Saturday 10 December 2022

 

            

 

                आँखिमे चित्र हो मैथिली केर

                    ( आत्मकथा )

                           6. मृगतृष्णा आ कि पशुपतिनाथक दर्शन !

 1969 मे प्रथम वर्षमे पचास गोटेक नामांकन भेल रहनि |

ओहिमे सँ दुलार चन्द्र  मिस्त्रीकें मेडिकलमे भ’ गेलनि, त ओ चल गेलाह |

शेष उनचास गोटे उत्तर बिहारक विभिन्न जिलाक, भिन्न-भिन्न सामाजिक, आर्थिक आ शैक्षणिक पृष्ठभूमिक छलाह | विभिन्न स्वभाव आ संस्कारसँ युक्त सभ गोटेक एक अनुशासनमे एकहि छात्रावासमे  रहब, एक संग भोजन-जलखै करब, एक संग कक्षामे जाएब सभ दिन उत्सव जकाँ लगैत छलै |

 मोन पड़ैत छथि नारायण मिश्र,अशोक कुमार ठाकुर, नन्द कुनार झा, रामाधीन ठाकुर, अवधेश प्रसाद, राम नरेश प्रसाद,कंचन साह, कृष्ण मुरारी, कृष्ण कुमार, बृज किशोर सिंह, समरेन्द्र नारायण सिंह, सत्येन्द्र प्रसाद सिंह, ब्रज भूषण शर्मा, प्रेमचन्द केसरी आ और बहुत गोटे जिनकर नाम एखन  नहि मोन अछि | अपनामे मैथिलीएमे गप करबाक कारणे  नारायण मिश्रजी,आशोक कुमार ठाकुरजी,  नन्द कुमार झाजी  आ रामाधीन ठाकुरजीक संग हम बेशी सहज अनुभव करैत छलहुँ | नारायण मिश्र जी बनगाम (सहरसा)क छलाह, अशोक कुमार ठाकुर जी डुमरिया (पूर्णियाँ) आ नन्द कुमार झा जी मोहना, झंझारपुर ( मधुबनी)क छलाह | हिनका सभसँ सम्पर्क बादहुमे रहल, ठाकुरजीसँ संपर्क एखनहु अछि |

मोन पडैत छथि आदरणीय श्री अयोध्या प्रसाद मिश्र, प्राचार्य आ प्राध्यापकगणमे केमिस्ट्रीक श्री एन.के.सिन्हा आ श्री बी.डी. सिंह,हॉर्टिकल्चरक  श्री के.पी.सिंह, बोटनीक  श्री एस. श्रीवास्तव,एग्रोनोमीक  श्री टी. डी. सिंह, श्री एस.एन. ओझा आ श्री के एल ओझा, इकोनॉमिक्सक  श्री एन.के. सिंह, आ ईंटोमोलोजीक अखौरी रमाकांत प्रसाद |

कॉलेजमे पढ़ाइ नीक होइत छलै | एकोटा क्लास खाली नै जाइ छलै |

समय-समयपर नाटक आ अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम सेहो होइ छलै |

कॉलेज आ छात्रावास सभ ठाम हम सभ नीक अनुभव क’ रहल छलहुँ | तैयारी नीक चलि रहल छल | वार्षिक परीक्षाक समय सेहो निकट अबैत जा रहल छल | एकटा अन्हड़ एलै |

 

कॉलेजमे कृषि राज्य मन्त्री एलाह | हॉलमे हुनकर भाषण भेलनि |

ओ कहलखिन जे सरकार निर्णय ल’ रहल अछि जे कृषि  स्नातक लोकनिकें आब नोकरीक बदलामे 10  एकड़ खेत देल जेतनि, बैंकसँ जरुरतिक अनुसार कर्ज देल जेतनि | बैज्ञानिक ढंगसँ खेती करताह, आनन्दसँ जीवन-यापन करताह |

भाषण सूनि बहुत गोटे निराश भेलाह | हमहूँ निराश भेलहुँ | हम सभ चाहैत छलहुँ नोकरी जाहिमे रौदी-दाहीक प्रभाव नहि पड़ैत छलै |ओहि समय बी.एस.सी.(ए जी) केलाक बाद जल्दी नोकरी भेटि जाइ छलै, ई पैघ आकर्षण छलै सबहक लेल, मुदा  मंत्रीजी आबिक’ सभ छात्रकें हतोत्साहित क’ देलखिन !

