(४)
आँखिमे चित्र हो मैथिली केर
(आत्मकथा)
हम दरभंगा पोलिटेकनिकमे सिविलमे एडमिशन ल’
एलहुँ |
गामसँ बससँ जाए-आब’ लगलहुँ |
एत’ किछु क्लास एकटा हॉलमे होइ छलै जे सड़क के
बगलेमे छहरदेबालीक अंदर छलै |दू कात खूजल |
ओकर देख-रेख ठीकसँ नै होइत छलै | डेस्क
पर चिड़ै सभक चट्टक देखि लागल जे हम एतहु नहि रहि सकैत छी |
पढ़ाइ सेहो नीक नै लागल | हम मनब’
लगलहुँ जे एग्रीकल्चरमे एडमिशन भ’
जाए आ एहि ठामसँ मुक्ति भेटय |
२८ दिन क्लास केलहुँ | बी.एस.सी.पार्ट
१ के रिजल्ट निकललै | हमरा ६१.२ % अंक आएल |
एग्रीकल्चरमे अप्लाइ क’ देलियै
| एडमिशन भ’ गेल | ६० % सं उपर अंक वला हमही टा रही |
ई हमरा लेल चिंताक विषय भ’ गेल |
हम सोचय लगलहुँ जे ६० % सँ उपर अंक वला और लोक सभ किए ने अप्लाइ
केलकै |
हम विचलित भेलहुँ |
किछु लोक कहलनि अहाँकें नीक होइत जे एक साल सिंगल सब्जेक्ट बायोलॉजी पढ़ितहुँ, साठियो नंबर आबि जाएत, त मेडिकलमे एडमिशन भ’ जाएत |
हम लोभमे पड़ि गेलहुँ |
निश्चितकें छोड़ि अनिश्चित दिस दौड़ि गेलहुँ |
हम तिरहुत कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर,ढोली,मुजफ्फरपुर सँ अपन नाम कटाय पुनः आर.के.कॉलेज,
मधुबनी आबि गेलहुँ |
ओत’बी.एस.सी.पार्ट २ मे नाम लिखाओल आ सिंगल सब्जेक्ट
बायोलॉजीक तैयारी करबामे लागि गेलहुँ |हमरा प्री-साइंसमे बायोलॉजीमे कम सँ कम पास मार्क्स
आनब जरूरी छल मुदा बी.एस.सी.पार्ट १ मे
बायोलॉजीमे कमसँ कम साठि अंक आनब जरूरी छल |
एके विषयक परीक्षा देबाक छल |हमरा आसान लगैत
छल | मुदा जे आसान लगैत छल,
कठिन साबित भेल |
हमर शिक्षक हमरा ट्यूशन पढबाक सलाह देलनि |
एखन धरि ट्यूशन नहि पढने छलहुँ |
ट्यूशन पढब ख़राब बुझैत छलहुँ |हम नै
बुझैत छलिऐक जे ट्यूशन पढलासँ प्रैक्टिकलमे नीक अंक आनब आसान भ’जाइत छैक | हमर एहि अज्ञानतासँ हानि भेल |
बायोलॉजी हमरा लेल एकदम नव विषय छल | ओकरा शुरूसँ पढ़क छल |
हमरा बायोलॉजीक प्रैक्टिकल क्लासमे दिक्कत भेल |
चालीकें,झींगुरकें, बेंगकें चीरिक’
ओकर अध्ययन करबामे दिक्कत भेल |
फोटो बनाएब, लेबलिंग करबामे दिक्कत भेल |
शिक्षक हमरा दिक्कतकें हल करबामे रुचि नै लैत छलाह |
हम प्राचार्य महोदय लग शिकायत केलहुँ | प्राचार्य महोदय हुनका बजा क’ किछु कहलथिन |
ओ भीतरसँ नाराज भ’ गेलाह | हमर कठिनाइ बढि गेल |
हम बाबूकें कहलियनि | बाबू
ओकील साहेबकें कहलखिन |
ओकील साहेब ओहि कॉलेजक छात्र रहल छलाह |
हुनकर धाख छलनि |
ओ हमरा सोझेमे हुनका कहलखिन | ओ
यथासंभव मदति करबाक आश्वासन देलनि |मुदा व्यवहारमे हमरा तकर
अनुभव नहि भेल |
हम अपन तैयारी करैत रहलहुँ | चित्र
