Saturday 10 December 2022

 

 

आँखिमे चित्र हो मैथिली केर

      ( आत्मकथा )

       9.शुभे हे शुभे

 

हमर शुभचिन्तकगणमे प्रमुख हमर मामा सभ छलाह |

मझिला मामा रहिका हाइ स्कूलमे अध्यापक छलाह |

हुनक परिचयक क्षेत्र व्यापक छलनि |

ओ हमर घरक स्थितिसँ अवगत छलाह |

शनि दिन गाम जाइत काल हमरा गामक कैटोला चौक पर हमर सबहक समाचार प्राप्त करैत आ आवश्यक लगै छलनि  त हमरा ओत’  सबहक भेंट-घाँट  करैत अपन गाम रुचौल जाइत छलाह |

मामा हमरा घरक समस्याकें दूर करबाक प्रयासमे लोकप्रिय समाधान ताक’मे लागल छलाह | सभ साल कोनो-ने-कोनो परिचित लोकक कन्यादान अथवा वरदानमे मदति करैत छलाह | तें एकर नीक अनुभव छलनि |

रहिकासँ सौराठक दूरी कम छै |

सभ साल सौराठ-सभाक आयोजन ओहि समय होइत छलै जखन गाछमे आम पाक’ लगैत छलै | दस दिनक ई आयोजन दर्शनीय रहैत छल | मिथिलाक कोनो कोनमे बसैत  मैथिल ब्राह्मण, सभ साल एको दिनक लेल एत’ अवश्य एबाक कोशिश करैत छलाह | ई सुनैत आएल छलहुँ जे जाहि दिन सबा लाख मैथिल जमा भ’ जाइ छथि, ओहि दिन ओत’ उपस्थित बरक गाछ मौला जाइ छै | इहो एकटा आकर्षणक विषय होइत छल | हमहूँ कय सालसँ ककरो-ने-ककरो  संगे एक दिन जाइत छलहुँ |

कन्यादान एकटा पैघ समस्या छलै | लोक कन्याक शिक्षाक लेल चिन्ता नहि करैत छल, एतबे शिक्षा जरूरी बुझैत छल जे चिट्ठी लीख’ आबि जाइ  जे नोकरी करबा लेल कलकत्ता गेल अपन घरबलाकें चिट्ठी लिखि सकय | लोक कन्याक बियाहक लेल परिश्रम करैत छल | गामे-गामे अपनासँ  भिन्न गोत्रक उपयुक्त लड़काक तलाश करैत छल | एहिमे सालो लागि जाइ छलै |

सौराठ सभाक महत्वपूर्ण भूमिका छलै लोकक समस्याक निदानमे |

एहि ठाम विभिन्न गामक लोकसभसँ  एकेठाम भेंट भ’ जाइ छलै | विकल्प बहुत भेटि जाइ  छलै |

मोन कें एकठाम स्थिर करबाक लेल अनुभवी लोकक आवश्यकता होइ छलै, सेहो एतय भेटि जाइ छलखिन | एहेन लोकक भूमिका सेहो महत्वपूर्ण होइत छलनि जे दुनू पक्षकें जनैत होथि अथवा दुनू पक्षकें अपन तर्कसँ संतुष्ट क’ सकथि |सेहो एत’

भेटि जाइ छलखिन |

एहि  सूत्रक  उपयोग खूब कएल जाइत  छलै जे कन्यादानमे कतहु झूठो बजलासँ पाप नहि होइत छैक |

कन्यादानमे कोनो तरहें मदति करब धर्म मानल जाइत छलै | तें कन्यागतक  कोनो त्रुटिकें लोक झाँपि दैत छल | परिणामस्वरुप कयठाम अनमेल विवाह सेहो भ’ जाइत छलै |

 दिव्यांग लड़कीक सेहो विवाह भ’ जाइ छलै, मुदा विवाह भेलाक बाद कोनो लड़का कोनो लड़कीक त्याग नहि करैत छल आ ने स्वयं आत्महत्या करैत छल, ई छलै मिथिलाक संस्कृति | एहेन उदाहरण अछि जे एहेन परिवारमे सेहो एक-सँ-एक विद्वान आ पुरुषार्थी लोक सभ भेलाह अछि |

