कसूति रहलहुँ | बहुत रातिमे निन्न टूटल त नगाराक आवाज सुनाइ पड़ल | हमरा नै रहल भेल | हम चुपचाप एसगरे  ओते रातिमे गाछी दचल गेलहुँ नौटंकी देखआ ख़तम भेलै त और लोक सभ संगे चल एलहुँ |

 

 महराजजीक कथा :

नारायणपट्टीमे हमर पिताक एकटा बहिन छलथिन |हुनक एकमात्र पुत्र रहथिन  शंकर | शंकरक उपनयन भगेल रहनि | दुर्योगसँ एक राति घरमे सूतलमे शंकरकें साँप काटि लेलकनि | ओ नहि जीबि सकलाह |बड़का शोकमे दीदीक परिवार डूबि गेल | सभ सम्बन्धी लोकनि दुःखमे पड़ि गेलाह |हमर पिता सेहो बहुत चिंतित भेलाह |घरमे सभ बहुत दुखी रहथि |एहि दुर्घटनासँ पहिने एक बच्चाक जन्मक समय दीदीक ई स्थिति भगेलनि जे देहमे खून बहुत कम बचलनि, खून चढ़ाबक आवश्यकता भगेलै |बाबू अपन खून देलखिन | दीदीक जान बँचलनि | आब ई पुत्र-शोक |

 

बाबूकें भेलनि घरक जगहकें कोनो गुनी-महात्मासँ जाँच करबियैक | एकटा महात्माजी कतहु भेटलखिन | हुनका ओ घरारी देखबलेल अनलनि | नारायणपट्टी जेबासँ पहिने चारि-पाँच दिन महात्माजी हमरा सबहक पाहुन भेलाह |ओ अपन किछु करतब देखौलनि |एकदिन ओ कहलखिन हम कागतसँ रुपैया बना देब | लोक अचंभित भेल | लोक जमा भगेल |

 

महात्माजी एकटा कागजक पन्ना लेलनि, एक लोटा पानि लेलनि |कागजपर किछु लीखि कसभकें देखाकओकरा  टुकड़ी-टुकड़ी कदेलनि | ओकरा मुँहमे धलेलनि | चिबाकलोटामे रखलनि | हाथ लोटामे धबाहर निकाललनि त ओहिमेसँ एकटा दसटकही रुपैया निकाललनि | ओइ पर ओहिना सभ चित्र आ चेन्ह सभ रहै जेना आन रुपैया सभमे रहै छै |सभ आश्चर्यचकित भगेल | महात्माजी कहलखिन जे किछु घंटाक बाद ई रुपैया पुनः कागत भजाएत, तें जतेक शीघ्र हो एकर उपयोग कलिय’ |

एक आदमी सायकिलसँ गेल पंडौल ओ रुपैया लआ ओकर मोतीचूरक लड्डू किनने आएल | सभ कियो लड्डू खेलक | सभ हुनका महाराजजी कहलगलनि |

महाराजजी कहलखिन, जे कियो सिमरिया जाए चाहै छी से तैयार होउ, हम साँझमे गाछ पर चढ़ा कचलब, ओतस्नान कसभ गोटे घूरि आएब |

दिनमे तकए गोटे तैयार भेलाह, मुदा साँझ होइते सभ डेरा गेलाह, कियो नै तैयार भेलाह |

बाबू हमरा सिखौलनि जे महाराजजी जौं पुछथि की चाही ?’ त कहबनि जे कोट-पेंट चाही | दोसर दिन महाराजजी पुछ्लनि, ‘की चाही ?’ हमरा नै कहल भेल जे कोट-पेंट चाही |हम किछु नै मांगि सकलहुँ |ई हमर स्वभाव छल |बाबू बहुत दिन तक हमर एहि स्वभावकें हमर कमजोरी मानैत रहलाह | मुदा,हमर ई स्वभाव हमर शक्ति छल,से बहुत बादमे पता चलल |

 

महाराजजी और लोक सभकें पुछलखिन, की चाही त नवयुवक सभ कहलखिन हमरा सभ गोटेकें सिनेमा देखा दिय’| महराजजी सभकें लमधुबनी गेलाह |रस्तामे कागजसँ एकटा नमरी बना कदेलखिन | सभ गोटे रातिमे घुरलाह त उदास रहथि | बजै गेलाह जे सिनेमा हॉलसँ निकलैत काल महराजजी कतबिला गेलखिन जे सभ गोटे तकैत-तकैत रहि गेलाह, नै भेटलखिन |