बनेबाक अभ्यास,लेबेलिंग करबाक अभ्यास करैत रहलहुँ |
एके विषयक परीक्षा देबाक छल | मुदा
विषय एकदम नव छल | आ कॉलेजक पढ़ाइक भरोसे नै रहि सकै छलहुँ |
शिक्षक हमर शिकायतसँ अपमानित अनुभव केलनि |परिणाम ओही दिन निर्धारित भ’चुकल छल |
प्री-साइंसक परीक्षासँ चारि दिन पहिने बोखार लागि गेल |
डाक्टरसँ संपर्क केलहुँ |कहलियनि
एहेन दबाई दिय’ जे हमर परीक्षा नहि छूटय |
बोखार उतरि गेल | हम परीक्षा देलहुँ |मुदा,ओही राति हमर आबाज बंद भ’ गेल |
मुंहमे काँट जकाँ गरय लागल | हमरा
लादि क’ मधुबनी अस्पताल ल’ गेलाह बाबू |
हम कागत पर लीखिक’ देलियंनि जे हम
बोखार उतारक लेल अमुक दबाइ सभ खेने छलहुँ |
तीन दिन तक कोनो सुधार नहि भेल |डा.कहलखिन
जे ड्रग रिएक्शन भेल छनि, ठीक हेबामे समय लगतनि |
पाँच दिनक बाद एक सप्ताह तक खाली दालिके पानि पर रहलहुँ |करीब सत्रह दिन मधुबनी अस्पतालमे भर्ती रहय पड़ल |
नीक बात ई भेल जे बी.एस.सी.पार्ट-१ के परीक्षा हेबासँ पहिने हम ठीक भ’
गेलहुँ |
अस्वस्थ हेबाक परिणाम परीक्षा-फल पर पडल |
बी.एस.सी.पार्ट-१ के परीक्षाक परिणाम ई भेल जे १% माने ५ अंक कम
रहबाक कारण मेडिकलमे हमर नामांकन नहि भ’ सकल |हमरा फेर मोन पड़ल ‘तिरहुत कृषि महाविद्यालय,ढोली,मुजफ्फरपुर’|
एहि बेर मेधा सूचीमे हमर स्थान सोलहम छल |५० टा सीट छलै |
हम तय केलहुँ जे आब अन्यत्र कतहु नहि जाएब |
हॉस्टलमे हमरा संग भेलाह सहरसा जिलाक बनगामक नारायण मिश्र |
पहिल दिन सबेरे ७ बजे प्रैक्टिकल क्लासमे सभकें कोदारि पकड़ा देल गेलै
|१ धुर खेतमे गहूमक खेतीक
लेल माटि तैयार करबाक छलै |
प्रैक्टिकल ९० मिनट चललै | नीक नै
लागल | मुदा आब आन कोनो विकल्प नै
छल | आब नीक-अधलाह सोचबाक समय सेहो नै रहल |
७ सं ८.३० तक प्रैक्टिकल |१
घंटामे स्नान, जलपान क’क’ ९.३० पर क्लास शूरू |१.३० बजेसँ २.३० बजेक बीच भोजन क’क’ पुनः क्लासमे जाउ | ५ बजे फाइल हॉस्टलमे ध’क’ १ घंटा घुमि-फिरिक’ आउ,
८.३० बजे तक पढू-लिखू | ओकर बाद भोजन मेसमे जा
क’ करू |ओकर बाद किछु काल आपसमे गप-सप
करै जाउ |
दोसर कि तेसर दिन छलै | भोजनक
बाद हम सभ अपन-अपन कोठलीमे
सूत’ गेलहुँ | पहिल निन्न छलै सबहक |
हल्ला उठलै |सभ रुमक केबार बाहरसँ बंद क’क’ बेरा-बेरी केबार
पीट-पीट क’केबार खोलब’ लगलै | एक रूम खोलाक’ ओहिमे जे दू छात्र छलाह,हुनका पर प्रश्नक बौछार होम’ लगैत छल, २०-२५ के संख्यामे छलाह आक्रमणकारी |लगैत छल जेना डकैती भ’ रहल हो | एक रूममे ५-७ मिनट समय दैत छलाह | निकल’ लगैत छलाह त रूम कें बाहरसँ बंद क’ दैत छलाह |
हमरो सबहक नंबर आयल | केबार
पीट’ लगलाह |
हनुमानजी मोन पडलाह | केबार
खोललहुँ |
आक्रमण !