कय बेर दिव्यांग लड़का सबहक  सेहो विवाह भ’ जाइत छलै नीक लडकीक संग आ लड़की परम्पराक अनुरूप सभ पावनि करैत वरक दीर्घायु हेबाक कामना आ नीक संततिक प्रतीक्षा करैत छलीह | कियो हुनक पतिक शिकायत करनि त ओकरासँ गप केनाइ बन्द क’ लैत छलीह |

विवाह भ’ गेलाक बाद  सभ  ई सोचि संतोष क’ लैत छल जे ओकरा भाग्यमे यैह लिखल छलै | लोक एकरा भगवानक निर्णय मानि लैत छल, तें मोन स्थिर भ’ जाइत छलै, पाछू नहि तकैत छल, आगाँ जे काज रहैत छलै, ताहिमे लागि जाइत छल | मधुश्रावनी कोना हेतै, कोजगरा कोना हेतै, जराउर कोना हेतै ई सभ सोच’ लगैत छल |

ई पैघ बात छलै |

घरसँ बाहर जे युवक पढ़’ जाइत छलाह अथवा जिनका शहरक हावा लागि जाइत छलनि हुनका इच्छानुकूल विवाह नै भेलापर मोन स्थिर करबामे समय लगैत छलनि |

शहरमे सिनेमा छलै | उपन्यास छलै |

सिनेमा सिखबैत  छलै, विवाहसँ पहिने लड़की-लड़काक बीच प्रेम हेबाक चाही |

संस्कृति सिखबैत छलै, जकरासँ विवाह होइ, ओकरासँ प्रेम करक चाही |

परम्परा कहैत छलै, प्रेम-त्रेम नै करक चाही, स्त्रीकें जरूरतिसँ बेशी महत्व नै देबाक चाही, ओकरा अपना काबूमे जातन द’ क’ राखक चाही |

हमरा सोझाँ कखनो क’ ‘कन्यादान’क बेचारा सी सी मिश्र आबि जाइत छलाह आ कखनो काल दूर, बहुत दूरसँ दोसर बुच्ची दाइक स्वर सुनाइ देब’ लगैत  छल :

‘तोरा अंगनामे वसन्त नेने आएब ........

एकदिन मामाक समाद पहुँचल, काल्हि  अहाँ सभ तैयारे भ’ क’ अबै जाउ |

वरियातीकें ध्यानमे राखि किछु गोटेकें तैयार भ’क’ चल’ लेल अनुरोध कएल गेलनि |  सभाक समय सभ घरमे नील-टिनोपाल द’ क’ लोक धोती-कुरता तैयार रखैत छलाह , की पता काल्हि ककर विवाह ठीक भ’ जाइ आ वरियाती जाए पडनि |

हमर शर्ट लोककें नीक नै लगलै | बच्चू भाइ झट द’ अपना घरसँ प्रेस कएल एकटा शर्ट नेने एलाह | विवाह भेलाक बादे लोक नीक कपड़ा पहिरैत छल | वयसमे बच्चू भाइ हमरासँ छोट छलाह, मुदा विवाह भ’ चुकल छलनि |

टोलक किछु गोटेक संग हम सभ पहुँचलहुँ सौराठ सभा |

भुस्कौलक एकटा परिचित भेटलाह | हमरे तुरिया छलाह | गप भेल | हिनकासँ मामा गाममे कए बेर भेंट भेल छल | ओ हमरा नीक जकाँ जनैत छलाह | हुनका हमर पढाइक विषयमे सभ किछु  बूझल छलनि | ओ एक गोटेसँ परिचय करौलनि | हुनकर मुँह चिन्हार लगैत छल | आर. के. कॉलेज, मधुबनीमे प्री-साइंसमे दोसर सेक्शनमे छलाह | देखने रहियनि  मुदा गप-शप नै भेल छल | आइ गप भेल | लदारी घर छनि | बहिनक विवाहक प्रयासमे छथि | हुनकर बड़का  भाए आ बाबू सेहो गामक किछु गोटेक संग आएल छलखिन |

