Saturday 10 December 2022

 

                                   आँखिमे चित्र हो मैथिली केर

                      (आत्मकथा )

                        8.स्वयंसँ साक्षात्कार

सिंह साहेबक बात सत्य सिद्ध भेल | मिश्र जी कें कोनो क्षति नै भेलनि |

एक मासक बाद रिजल्ट निकललै | सभकें अपन-अपन तपक अनुसार परीक्षा-फल प्राप्त भेलनि |

ठाकुर जी (अशोक कुमार ठाकुर) प्रथम श्रेणी मे प्रथम स्थान पौलनि |

झाजी आ मिश्र जीक संग हमहूँ द्वितीय श्रेणीमे उतीर्ण भेलहुँ | हमरा लगभग छप्पन  प्रतिशत अंक प्राप्त भेल | अंतिम वर्षक परिणाम एहिसँ अधलाह नहि हो, से ध्यानमे राखि दोसर वर्षमे पढ़ाइ-लिखाइ प्रारंभ भेल |

आब मात्र एकटा लक्ष्यपर ध्यान केन्द्रित केलहुँ |                          आब गामो जाएब कम क’ देलहुँ |गामसँ मासे-मासे आवश्यकतानुसार पाइ मनीआर्डर द्वारा प्राप्त भ’ जाइ छल |किछु मास पछिला सालक छात्रवृतिक पाइ सेहो संग देलक | मुदा ओ पर्याप्त नहि छल, तें गामसँ सेहो मनीआर्डरक प्रतीक्षा रहैत छल |

गाममे पाइक व्यवस्था कोना होइत छलै,से हम नहि बुझि पबैत छलहुँ |पिता नै चाहैत छलाह जे घरक समस्यासँ हम अवगत होइ | गाममे छलहुँ त देखने छलहुँ जे समय-समयपर भार-चङेरा, ब्राह्मण-भोजन चलैत रहैत छलै | मुदा, ओकर व्यवस्था कोना होइत छलै, ताहि तथ्यसँ अनभिज्ञ रहैत छलहुँ |

एक बेर गामसँ मनीआर्डर एबामे बहुत देरी भ’ गेल | मिश्रजीसँ तत्काल किछु पैंच ल’ क’ काज चला लेलहुँ आ फेर गाम चिट्ठी लिखलहुँ | तकर बादो बहुत देरी भेलै, तखन चिन्ता भेल, पैंच सधाबक छल आ दोसर मासक खर्च लेल सेहो आवश्यकता छल | गाम पहुँचलहुँ |

पता चलल जे बाबू दू कट्ठा खेत भरना ध’ क’ पाइक व्यवस्थामे लागल छलाह, मुदा नै भ’ रहल छलनि |

एहि बेर बाबूकें बहुत असहाय देखलियनि | एक ठाम पाँच कट्ठामे गहुम लागल छलनि | गहूम दू मासमे कटितै, अहीपर साल भरिक खर्च निर्भर करतैक | ई कोना भरना लगा देल जाए | एकरा भरना राख’ चाहथि, त तुरत पाइक व्यवस्था भ’ सकै छनि, मुदा दू मासक बाद फेर सात आदमीक लेल भोजनक व्यवस्थाक प्रश्न छै | पता लागल जे लगभग  अधिक खेत भरना लागल छनि, किछु टाका पाँच प्रतिशत मासिक सूदिपर नेने छथिन माने साठि प्रतिशत सालाना ब्याजपर | हित-अपेक्षितक दू टा गहना सेहो बंधक राखि क’ काज कएल गेल छै |

बाबू साँझमे लगमे बैसाक’ कहलनि : हम आब हिम्मत हारि चुकल छी, हमर विचार जे आब बियाह क’ लैह, दोसर कोनो रस्ता नै देखाइए |

हम चिन्तित भ’ गेलहुँ | हमरा की करबाक चाही ? बाबू त पहिने बजैत  छलाह जे पढ़ि-लिखिक’ अपना मोने वियाह करता, मुदा हुनका सोझाँ सात आदमीक परिवार छलनि, हमर पढ़ाइक खर्च छलनि |

मूड़न,उपनयन,श्राद्ध आ बरखीक भोज देखिक’ ई नहि पता चलैत छलै जे गाम-घरमे कोनो आर्थिक समस्या छै, आर्थिक स्थितिक पता पढाइक खर्च जुटयबाकाल  चलैत छलै | भोजक समय सर-कुटुम्ब सभक सेहो सहयोग प्राप्त हेबाक परम्परा छलै, मुदा समुचित शिक्षाक लेल ई परम्परा नै छलै | समुचित शिक्षा अनिवार्य नहि मानल जाइत छलै |