बाबा गृहस्थ छलाह | पिता गृहस्थ छलाह | खेतीक अनुभव नीक नहि छलनि |चारि-पाँच बीघा खेतक उपजसँ घरक आवश्यकतानुसार अन्न नहि प्राप्त होइत छलैक | कर्ज लेब’ पड़ैत छलै | खेत भरना धर’ पड़ैत छलै |लोक विपन्नतामे जीवन-यापन करैत छल | कियो नहि चाहैत छल जे ओकर धिया-पूता सभ सेहो अहिना अभावमे जीबए |

रातिमे निन्न नहि भेल | आब की करब | इंजीनियरिंग पढ़िक’ लोक बैसल रहैत छल से जानि ओम्हर नहि गेलहुँ | मेडिकलमे नामांकन भेल नै | ई पढ़िक’ नोकरी भेटत नै | त’ आब की करब ?

पढ़ाईसँ मोन उचटि गेल |

अगिला शनि दिन साँझमे गाम पहुँचलहुँ  |

तेसर  दिन एकटा कन्यागत पहुँचलाह | हुनका नेपालक नागरिकता छलनि |  बायोलॉजी विषयक संग हमर प्राप्तांकक आधारपर कहलनि, नेपाल सरकार द्वारा अहाँक नामांकन मेडिकलमे  कराओल जा सकैत अछि, एहि लेल हमरा कन्यासँ विवाह करबाक स्वीकृति देब’ पड़त | हुनक कन्या दस बरखक छलथिन, पाँचमामे पढैत छलखिन |

ई प्रस्ताव हमरा सभ गोटेकें चिन्तामे  ध’ देलक |

निर्णय लेब कठिन लगैत छल | कन्यागत एकटा विचार देलनि | विचार भेल जे हुनका संगे काठमांडू जाइ | देखी जे ऐ साल की भ’ सकै छै | तखन जे विचार हो से करी | अपन कन्याकें ओ देखा देलनि |

चारि दिनक बाद हम सभ काठमांडूमे रही |

हमर मार्क्स शीट ल’ क’ ओ गेलीह | हुनकर निकटक कोनो सम्बन्धी छलखिन नेपाल सरकारमे | हुनकासँ भेंट क’ क’ एलीह | दू दिनक बाद परिणाम सुनौलनि जे ऐ साल मेडिकलक कोटा समाप्त भ’ गेल छै, इंजीनियरिंगमे जाए चाही त भ’ सकैए, कराँची आ अफ्रीकाक लेल सीट खाली छै, मेडिकलमे जेबाक लेल एक साल प्रतीक्षा कर’ पड़त |

हमरा निर्णय लेबामे सुविधा भेल | हम निर्णय लेलहुँ | मेडिकल लेल आब एक साल प्रतीक्षा नहि करब | इंजीनियरिंग पढ़बाक लेल कराँची आ कि अफ्रीका  नहि जाएब |

 बाबा पशुपतिनाथक दर्शन क’ क’ गाम घुरि एलहुँ | बाबूकें-माएकें  सभ बात कहि देलियनि | दू-तीन दिनक बाद  ढोलीक लेल प्रस्थान  केलहुँ | ढोली अबैत काल अपन अभिभावक स्वयं बनल एलहुँ : की हेतै, एकठाम पाँच-दस एकड़ खेत रहै आ वैज्ञानिक विधिसँ खेती कएल जाए त किए ने लोक नीक जकाँ जीवन-यापन क’ सकैए ? गामक स्थिति नीक एहि लेल नै छै जे ओत’ पटौनीक उपयुक्त साधनक अभाव छै आ वैज्ञानिक ढंगसँ खेती नै भ’ रहल छै | नोकरीमे ट्रान्सफरक झंझट लागल रहै छै, तैसँ त बाँचल रहब |

ढोली पहुँचलाक बाद ई अनुभव भेल जे पन्द्रह दिन कॉलेजसँ अनुपस्थित रहिक’ हम बहुत पैघ गलती क’ चुकल छी | आब एहि गलतीक परिणाम सेहो एतैक | मुदा आब हमरा हाथमे की छल, जे संभव भ’ सकैत छैक से करब ठनलहुँ |

परीक्षाक तिथिक घोषणा भ’ चुकल छलै |  पच्चीस दिन शेष छलैक आ पढाइ समाप्त भ’ गेल छलैक |एतबे दिनमे जतेक पढाइ भ’ गेल छै, तकर तैयारी कोना करब, से समस्या छल | हमर जे निकटतम संगी सभ छलाह हुनका सबहक नोट बुक देखिक’, हिनका सभसँ पूछि-पाछिक’ जे पढाइ भ’गेल  छलै, तकर तैयारीमे लागि गेलहुँ |

