आत्मकथाक ई भाग ‘विदेह’क अंक 321 (1.5.2021) मे प्रकाशित भेल
छल.
आँखिमे चित्र हो
मैथिली केर
(
आत्मकथा )
11. चरैवेति-चरैवेति-1.
अपन परिवारक दुःख-सुखसँ परिचित
छलहुँ | विवाह भेलाक बाद सासुरक परिवारक
दुःख-सुखसँ परिचय होम’ लागल |
मधुश्रावणीमे हम एक दिन लेल सासुर जा सकलहुँ | वापस ढोली गेलहुँ त किछुए
दिनक बाद सूचना भेटल जे हमर जेठसारि कलकत्ताक एकटा अस्पतालमे अंतिम साँस लेलनि |
तीनटा पुत्र बारह बरखसँ उपरक छलखिन | एकटा पुत्री तीन सालक आ एकटा छओ मासक छलखिन |
किछुए मास पहिने गेल छलीह कलकत्ता | दाँतक
पीड़ा भेलनि | ऑपरेशनक बाद खाँसी भेलनि |ब्लीडिंग भेलनि | नहि बचि सकलीह |
अपने गाममे सासुक सेवामे लागल रहलीह आ चारिटा दियर आ दूटा पुत्रक
पढाइ-लिखाइ कलकत्तामे चलैत रहलनि, तकर प्रबन्धनमे हिनक प्रशंसनीय भूमिकाक चर्चा
हुनकासँ भेंटक उत्कंठा जगबैत छल, मुदा आब तकर कोनो संभावना नहि रहि गेल छल | आब
यैह इच्छा रहि गेल जे साढ़ू कोना प्रबन्ध
क’ रहल छथि, से देखी |
हम सभ अंतिम वर्षमे गेलहुँ त आल इन्डिया टूर प्रोग्राम कॉलेज दिससँ तैयार
कएल गेलै | डेढ़ मासक प्रोग्राम छलै | एकटा बोगी आरक्षित रह्तै, ट्रेन आ बसक
माध्यमसँ यात्रा पूर्ण हेबाक छलै | संगमे कॉलेजक एकटा चपरासी आ एकटा डिमोन्सट्रेटर सेहो रहताह | हम एहि यात्राकें नहि छोड़’ चाहैत छलहुँ | समस्या
छलै जे छात्रकें अपना दिससँ चारि सै टाका अग्रिम जमा कर’ पड़ैत छलै |
एकदिन ससुर कहलनि, ठाकुर
हिनकाले’ एकटा साइकिल लेबाक अछि, तें
दरभंगा चलब | हम पुछलियनि कोन साइकिल लेबाक विचार छनि, त कहलनि सेन रेले
|ओहि समयमे यैह सभसँ नीक साइकिल होइत छलै | पुछलियनि कते दामक छै, कहलनि लोक कहैए चारि सै छै | हम चुप्प भ’
गेलहुँ, पुछलनि त कहलियनि जे साइकिलक बदला हमरा दोसर चीज बेशी उपयुक्त लगैए |
कहलियनि जे आल इण्डिया टूर प्रोग्राम लेल एतबे राशि जमा करबाक छै | कहलनि हमरा
कोनो आपत्ति नै अछि |
हमर समस्याक निदान भ’ गेल, साइकिलक बदला टूर प्रोग्राम |
समस्तीपुर जंक्शनसँ यात्रा आरम्भ भेल 12.04.1972 क’ बुध दिन | हम साढ़ूकें पत्र द्वारा सुचित क’ देने छलियनि
| सबेरे हावड़ा जंक्शन गाड़ी पहुँचलै | साढ़ू उपस्थित छलाह |पहिल भेंट छल तथापि असौकर्य नहि भेल | दुनू गोटे जलखै केलहुँ |
संक्षिप्त गप-शप भेल | हम कहलियनि कोन नम्बरक
बस अथवा ट्रामसँ पहुँचब, से बता
दिय’, हम साँझमे डेरापर आबि जाएब |
पूर्व निर्धारित कार्यक्रमक अनुसार दिनभरि सबहक संग घुमैत रहलहुँ |
बोटैनिकल गार्डन, चिड़ियाखाना, अजाएब-घर,विक्टोरिया मेमोरियल, धर्मतल्ला होइत
साँझमे साढ़ूक डेरा पहुँचि गेलहुँ |
बीडेन स्ट्रीटमे निमाई बोस लेन स्थित एकटा कोठलीमे साढ़ूक गृहस्थीक सभ
सामान छलनि |
यैह हिनक तपस्या-स्थल छलनि |
एतहि रहि चारिटा अनुज आ बादमे तीनटा पुत्रक शिक्षाक संग अपन नोकरीक
प्रबन्धन करैत आबि रहल छलाह | भोजन अपने
बनबैत छलाह | भोजन बनबैत काल बच्चाकें
पढाइमे मदति सेहो करैत छलाह | ओहि समयमे एकटा बालक संगे छलखिन | रूममे दूटा