दोसर दिससँ मामा एलाह, हमर बाबू संग छलखिन | मामा अपन स्कूलक सचिव भिनाइ  बाबू द्वारा अनुमोदित एकटा प्रस्तावक सूचना देलनि | पता चलल एखने जाहि व्यक्तिक संग परिचय भेल छल,हुनके बहिन छथिन कन्या |

मामा कन्या पक्षक बहुत गुणगान करैत हमरा आ हमर बाबूजीकें स्वीकार करबाक हेतु तैयार कर’ लगलाह | बाबू हमरा दिस तकैत छलाह, हमरा पर दबाब देब’ नै चाहैत छलाह | हम कन्याक पिताकें देखलाक बाद मामाकें कहि देलियनि जे ई कथा हमरा पसन्द नै अछि | हमरा बुझा गेल जे लड़की पढ़ल-लिखल नै छै | मामा लड़कीक पढाइ-लिखाइक सम्बन्धमे किछु नै कहैत छलाह |

मामाक किछु और परिचित लोक सभ आबि गेलाह | सभ हमरा बुझब’ लगलाह जे कुमरजी जे कहैत छथि ताहिपर आँखि मूनिक’ विश्वास कएल जा सकैत अछि, कथा  काट’ योग्य नै छै | जे सभ कहियो लदारी नै गेल हेताह, सेहो सभ लड़कीक शिक्षित हेबाक गारन्टी  देब’ लगलाह | हमरा बूझल छल जे कन्याक विवाह लेल झूठो बाजब लोक धर्मक काज बुझैत छल | तें हम लोकक बातसँ प्रभावित नै भ’ रहल छलहुँ |

बाबूजी गुम्म भ’ गेल छलाह | मामा दुखी भ’ गेल छलाह | बरियाती जाइ लेल जे गामपरसँ तैयार भेल आएल छलाह ओहो सभ अगुता रहल छलाह, जल्दी नौ-छौ होइ | कन्यागतकें होइ छलनि जे कियो लड़की द’ गलत बात कहिक’ लड़काकें भड़का देलकैए | ओ सभ हमरा संतुष्ट करबाक लेल जोर लगा रहल छलाह |

सहसा मामा कहलनि तों तीन बेर हमरा कहि दैह जे हम एहि ठाम विवाह नै करब त आइ दिनसँ हम एहि विवाहक चर्चे नै करब |

‘की ?’

‘नै’

‘नै?’

‘नै’

बाबू कहलखिन, छोड़ि दियौ देविन्दर, अहाँ परेशान नै होउ, हम किछु खेत बेचि देबै पढ़ाइक लेल, जबरदस्ती विवाह नै हेतै |

तखने देखलियनि एकटा मास्टर साहेबकें |

हाइ स्कूलमे हमरा पढौने छलाह |चारि  बरखक बाद आइ सभामे देखलियनि | प्रणाम केलियनि | मास्टर साहेब कहलनि, हमर बेटी पढ़ितो अछि आ घरक काज करबामे सेहो दक्ष अछि | हम आकर्षित भेलहुँ | मधुबनीक एकटा डॉक्टर साहेब जे हमरा आ मास्टर साहेब दूनू गोटेकें जनैत छलाह, मास्टर साहेबसँ किछु विवरण प्राप्त कर’ लगलाह |

अही बीच एकाएक दुर्गा बाबू प्रगट भेलाह | मिडिल स्कूलमे पढौने छलाह | हमरा कने कात ल’ जाक’ कहलनि, कुमरजीक बात काटिक’ ठीक नै क’ रहल छह | हुनका कतेक दुःख भ’ रहल छनि, से नै सोचै छहक, आखिर तोरा किए ई कथा पसन्द नै छह ?