टोलमे दू-चारि परिवार छोड़िक’ सभ परिवारक मोटा-मोटी यैह स्थिति छलै,तें हमरा बयसक किछु गोटे पढाइ  छोड़ि चुकल छलाह आ रोजी-रोटीक जोगारमे लागि गेल छलाह |

भरिसक एहने स्थितिमे हमर पिता सेहो हाइ स्कूलमे पढाइ  छोड़िक’ नोकरीक लेल कलकत्ताक बाट पकड़ने छल हेताह | मुदा ओ अपनासँ नीक जीवनक सपना देखि रहल छलाह आ ताहि लेल हमर पढाइ नहि छोड़ब’ चाहैत छलाह | तखन यैह एकमात्र समाधान देखाइत छलनि जे हमर विवाह करा देथि |

ओहि समय बैंक द्वारा शिक्षा ऋण नहि देल जाइत छलै, तें गरीब परिवारक विद्यार्थीक पढाइक  खर्चक लेल विवाह कराएब एकमात्र लोकप्रिय समाधान छलै | बहुत कन्यागत ई सोचिक’ एहेन कन्यादान करैत छलाह जे लड़का पढ़ि-लिखिक’ नीक नोकरी कर’ लगतै त’ कन्याक जीवन सुखमय भ’ जेतनि | अधिक कन्यागतक मनोकामना पूर्ण होइत छलनि | जिनकर मनोकामना पूर्ण नहि होइत छलनि, हुनका देखिक’ दोसर  कन्यागत सभ एहेन निर्णय लेबासँ डेराइत छलाह |

हमरा पिताक सलाह मानबाक अतिरिक्त कोनो दोसर उपाय नहि सूझल |

तय भ’ गेलै जे हमर विवाह हैत |

तत्काल बहुत अधिक ब्याजपर किछु पाइ  ल’क’ हम ढोली विदा भ’ गेलहुँ | रस्तामे चिन्तन चलि रहल छल | ओहि समय कोनो लड़का अपन विवाहक सम्बन्धमे अपने नहि किछु बजैत छल | बाबू-बाबा,कक्का-मामा यैह सभ बजैत छलखिन | लड़का आज्ञाक  पालन करैत छल | हमरा ई सुविधा छल जे हम अपन विचार प्रगट क’ सकैत छी | हम सोचलहुँ, जखन विवाह करब आब निश्चित भ’ गेल अछि त किएक ने एकर प्रयास करी जे एहेन ठाम हो जतय लड़कीक विषयमे हमरो बूझल हो |

हम मोन पाड़’ लगलहुँ एहेन लड़की जकरा देखने होइऐक | समय-समय पर कतहु कोनो गाम जाइत छलहुँ |एक ठाम देखने रही एकटा लड़की, नौमामे  पढ़ि रहल छलीह, देखबामे नीक छलीह | मुदा कहियो ने हुनकासँ गप भेल छल ने हुनका घरक कोनो आन लोकसँ सम्पर्क छल |तकर कोनो आवश्यकता सेहो नहि बुझाएल छल मुदा, हमरा विषयमे हुनका सभकें बूझल हेतनि,से सोचैत रही |

ओहि समय यैह अवस्था लड़कीक विवाहक लेल उपयुक्त मानल जाइत छलै | तें हम सोचलहुँ, यदि हुनका सभकें पता चलनि जे हमर विवाह  होम’ जा रहल अछि, त अवश्य ओ सभ हमरा ओत’ प्रस्ताव ल’ क’ जा सकैत छथि |

 बेटाबलाक  दिससँ पहल करबाक चलन नै छलै | बेटाबला गम्भीर रहैत छलाह, एहिसँ बेशी लाभ हेबाक आशा रहैत छलनि | हमरा होइत छल जे लड़का दिससँ सेहो पहल करबाकें  कोनो अनुचित नै मानल जेबाक चाही |

कन्यागतकें लड़का आ ओकर परिवारक विषयमे जे किछु पता लगाबक रहैत छनि  से सभटा स्पष्ट सुचित करबैत लड़कीक पिताक नामसँ एकटा पत्र लिखि हम पठा देलियनि |

हुनका लिखलियनि जे जौं अपने हमरा परिवारमे अपन कन्याक विवाह करेबाक हेतु उत्सुक होइ, त एक मासक भीतर हमरा अथवा हमर पिताजीसँ सम्पर्क करी | ईहो लिखि देलियनि जे एक मास धरि जौं  अपनेक कोनो सूचना नहि प्राप्त हैत त हम मानि लेब जे अपनेकें ई कथा पसन्द नहि अछि |