ठाकुर जीक तैयारी नीक छलनि, मदति केलनि, क्षतिकें कम-सँ-कम करबाक प्रयासमे  लागि गेलहुँ | प्रैक्टिकल क्लासमे अनुपस्थित रहबासँ भेल क्षतिकें कम करब संभव नहि  छल | ईहो बूझल छल जे ऐ सालक परीक्षा-परिणामक प्रभाव तीनू सालक औसत परिणामपर पड़त | ऐ साल जौं प्रथम श्रेणीमे नै एलहुँ, त अंतिम परिणाम प्रथम श्रेणी नै भ’ सकत | मोनकें मजबूत बनाक’ जे क’ सकैत छलहुँ, ताहिमे लागि गेलहुँ |

एग्रोनोमीक प्रोफेसर एस.एन.ओझाजी कहलनि,’तुम्हारे भाग्य में यही लिखा हुआ है,कहाँ भाग-भाग कर जा रहे हो ?’

एक-दू दिन स्वयंसँ लड़ैत रहलहुँ |

एके स्थिति छलै सबहक लेल, मुदा हम किए एतेक प्रभावित भ’ गेलहुँ ?

ठाकुर जी एम.एस.सी.(एजी ) करबाक निर्णय केने छलाह | झाजी सेहो विचलित नहि भेलाह | मिश्रजी सेहो स्थिर छलाह | किछु गोटे सोचि नेने छल ‘जे हेतै देखल जेतै |’ हमहीं किए एते चिन्तित भ’ गेलहुँ ?

एक गलती पहिने केलहुँ जे एडमिशन ल’क’ फेर नाम कटाक’ बायोलॉजी पढ़’ चल गेलहुँ  | दोसर ई जे मेडिकल पढबाक लोभमे एकटा अप्रिय समझौता करबाक लेल तैयार भ’ गेलहुँ  आ सलमपुरसँ काठमांडू पहुँचि गेलहुँ  | एहि निर्णयक लेल हमरापर कोनो दबाब त नहि छल | एहिमे हमर पिता-माताक त कोनो दोख नहि छलनि |

ओझाजीक टिप्पणी सोझाँ आबि जाइत छल ‘ तुम्हारे भाग्य में .......’

त की नेपाल जेबाक निर्णय लेब आ फेर वापस एबाक निर्णय - इहो सभ भाग्यमे लिखल छल हेतै ?

भाग्यक बात सही होइ कि नै होइ मुदा हतोत्साहित हेबासँ बचबाक लेल ई पैघ मन्त्र जकाँ काज करैत अछि | अहाँ अपन बुद्धि आ विवेकक  उपयोग करैत सभ काज करैत चलू  आ परिणाम जे आबय तकरा यैह सोचिक’ मोनकें मजबूत बना लिय’ जे यैह हेबाक छलै तें चिन्तामे डूबल रहबाक काज नै छै | एहिमे संगी-साथी सभक सहयोग सेहो महत्वपूर्ण होइत अछि | हमरा संगी-मित्र सबहक सहयोग भेटल जाहिसँ जे समय बाँचल छलै परीक्षाक लेल, ताहिमे संभावित क्षतिकें कम-सँ-कम  करबामे दिन-राति लागि गेलहुँ |

अपना मोनकें मजबूत बनाक’ राखब  सेहो हल्लुक काज नै छै, मुदा जीवनमे कतेक बेर एकर आवश्यकता पड़ैत छैक | कतेक गोटेक मूँहें सुनने रही ‘नेपाल जाएब, कपार संगे जाएत |’ एहि उक्तिक सकारात्मक पक्षपर विचार केलहुँ |

हमर मोन आब मानि गेल रहय जे बाबा पशुपतिनाथ अपन दर्शनसँ लाभान्वित करबाक लेल हमरा कोनो लाथे बजा लेलनि आ मोन स्थिर करबाक लेल उचित सलाह दैत घुरा देलनि |

ओहि समयमे हम सभ एहि तथ्यसँ  एकदम अनभिज्ञ रही जे चौदह टा बैंकक  राष्ट्रीयकरण भ’ गेल छै आ निकट भविष्यमे कृषि स्नातक सबहक लेल एहि  बैंक सभमे भर्ती-अभियान शुरू होइ बला छै |…….            

 ( क्रमशः )

 

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