चौकी छलै | भोजनक बाद एकटा चौकीक उपर दोसर चौकी राखिक’ नीचाँमे ओछाइन भेल | ओहिपर
फ़ैलसँ हम दुनू साढ़ू बड़ी राति
धरि गप-शप करैत रहलहुँ |
साढ़ू अपन पारिवारिक जीवनक कथा कहैत-कहैत पत्नीक योगदानक चर्च करैत भावुक
भ’ जाइत छलाह | ककरो संग अपन दुःख-सुख बँटलासँ मोन किछु हल्लुक होइत छैक |
हमरा बहुत किछु बूझल छल तथापि हुनका मूँहें सूनि नीक लागल | बड़की दाइ
(जेठ सारि)क तपस्याक परिणाम कते दिन बाद आएत, से सोचैत रहलहुँ |
दोसर दिन साढ़ूक अनुज बिन्दु जीक संग किछु महत्वपूर्ण स्थान जेना कलकत्ता
यूनिवर्सिटी इंडस्ट्रियल एंड टेक्नोलॉजिकल म्यूजियम, कालीघाट, प्लानेटोरियम
आदि देखि एलहुँ | साँझमे साढ़ू हबर-हबर
भोजन बनाक’ हमरा भोजन करा देलनि | बिन्दुजी हमरा हावड़ा जंक्शन पहुँचा देलनि | राति सबा आठ
बजे पुरीक लेल प्रस्थान करै गेलहुँ |
राति बर्थपर पड़ल-पड़ल बड़ी काल धरि
सोचैत रहलहुँ साढ़ू, बड़की दाइ, दू टा अबोध पुत्री
आ तीन टा पुत्रक भविष्यक विषयमे |
एक पीढ़ीक तपस्याक फल दोसर पीढ़ीकें प्राप्त होइत छैक | लगभग पचास साल भ’
गेलै | आइ बडकी दाइ आ साढ़ूक तपस्या आ आशीर्वादक प्रमाण बनल छथि सम्मानित सेवासँ
भारमुक्त भेल हुनक दू टा पुत्र आ जर्मनी,कनाडा,
बंगलोर, जमशेदपुरमे हिनका सबहक इंजीनियर,
डॉक्टर पुत्र, पुत्री, पुत्रवधू आ
जमाए लोकनि |
अपन पूर्वजक प्रति सम्मान व्यक्त करबाक संस्कृति अनमोल अछि | हम सभ आइ
जाहि ठाम छी ओहिठाम पहुचबामे हमर पूर्वज लोकनिक की योगदान रहल छनि, से जानबाक चाही
|
सबेरे हम सभ पुरी पहुँचलहुँ |
सभ गोटे बंगालक खाड़ीमे
ज्वार-भाटाक आनन्द लैत फेर चापा कलपर स्नान क’ क’ भगवान् जगन्नाथक दर्शन
करबाक लेल मन्दिर जाइ गेलहुँ |
ज्वार-भाटाक आनन्द लोककें पानिमे उतरबाक लेल आकर्षित करैत छैक | पानिक
प्रवल प्रवाह कखनो लोककें ऊपर ल’ जाक’
छोड़ि अबैत अछि त कखनो नेने-नेने बीचमे पहुँचा दैत अछि जत’सँ लोक घुरियो सकैए,
नहियों घुरि सकैए |
दू साल पहिने हमर परिचित एकटा
पति-पत्नी विवाहक बाद यात्रापर गेल छलाह | ज्वार-भाटा आकर्षित केलकनि | पानिमे
उतरै गेलाह | थोड़े काल आनन्दमे रहलाह | किछुए कालमे आनन्द शोकमे परिवर्तित भ’
गेलनि | दुनू गोटेकें पानिक प्रवल प्रवाह
झिकने चल गेलनि मुदा वापस एके गोटेकें केलकनि | कनियाँ कनैत रहि गेलीह, पति वापस
नै एलखिन |
एहेन दुर्घटना कम होइछै, मुदा होइछै |
तें हमरा दूरेसँ ज्वार-भाटाक आनन्द लेब ठीक लगैए | बत्तीस बरखक बाद फेर
पुरी जेबाक अवसर आएल त होटलमे स्नान क’क’ आरती देख’ मन्दिर गेलहुँ | बादमे दूरेसँ
ज्वार-भाटाक आनन्द लै गेलहुँ |
शास्त्रमे द्रष्टा बनिक’ संसारक सौन्दर्य देखबाक सन्देश अछि | मुदा, लोक डूबिक’ आनन्द
लेबाक चक्करमे बहुत किछु गमा बैसैत अछि |
भोजनक बाद गाड़ी वाल्टेयर लेल प्रस्थान केलक |
दोसर दिन भोरे वाल्टेयर (आन्ध्र प्रदेश) पहुंचै गेलहुँ |
स्नान-जलखैक बाद सिटी भ्रमण कय विशाखापत्तनमक बंदरगाह देखि अबै
गेलहुँ | एकटा मन्दिर सेहो देखि एलहुँ |
साढ़े चारि बजे साँझमे गाड़ी मद्रास लेल प्रस्थान केलक |