एक मासक बाद एहि कथाक विषयमे हमर सोचब बन्द भ’ गेल |

बादमे हम गाम गेलहुँ त पता लागल जे ओतहु दू टा कन्यागत आएल छलाह | एकटा प्रस्ताव आकर्षित केलक | लड़की दसमामे पढैत छलीह | ओहि प्रस्तावक जे अगुआ छलाह, से हमर गामक  हमर एकटा संगीक मित्र छलथिन | ओ हमरा मधुबनीमे भेटलाह |

ओ हमर पिताक निर्णयमे किछु संशोधन आ हमरासँ अपन  प्रस्ताव आ सलाहपर स्वीकृति मंगलनि | हम स्वीकार क’ लेलियनि | गामपर एलहुँ त बाबूक सोझाँ हम कन्यागतक आजुक प्रस्तावपर अपन सहमतिक सूचना देलियनि | संयोगसँ मामा सेहो ओहि दिन आएल छलाह | बाबू हमर स्वीकृतिक समर्थन क’ देलनि | हमरा नीक लागल | मामा सेहो प्रसन्न भेलाह |

दोसर दिन हमरा ढोली घुरबाक रहय | प्रस्तावक अनुसार हमर गामक संगी आ हुनक मित्र सेहो हमरा संगे लहेरियासराय तक एलाह | कन्यागतक डेरापर हमरा नेने गेलाह | ओत’ कन्याक  माँ-बाबूजी नै छलखिन | हमरा कहल गेल जे साँझ धरि आबि जेथिन | लड़की हमरा सोझाँ एलीह | पढाइ-लिखाइ द’ किछु पुछलियनि | नीक लागल | हम कहि देलियनि जे हम प्रसन्न छी |

साँझ धरि घरक अभिभावक नहि एलखिन | हमरा चिन्ता भेल | हमरा रातिमे रहबाक अनुरोध केलनि हमर संगीक मित्र | रातिमे ओत’ रहब हमरा अनुचित लागल |

ओहि समयमे लड़कीकें लड़का द्वारा देखल जाएब सेहो चलनमे नहि छलै, विवाहसँ पहिने लड़की ओत’ रहबाक लेल त कियो सोचियो नहि सकैत छल,हमरहु विवेक हमरा अनुमति नहि द’ रहल छल | मुदा, ओ रुकबाक लेल जिद्द कर’ लगलाह |

हम कोनो लाथें घरक बाहर सड़कपर आबि रिक्शापर बैसि गेलहुँ, हमर एकटा सम्बन्धीक आवास  छलनि ओहि ठामसँ किछु  दूर, ओतहि चल गेलहुँ | राति भरि ओतहि रहि भोरे हुनका डेरा पर गेलहुँ | अपन बैग लेलहुँ जे  राति ओतहि रहि गेल रहय |

हमरा कहल गेल जे घरक अभिभावक लोकनि बेशी रातिक’ एलाह | हम कहलियनि जे हमर स्वीकृति अछि, हम एखन चलैत छी, चिट्ठीसँ अथवा व्यक्तिगत रुपें हमरासँ अथवा हमर पिताजीसँ सम्पर्क कएल जा सकैत अछि |

रस्ता भरि हम काल्हिक अपन आ हुनका सबहक कर्मक समीक्षा करैत गेलहुँ | स्वयंसँ सेहो लड़ैत गेलहुँ |

हम एना किए केलिऐ ?

ओ हमरा रहबाक लेल जिद्द किए करैत छलाह ?

हम राति रहिए जैतिऐ त की भ’ जैतै ?

हमरा कथीक डर भेल ?

हम लघुशंकाक लाथें सड़क पर आबि रिक्सासँ निकलि गेलहुँ, हम स्पष्ट हुनका किए नहि कहलियनि जे हम रातिमे नै रहब ?

हमरा विषयमे ओ सभ की सोचने हेताह ?

हम हुनका सभकें नीक लगलियनि की नहि, से किए ने पुछलियनि ?

हम एहि निष्कर्षपर पहुँचलहुँ जे ईहो हमरा लेल एकटा परीक्षा छल जाहिमे हमर असफलता सुनिश्चित भ’ गेल अछि |

किछुए  मासक बाद पता चलल, हमर गामक संगीक मित्र जे हमरा लड़की देखब’ अनने छलाह, हुनके सौभाग्य भेलनि ओहिठाम ललका धोती आ पाग पहिरबाक |  

( क्रमशः )

आगाँक कथा अगिला रवि दिन

 

No comments:

Post a Comment