किछु हमरा लग एलाह, किछु मिसरजीकें
घेरलनि |
क्या नाम है ?
कहाँ घर है ?
कितना मार्क्स था ?
एग्रीकल्चर पढ़कर क्या करोगे ?
सीनियर लोगों के साथ कैसा व्यवहार करना है ?
ये टीकी क्यों रक्खा है ?
कौन सी हिरोइन अच्छी लगती है ?
क्या अच्छी लगती है ?
और बहुत रास ऊँटपटांग सवाल |
हमर टीक नै भेटलनि | मिसरजीक टीकपर
आक्रमण केलनि |
मिसरजी बहुत नेहोरा क’क’
टीकक रक्षा केलनि |
हमरा आज्ञाकारी बालक जकाँ सबहक पएर छूब’
पड़ल |
सीनियरक समक्ष शिष्टाचारक पालन करबाक सलाह आ प्रतिक्रियामे किछु नै
करबाक चेतावनी दैत ओ सभ रूमकें बाहरसँ बंद कय दोसर रूम दिस
जाइ गेलाह |पच्चीसटा रूम करीब एक घंटामे निपटबैत गेलाह |
हम सभ बड़ी काल धरि गुमसुम बैसल रहलहुँ |बेर-बेर इएह सोचै छलहुँ,
आब कत’ जाएब ? एना फेर नै हो से के
कहत ?
किछु कालक बाद कियो एकटा रूम बाहरसँ खोलि देलकै |
बस सब रूम खुजि गेल | लोक जेना जेलसँ निकलल हो
तेना उत्साहमे हो हल्ला करैत एकठाम जमा भ’ क’ अपन-अपन रूमक घटनाक वर्णन करय लागल |
बड़ी काल आलोचना होइत रहल |
रातिमे निन्न नै भेल | बहुत
दिनक बाद किछु लिखबाक मोन भेल |
एहि घटनाकें रचनामे अनबाक प्रयास केलहुँ |
तैयार भेल एकटा रचना जकर किछु पाँती
प्रस्तुत अछि :
सुनो यार मैं करता हूँ रैगिंग का भंडाफोड़
रात अचानक आये जाने- पहचाने चोर |
आए वो ऐसे
जैसे लुटेरा
तोड़के हॉस्टल का नादर्न घेरा,
कुछ नीचे कुछ उपर जाकर लगे मचाने शोर
रात अचानक आये जाने-पहचाने चोर |
रात अँधेरी, हम सोये हुए थे
मीठे-मीठे ख्वाबों में खोए हुए थे
तभी सुनाई पड़ी कानमें, खोल
कोठरी खोल
रात अचानक आये जाने-पहचाने चोर |
मिश्रजी देखलनि, किछु और गोटे
देखलनि | दोसर दिन खूब एहिपर
गाना-बजाना भेल | एहिसँ किछु कलाकार
सभ प्रगट भेलाह |
एहि कांडसँ लाभ ई भेलै जे नव छात्र सभ जल्दी एक दोसरसँ परिचित भेलाह |
गड़बड़ ई भेलै जे सेकेण्ड इयरक हॉस्टलमे ई बात पता चललै जे हुनके
सभकें लक्ष्य क’ क’ ई गाना-बजाना भ’
रहल छै |
सेकेण्ड इयरक हॉस्टलमे बजाओल गेल | अनिष्टक आशंका भेल |
नै जाएब त आदेशक अपमान मानल जाएत | सोचलहुँ जे देखबनि नाराज त माफ़ी मांगि लेबनि |
कहने रहय झाजी बुलाये हैं,से नीको लागल |
विदा भेलहुँ | मिश्रजी सेहो संग भेलाह |
‘सुना है तुमने हमलोगों पर कोई गाना-उना लिखा है ?
जरा सुनाओ तो |’
हम गाबि क’ सुना देलियनि |
‘फ़िल्मी गीत कोई गाते हो ? कोई
सुनाओ तो |’
हमरा मुकेशक गाओल गीत ‘आप से
हमको बिछड़े हुए एक ज़माना बीत गया’ अबैत छल, सुना देलियनि |
‘ओ एक पाँती गुनगुनाक’ कहलनि ‘इसको ऐसे गानेसे और अच्छा लगेगा |’हुनक स्वर नीक
लागल |
ओतहि बैसल एक गोटे पुछ्लनि ‘अहाँ
मैथिलीमे नै लिखै छी ?’