 

 

 

हमर हाइ स्कूलक शिक्षा :

 

1961 मे आठमामे हमर नाम पंडौल हाई स्कूलमे लिखाएल गेल |

हमरा गणित नीक लगैत छल |तें विज्ञान लेलहुँ, फिजिक्स,केमिस्ट्री आ मैथमेटिक्स |

प्रधानाध्यापक छलाह श्री अशर्फी सिंह | गणित पढ़बैत छलाह महावीर बाबू | गुप्तेश्वर बाबू अलजेब्रा आ बैद्यनाथ बाबू ज्यामिति पढ़बैत छलाह |

बच्चा बाबू मैथिली पढबैत छलाह |ओ हमरा मामा गाम रुचौलक  छलाह | हुनका हाथमे मिथिला मिहिररहिते  छलनि |बादमे हुनक पुत्र राम सेवक बाबू सेहो मैथिली पढ़ौलनि | बमबम मास्टर साहेब केमिस्ट्री पढ़ौलनि, ओ बलिया (भैरव) गामक छलाह  |

पढाइ बड सुंदर होइत छलैक |खूब मोनसँ मास्टर साहेब सभ पढबैत छलाह |

हम बहुत कुशाग्र बुद्धिक बालक नै छलहुँ जे कोनो विषय एक बेर पढलासँ याद भजाए |हम अभ्यास खूब करैत छलहुँ |

क्लासमे जे पढ़ाइ होइत छलै, तकरा घुरती काल रस्तामे याद करैत अबैत छलहुँ |गामपर साँझमे फेर एक बेर याद करैत छलहुँ | गणित आ विज्ञानमे काल्हि जे पढाइ हेतै तकरा एक बेर पढ़ि जाइत छलहुँ |अइसँ लाभ ई होइत छल जे क्लासमे जखन पढाइ होइत छलै त ठीकसँ बुझि जाइत छलिऐक | जौं कतहु नै बुझाएल त ठाढ़ भपुछि लैत छलियनि |मास्टर साहेब बुझा दैत छलाह, फेर कोनो दिक्कत नै रहि जाइत छल |

पढाइक ई तरीका बाबू सिखौने छलाह |एहिसँ बहुत लाभ भेल |

 

स्कूलमे प्रतियोगिताक वातावरण नै छलैक |

आठमा-नौमामे हमर संगी छलाह राजेंद्र झा, मुनीन्द्र नारायण दास,मोद नारायण झा, शमीम अहमद आदि |

आठमाक अर्ध-वार्षिक परीक्षामे एडवांस्ड मैथमेटिक्समे चारिटा सवाल रहै, तीनटाक जवाब देबाक छलैक |

महावीर बाबू नंबर सुनौलथिन ---जगदीश चन्द्र ठाकुर नाइंटी नाइन - हाइएस्ट |

ओ हमर छात्र जीवनक  सभसँ बेशी आनन्ददायक दिन छल |

 

एलीमेंट्री मैथमेटिक्समे सेहो बहुत नीक अंक आएल |फिजिक्स आ केमिस्ट्रीमे बहुत नीक नै रहय |

सब विषय मिलाकक्लासमे हमर स्थान प्रथम रहल |

पाठ्य-पुस्तकमे मैथिली कथा-कविता सभ पढ़ब नीक लगैत छल,

तथापि, गणित हमर सभसँ प्रिय विषय भगेल छल |

कोनो भारी सवाल जखन बनि जाइत छल त बड्ड आनन्द  अबैत छल |

हमर सभसँ छोट मामा सेहो ओही स्कूलमे पढैत छलाह, हमरासँ दू क्लास आगाँ |

मामा बहुत तेज छलाह, क्लासमे प्रथम अबैत छलाह |

मामा दसम कक्षामे प्रथम एलाह, हम आठम कक्षामे |

गर्मीक अवकाशमे मामा गाम जाइत छलहुँ आ जे सवाल सब अपना कठिन लगैत छल से हुनकासँ बुझि लैत छलहुँ |

नवम कक्षामे सेहो हमर स्थान प्रथम रहल |

दसम कक्षामे कोनो बलौर स्कूलसँ एलाह नागेन्द्रजी,ओ बलिया (भैरव )गामक छलाह, बालेश्वर झा,मधुकान्त झा सेहो ओही गामक छलाह  | नागेन्द्रजीसँ हमर प्रतियोगिता भेल |