हम कहलियनि जे हमरा लगैत अछि जे लड़कीक शिक्षा शून्य छै, तें हमरा पसन्द नै अछि |

मास्टर साहेब कह’ लगलाह : ई तोहर भ्रम छह, जकरा पास एतेक सम्पति रह्तै तकर बेटी कतहु अशिक्षित होइ, हमरा पता अछि ओइ ठाम मिडिल स्कूल छै, हाइ  स्कूल छै, ओहि गामक लड़की अशिक्षित भइए नै सकैत छै | तों व्यर्थ कुमरजी कें दुखी क’ रहल छहुन, आखिर जेठ-श्रेष्ठक आशीर्वाद प्राप्त करबाक चाही |

तेसर बेर मामा हमरासँ पुछ्लनि : बाजह, की ?

हमर बकार बन्द भ’ गेल |

दुर्गा बाबू बजलाह : जाइ जाउ, सिद्धान्त लिखाउ |

चहल-पहल शुरू भ’ गेल | सभ गोटे विभिन्न दिशामे अलग-अलग काज लेल सक्रिय भ’ गेलाह |

एक गोटे, जिनका वरियाती नहि जेबाक छलनि, से अपन साइकिलसँ समाद ल’क’ गाम पठाओल गेलाह |

पन्द्रह गोटे वरियाती जाइ लेल तैयार कएल गेलाह |

जे गामसँ साइकिलसँ आएल छलाह, से अपने साइकिलसँ विदा भेलाह | शेष गोटेक लेल रिक्शाक व्यवस्था भेल | लदारीसँ जे सभ साइकिलसँ आएल छलाह, से निकलि गेलाह गाम समाद ल’क’ विधि-व्यवहार आ और वस्तुक ओरिआओन करयबा लेल |

एकटा रिक्शापर हमरा संगे लड़कीक पिता विदा भेलाह जे पचास बीघाक मालिक, सातटा  बहिनक एकमात्र भाए आ दूटा शिक्षित पुत्र, तीन टा अशिक्षित कन्याक पिता छलाह |

सौराठसँ रहिका, कपिलेश्वर स्थान, बसौली, औंसी, केवटी, दड़िमा होइत लदारी पहुँचबामे दू घंटासँ बेशी लागल हेतै | बाटेमे रही त अन्हार भ’ गेल रहै |

हाजीपुर चौकसँ  थोड़े दूर पूब आबि  आमक गाछी सबहक बीच होइत एकटा पोखरिक कात द’ क’ दरबज्जापर पहुँचलापर आङनसँ किछु हूलि-मालि  सुनाइ पड़ल | एकर अतिरिक्त कोनो और आयोजन  देखबामे नहि अबैत छल जाहिसँ बुझाइ जे एत’ कोनो लड़कीक विवाह होम’ वला छै |

हमरा मोनक भीतर एकटा सी सी मिश्र परेशान भ’ रहल छलाह |

हम एकटा स्वचालित मशीन भ’ गेल छलहुँ |

हमरा किछु मधुर खुआक’ परिक्षण क’ क’ आङन ल’ जाइ गेलीह, त हमरा भीतरक सी सी मिश्र और व्यथित भ’ गेलाह |  बलि-वेदीपर चढ़बासँ पहिने हम मामासँ एक बेर सम्पर्क कर’ चाहलहुँ |

कोठलीक गेटक एक कात हम छलहुँ, दोसर कात मामा छलाह |

हम मामाकें कहलियनि जे लड़कीक विषयमे हमर अनुमान सही छल |

मामा न्यायाधीशक आसन धेलनि,’आब लड़की कनाहि होइ, घेघाहि होइ, चिन्ता करबाक काज नै छै | सभटा भगवानपर छोड़ि दहुन |’

आङनमे लोक सभ चिन्तित छलाह जे कियो हमरा कहि देलक अछि जे लड़की कनाहि छै |

हम जे मामासँ गप करैत छलहुँ त कियो नुकाक’ सुनबाक कोशिश केलनि  आ हमरा मूंहसँ एकटा शब्द ‘लड़की’ आ मामाक एकटा शब्द ‘कनाहि’, यैह दूटा शब्दकें मिलाक’ उपस्थित  कथाकार सभ तुरंत एकटा  कथा तैयार क’ लेलनि जे कियो लड़काकें भड़का देलकैए जे लड़की कनाहि छै | सी बी आइ तुरंत रिपोर्ट द’ देलकै  जे ई काज फल्लाँ गामक लोकक अछि, ओ सभ एत’ विवाह कर’ चाहै छलै, नै भेलै तें ई उड़ा देलकै जे लड़की कनाहि छै, जाहिसँ लड़का कहै जे हम वियाह नै करब |