आब हम आनंदित भेलहुँ | हमरा
भेल भरिसक इहो लिखैत हेताह, तें पुछ्लनि अछि |ओ पुछलनि ‘जीवकांतजीकें जनै छियनि ?’
‘आ हा हा, हुनका कोना ने जनबनि ?
मिथिला मिहिरक सभ अंकमे हुनकर रचना रहिते छनि |मुदा अहाँ कोना ....?’
‘हमर जेठ भाइ साहेब छथि |’
हम आनंदमे ड़ुबि गेलहुँ |
बड़ी काल गप भेल | घुरैत काल प्रसन्न रही |
चलैत काल ओ आश्वस्त केलनि जे आब कोनो समस्या नै हैत, हुअए त कहब |
मोन हल्लुक भेल |डर ख़तम भेल |
परंपराक अनुसार रैगिंगक पश्चात् एकदिन सीनियर द्वारा वेलकम पार्टी
देल
गेलै जाहिमे किछु प्राध्यापक लोकनि सेहो आमंत्रित भेलाह |
भाषण-भूषण भेलै | सांस्कृतिक कार्यक्रम भेल
जाहिमे हमरासँ रैगिंगवला ओ गीत सेहो सुनल गेल | सीनियर
द्वारा जूनियर छात्रसँ अनुशासनमे रहबाक आ परम्पराक पालन करबाक अपेक्षा कयल गेल आ
बदलामे जूनियरकें सभ तरहें सुरक्षा आ सहायता देबाक आश्वासन देल गेल |
थोड़े दिन त ई कठिन लगैत छल जे रस्तामे जते सीनियर भेटथि तिनका झुकि क’
‘प्रणाम सर’ कही,मुदा
किछु दिनक बाद हम सभ अभ्यस्त भ’ गेलहुँ आ ई आदति बनि गेल |
सीनियर सभसँ पता चलल जे हम परुकाँ कॉलेज नै छोड़ने रहितहुँ त हमरा आई
सी ए आर सँ १०० रु.मासिकक स्कालरशिप भेटैत आ हॉस्टलमे रहबा लेल सिंगल बेडवला रूम
जे मेरिट लिस्टक अनुसार दू टा छात्रकें भेटैत छलै |ई
हानि भेल मुदा लाभ ई भेल जे एक साल जे बायोलॉजी पढलहुँ से काज देलक |
स्कालरशिपक एकटा अवसर छल कॉलेज दिससँ जे एडमिशन भेलाक एक मासक बाद
एकटा परीक्षाक परिणामक अनुसार चारिटा छात्रकें कॉलेज दिससँ देल जाइत छलैक |
हम एहि परीक्षामे दोसर स्थान पर रहलहुँ | पहिल
स्थान पर छलाह दुलार चन्द्र मिस्त्री |
बोटनीक प्राध्यापक श्रीवास्तवजी मिस्त्रीजीक वर्णन आ हमर बनाओल चित्र
आ ओकर आकर्षक लेबेलिंगक प्रशंसा केलनि |एक साल
जे बायोलॉजी पढ़लहुँ, तकरे परिणाम छल ई |हम अनुभव केलहुँ जे कएल श्रम जँ एक ठाम काज नै
आयल त एकर मतलब ई नै जे ओ व्यर्थ भ’ गेल, ओ कोनो दोसर ठाम काज आबि जाएत |
एहि परीक्षाक आधार पर ५० रु. मासिकके स्कालरशिप भेटल |
मिस्त्रीजीकें बादमे
मेडिकलमे एडमिशन भ’ गेलनि, तें ओ कॉलेजसँ चलि गेलाह |आब एहि परीक्षाक परिणामक
अनुसारे यदि हमर तैयारी चलैत रहैत त भ’ सकैत छलै हम कॉलेजक टॉपर रहितहुँ, मुदा एकटा विचलन सभटा गड़बड़ा देलक |एहि विचलनक कथा
आगाँ कहब |
कॉलेजमे खूब मोन लाग’ लागल |
कॉलेजक भवन नीक |
रंग-विरंगक फूल सभ नीक |
हॉस्टलक व्यवस्था नीक, भोजन-जलपानक
व्यवस्था नीक, शिक्षक
सबहक व्यवहार नीक, पढ़ाइ नीक |
शिक्षक सभ ठीक समय पर अबैत छलाह, एकोटा
क्लास खाली नै जाइत छल |
ओहि समय अधिकतर सामान्य कॉलेजमे पढाइक स्थिति बहुत नीक नै रहि गेल
छलैक |