हम अपन स्थान प्रथम रखबा लेल बहुत प्रयास केलहुँ |हमरा लाज होइत छल ई  सोचि कजे क्लासमे हमर स्थान छिना ने जाए | हमरा जतेक गणितमे मोन लगैत छल ततेक फिजिक्स आ केमिस्ट्रीमे नहि | दसमीक अर्द्ध-वार्षिक परीक्षाक समय हमरा अबोग्राडोक परिकल्पना याद नै होइत छल आ ओ प्रश्न एबे करतै से लगैत छल | हम एकटा चलाकी  केलहुँ |

घरे पर एकटा पन्नापर संभावित प्रश्नक जबाब लीखिकओहि विषयक परीक्षाक दिन संगे नेने गेलहुँ आ अन्य  प्रश्नक जबाब लीखिक’  एहि पन्नाकें प्राप्त कॉपीमे नाथि देलिऐ |परीक्षा दचल एलहुँ |

दूनू कागजक रंग भिन्न छलै तें चोरी पकड़ाएब निश्चित छल |एकदिन राम सेवक बाबू मास्टर साहेब हमरा फूटमे बजाकपुछलनि, हुनका बमबम मास्टर साहेब कहने छलखिन |हम अपन गलती स्वीकार करैत हुनका कहलियनि जे जीवनमे फेर कहियो एहेन गलती नै करब |

कॉपी बमबम मास्टर साहेब देखने रहथिन | ओ आ राम सेवक बाबू लगभग एके समय स्कूलमे आएल छलाह | राम सेवक बाबू हमर मामा गामक छलाह | बमबम मास्टर साहेब नागेन्द्रजीक गामक छलाह |दूनू गोटे आपसमे गप केलनि आ बमबम मास्टर साहेब राम सेवक बाबूक माध्यमसँ हमरा समझा देलनि, से हमरा नीक लागल |

 हमरा क्लासमे सबहक सोझाँ नै कहल गेल, से हमरा लेल बहुत पैघ बात छल |एहि घटनाक सकारात्मक प्रभाव हमरा पर पड़ल | अपन दूनू शिक्षक महोदयक प्रति हमर श्रद्धा बढि गेल | हम एसगरमे कनलहुँ | मोनसँ पाश्चाताप केलहुँ आ फेर एहेन गलती कहियो जीवनमे नै करबाक संकल्प लेलहुँ |

हम आइयो श्रद्धासँ दूनू मास्टर साहेबकें स्मरण करैत सोचैत छी जे विद्यार्थीकें कोनो गलतीपर ओकरा बिना अपमानित केने, एसगरमे बजाकओकरासँ मित्रवत बात कगलतीक निराकरणक विधि कतेक कारगर भसकैत अछि |

एहि घटनाक बाद हमर मोन हल्लुक भगेल | आब दोसर स्थान पर रहब सरल भगेल | नागेन्द्रजीक लेल मोनमे मित्रता आ सहयोगक भाव उत्पन्न भेल | ओ स्वयं बहुत सरल आ नीक स्वभावक छलाह |

 

हमरा जतेक अंक भेटब उचित छल, से भेटल | नागेन्द्रजी प्रथम एलाह, हम दोसर स्थानपर रहलहुँ |दसमी-एगारहमीमे इएह स्थिति रहल |

 

1965 मे मैट्रिकक परीक्षामे हमरा 648 अंक आएल, नागेन्द्रजीकें 665, हमरासँ 17 अंक बेशी |

गणितमे दू पेपर छलै | हमरा दुनूमे 99-99 आएल | हुनका एकटामे 100 मे 100  एलनि |

फिजिक्स, केमिस्ट्रीमे हमरासँ बेशी अंक रहनि |

 

चारि-पाँच  सालक बाद नागेन्द्रजीक संग पटनामे दू दिन छलहुँ, ओ किछु अवधि तक  इंडियन नेशन प्रेसमे काज केलनि, बादमे बोकारोमे नोकरी केलनि, मास्को सेहो गेल छलाह, संपर्क किछु साल धरि बनल रहल, एखन कत’ छथि आ कोना छथि से जिज्ञासा अछि .....

(क्रमशः ) 

 

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