दरबज्जापर हमर पिता चिन्तित छलाह | चिन्तित छलाह वरियातीमे आएल किछु लोक, हुनका होइ छलनि जे लड़का कहीं भागि ने जाइ अथवा कहीं ई ने कहि दै जे हम नै करब विवाह | एहेन स्थितिमे हुनकर सबहक की हाल हेतनि, एहि आस-पासमे कोनो कुटुम्ब नै छथिन जत’ जाक’ रहताह आ एते रातिमे पन्द्रह-बीस किलोमीटर गाम कोना घुरताह | हुनका सोझाँ कयटा सूनल कथा छलनि जे लड़का बेदीतरसँ भागि गेलै अथवा भगा देल गेलै आ वरियाती सभ जेना-तेना अपन जान बचाक’ पड़ेलाह |

हमरा सोझाँ प्रगट भेलाह एकटा बड़का कल्लावला लोक मार्कंडेय ठाकुर,’ ठाकुरजी अहाँ पहिने हमरा कन्याकें देखि लिय’, कोनो त्रुटि बुझाय त नै करू विवाह |’

हम कहलियनि जे काज आगू बढ़ाउ, हमरा आब कोनो आपत्ति नै अछि |

तुरंत दृश्य बदलि गेलै | गीत-नाद शुरू भेल | पंडित जुगेश्वर झा अपन पोथी-पतरा ल’क’ आसन धेलनि, हजाम अपन काजमे लागि गेलाह |

बुच्ची दाइ, क्षमा करब,बच्ची दाइ अपने एतेटा  घोघ तनने हमरा बगलमे छलीह |

 हमरा भीतर एकटा बच्चा छल जकर बैलून फुटि गेल छलै आ ओ कानि रहल छल |

हमरा भीतर एकटा सी सी मिश्र छलाह जे एहि विवाहक आलोचना क’ रहल छलाह : जकर-जकर  विवाह भ’ रहल छै ओ एक-दोसरकें देखबो ने केने अछि तखन एहि गीत-नाद आ मंत्रोच्चारक की प्रयोजन ?

हमरा भीतर अनिलजी छलाह जे गीत सुनबामे आ ओकर अर्थ बुझबामे लागल छलाह, ओहि गीत सभमे सुधार कर’ चाहैत छलाह, ओकरा स्थानपर नव रचनामे

लागल छलाह |

हमरा भीतर रहिका हाइ  स्कूलक उप-प्रधानाध्यापक श्री देवेन्द्र कुमरक एकटा आज्ञाकारी भागिन छलाह जे पंडितजी जेना-जेना कहैत छलखिन, तेना-तेना केने जा रहल छलाह, जे-जे पढ्बैत छलखिन, से-से पढने जा रहल छलाह |

हमरा भीतर तिरहुत कृषि महाविद्यालय, ढोलीक द्वितीय वर्षक एकटा छात्र छल जे पढ़ाइक खर्चक चिन्तासँ मुक्त भ’ गेल छल किन्तु अपना चारुकात एकटा देबाल देखि रहल छल |

हमरा भीतर क्यो छल जे हमरा बुझा रहल छल, यैह कहबैत छै ‘भावी’, देखि लेलहुँ ने, अहाँकें कुदला आ फनलासँ की भेल, वैह भ’ रहल छै जे अस्तित्व चाहै छै |

आब हमरा आ हुनका स्थितिमे एतबे अंतर रहि गेल छल जे हम घोघ नहि तनने छलहुँ, ओ घोघ तनने छलीह |.....

( क्रमशः  )

आगाँक कथा अगिला रवि दिन

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