हमरा विषय सेहो नीक लगैत छल |
गाम पर बाबा आ बाबू खेतीमे नै भिड़बैत छलाह ई सोचिक’
जे पढाइमे बाधा हेतनि मुदा आब खेतीए हमर पढ़ाइक विषय भ’ गेल छल |
खेतीक वैज्ञानिक पक्षसँ परिचित भ’ रहल
छलहुँ |
माटिमे की सभ छै जे गाछ सभक
लेल भोजनक काज अबैत छै, कोन फसिल ले’ केहन माटि काज
अबैत छै, गाछ सबहक
विकासमे कोन तत्वक की भूमिका छै,कोन तत्वक कमीसँ गाछ सभ पर की प्रभाव पड़ैत छै, नाइट्रोजन-फॉसफोरस-पोटाशक की उपयोगिता छै,कोन फसिल
ले’ खेतक तैयारी केहेन हेबाक चाही,कोन
खाद कखन आ कतेक मात्रामे आ कोना देबाक चाही | पानि कतेक आ
कखन-कखन देबाक चाही, कोन कीड़ा कोन फसिलकें कोना क्षति
पहुँचबैत छै, ओइसँ कोना फसिलक रक्षा करबाक चाही आदि कतेक
वस्तुक ज्ञान प्राप्त कराओल जा रहल छल |
जखन गाम जाइ छलहुँ त दरभंगामे ‘मिथिला
मिहिर’ कीनि क’ नेने अबैत छलहुँ |
पढाइक संग-संग ‘मिथिला मिहिर’पढ़ब सेहो दिनचर्यामे आबि गेल छल |
कॉलेजमे भाषा आ स्वभावमे अधिक समन्वयक कारण तीन गोटेसँ बेशी अपनत्वक
अनुभव करय लगलहुँ |
नारायण मिश्र जे हमर रूमक संगी छलाह,
बनगाम (सहरसा)क छलाह, हुकर जेठ भाइ साहेब एल एस कॉलेजमे फिजिक्सक
प्राध्यापक छलथिन |मिश्राजी समय निकालिक’ गीताक पाठ सेहो क’ लैत छलाह | जखन-तखन
ओ बुझबैत छलाह जे गीतामे कृष्ण भगवान अर्जुनकें की कहलखिन आ किए कहलखिन |
नन्द कुमार झा मोहना (झंझारपुर)क छलाह, हुनक बाबूजी रेलवेमे समस्तीपुरमे काज करैत छलथिन आ जेठ भाइजी इंजिनियर
छलथिन |
अशोक कुमार ठाकुर पूर्णियाँक छलाह |
हम सभ संगे टहल’ जाइ छलहुँ
|गप सप करैत छलहुँ | विवाहक गप सेहो होइत छल |सभ कियो कहैत छलाह जे अविवाहित छी |हमरा सभमे
अपेक्षाकृत सभसँ नीक कपड़ा नन्द कुमार झाजी पहिरैत छलाह
|ओहो कहैत छलाह जे विवाह नै भेल अछि |हम
सब इएह बुझैत छलहुँ | एक दिन ई झूठ साबित भेल |
ओहि दिन हम भोजन क’क’ पहिने हॉस्टल आबि गेलहुँ |
झाजी नै आएल छलाह |
पोस्टमैन हुनकर चिट्ठी ल’क’
हुनकर नाम बाजल |
हम कहलियै, हमरा द’ दैह हम द’ देबनि |
पोस्ट कार्ड रहै | हमरा द’ देलक |हमर नजरि अटकि गेल ‘प्रिय
ओझाजी’ पर | हम अपनाकें रोकि नै सकलहुँ |
अनकर चिट्ठी नै पढबाक चाही, से
ध्यान नै रहल | चिट्ठीसँ पता चलि गेल जे हिनक विवाह कोन गाम
भेल छनि |हमरा लेल ओ चिट्ठी मनोरंजनक लेल महत्वपूर्ण भ’
गेल | चिट्ठीमे एहेन कोनो बात नै रहै जे
तत्काल नै भेटलासँ हुनका कोनो क्षति होइतनि | तें हम
चिट्ठीकें चोराक’ राखि लेलहुँ |
मिश्राजीकें देख’ देलियनि |
फेर ठाकुरजीकें देख’ देलियनि |
हम सभ और ककरो ई बात नै कहलियै |घुमा-फिरा
क’ झाजीकें पुछै गेलियनि | हुनका संदेह
भेलनि | हमरा एसगरमे पुछ्लनि,’हमर कोनो
चिट्ठी आयल अछि ठाकुरजी ?’
हमरा हँसी लागि गेल |
‘अहाँ परेशान किए होइछी ?’
‘नै ठाकुरजी, हम नेहोरा करैछी,
और ककरो नै कह्बै |’
हमरामे बैसल कलाकार बाजि उठल ‘अहाँ
एसगर थोड़े छी ? विवाह त हमरो भ’ गेल
अछि |ऐमे डरबाक की प्रयोजन ?’
हमरो विवाह भ’ गेल अछि से जानि हुनका जानमे जान एलनि |
‘सभ बूझत त मजाक कर’ लागत,
पूछि-पूछि क’ परेशान क’ देत
|’
‘अच्छा अहूँ हमरा विषयमे नै ककरो कह्बै |’
‘ठीक छै |’
हम दूनू तय केलहुँ जे चारि के अतिरिक्त ककरो ई सूचना नै भेटबाक चाही |
हम त तीन गोटेकें कहने छलियनि |
बात तीनसँ तेरह तक पहुँचि गेलै |
किछु लोक घुमा-फिरा क’ आ
बादमे सोझे मजाक कर’ लगलनि
जाहिसँ झाजी एकरा ब्रीच ऑफ़ कॉन्ट्रैक्ट मानलंनि आ प्रतिक्रियामे ओहो हमर विवाहक (?)
पोल खोलि देलनि मिश्राजी आ ठाकुरजी लग |
हम हिनका सभकें कहलियनि जे ई बात झूठ छै मुदा ई दूनू गोटे नहि मानलनि
| अंतमे हमही मौन भ’ गेलहुँ |
आब हिनका सबहक संदेह पक्का भ’ गेलनि |
शुरू भेल एकटा नाटक |
हम पर्दाक पाछू भ’ गेलहुँ |नटकिया अनिलजी प्रगट भेलाह |
गाममे नाटकमे भाग नेने रही | ‘फैसला’
नाटकमे नायकक भूमिका आ उगना नाटकमे विद्यापतिक भूमिकाक निर्वाह क’ चुकल छलहुँ |से अनिलजी नवविवाहित नवयुवकक
भूमिकामे आबि गेलाह |अपनहि लिखलनि अपन पटकथा |विवाह भेल छनि |लोकक दवाबमे विवाह कर’ पडलनि |कनियाँसँ मतान्तर रहैत छनि | घरक आनो लोक सबहक व्यवहार पसंद नै छनि |ककरोसँ
पत्राचार नै होइत छनि | सासुर नै जाइत छथि |आरो बहुत रास बात |
परिणाम ई भेलै जे हम सबहक सहानुभूतिक पात्र भ’
गेलहुँ |
मिश्राजी हमरा सुनब’ लगलाह जे गीतामे
कृष्ण भगवान अर्जुन कें की सभ कहलखिन |
हम पढ़ाइक संग-संग गीता सेहो बुझ’ लगलहुँ
|कृष्ण भगवान अर्जुनकें बुझेलखिन | मिश्राजी
हमरा बुझबै छलाह |ओ हमर कथाकें ध्यानपूर्वक सूनिक’ ओकरा पर गंभीरतासँ विचार करैत छलाह आ बुझबैत छलाह जे हमरा की करबाक चाही |
हमहूँ अपन कल्पनाक संग आगू बढ़ल जा रहल छलहुँ |सभ संगी सभ सेहो अपन-अपन अनुभवक आधार पर उचित सुझाव दैत जा रहल छलाह |सभक ह्रदयमे हमर पत्नी(?)क लेल करुणा उमरि रहल छलैक:’
ओइ बेचारीक कोन दोख ?’
हमहूँ सभ जे सोचैत छी, जे
बजैत छी, जकर अभ्यास करैत छी, वएह
हमर भविष्य नहि बनि जाइत अछि ?
ओहि समय हमहूँ कहाँ सोचै छलहुँ जे हम जे नाटक क’
रहल छी सएह हमर वास्तविक जीवनक कथा बनय जा रहल अछि |........
(क्रमशः )
संपर्क : 8789616115
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