सभ स्टेशनपर लोकक भीड़ अपन लोकप्रिय अभिनेत्री जय ललिताक स्वागत पुष्प-बृष्टिसँ
क’ रहल छल | सामान्य कद-काठीक अभिनेत्री हाथ जोड़ि अपन प्रशंसक सबहक अभिवादन
स्वीकार क’ रहल छलीह | यैह लोकप्रिय अभिनेत्री बादमे तामिल नाडूक लोकप्रिय मुख्य मन्त्री सेहो भेलीह |
मद्रास सेंट्रल 2.30 बजे दूपहरमे पहुँचल रही | मूर मार्केट, पेरिस
कार्नर, चाइना मार्केट आ जेमिनी स्टूडियो घूमि अबैत गेलहुँ | एक ठाम एकटा धूप
चश्माक दाम पुछलियै, कहलक पचास रुपया | बढ़’ लगलौं त बिना नेने जाए नै देब’ चाहैत
छल | कहलियै पाँच रुपया | तुरत द’ देलक | तैयो भेल जे ठका गेलहुँ | एहने सन अनुभव
बहुत गोटेकें भेलनि |
फेर कतहु कोनो वस्तुक दाम नै पुछलियै |
गाड़ी राति 8 बजे गाड़ी मद्रास
सेंट्रलसँ प्रस्थान करैत दोसर दिन सबेरे पाँच बजे इरोड जंक्शन पहुँचल | इरोडसँ 6.30 बजे प्रस्थान क’ क’ साढ़े बारह बजे दूपहरमे
तिरुचिरापल्ली पहुचै गेलहुँ | ओहि ठाम एकटा मन्दिर देख’ जाइ गेलहुँ |
रातिमे साढ़े बारह बजे प्रस्थान क’ क’ दोसर दिन साढ़े बारह बजे दूपहरमे रामेश्वरम
पहुँचै गेलहुँ |
हिन्द महासागरमे स्नान कय पाँच
बजे बाइस टा कुण्डमे सेहो स्नान करै गेलहुँ |
महासागर देखि मोन पड़ल कतेक कथा जे नान्हिटासँ सुनैत आबि रहल छलहुँ | दस हजार साल पहिने भेल सीता-हरणक कथा, हनुमानजी
द्वारा समुद्र फानिक’ विभीषणक सहयोगसँ सीता माताक
पता लगयबाक कथा, लंका दहनक कथा, बानर सेनाक सहयोगसँ एहि महासागरपर बनल
सेतुक कथा, ओइपार कतेक दिन तक चलल युद्धक
कथा, राम द्वारा रावणक संहारक कथा |
आब विचार करैत छी त लगैत अछि जे रावण आइ कोरोनाक रूपमे आबि चुकल अछि जे
सम्पूर्ण विश्वकें आतंकित केने अछि | ओहि समय दस टा मुँह ल’क’ आएल छल, एखन हजारो-लाखो
मुँह ल’क’ उपस्थित अछि | ओ रावण देखाइ दैत छल, तें ओकरा हनुमानजी आ अंगद
सेहो लुलुआ लेलखिन, एखन त ओ देखाइए नै दैत अछि | एहेन स्थितिमे ओकर नाभि कत’
छै,से के कहत ? ओइ बेर त बेर-बेर गरदनि काटिक’
भगवान अपने परेशान भ’ गेल छलाह |
संयोग देखियौ ओम्हर अयोध्यामे रामक आगमनक हल्ला भेलै, एम्हर अदृश्य भेषमे
रावण सौंसे दुनियामे त्राहि-त्राहि मचा देलक |
युद्ध चलि रहल अछि |
रामक सेनामे लाखो प्रतिभाशाली विशेषज्ञ- चिकित्सकक टीम दिन-राति पुल
तैयार करबामे लागल अछि | किछु लोक रावणक ख़ुफ़ियाक रूपमे काज क’ रहल छथि | पुल
बनबामे देरी करबा रहल छथि | कुर्सी पयबाक, कुर्सी बचयबाक अथवा कुर्सी
हथियेबाक प्रोजेक्टपर सेहो काज संगहि चलि
रहल अछि | किछु गोटे रंग-विरंगक डहकन तैयार क’ रहल छथि |
काज बहुत भेलैए | करोड़ो लोककें दुनू
खोराक टीका पड़लनि | जान बचयबाक लेल
सुझाव देल गेल छनि जे घरेमे रहू | एकटासँ काज नै चलत, दू टा मास्क लगाक’ रहू |
बेर-बेर हाथ धोइत रहू | दूनू डोज लेलाक बादो संक्रमण हो त चिन्ता नहि करब |
डॉक्टरसँ संपर्क क’ क’ सभटा दबाइ ल’ लिय’ आ जाँच सेहो करबा लेब | सभटा प्रोटोकाल सुनिश्चित करब त मरब नै | शेष लोक सभ ले’ सेहो अभियान शुरू भ’
चुकल अछि |
हमहूँ दुनू गोटे 12 अप्रैलक’ दोसर डोज लेलहुँ | चारिम दिन माने 15 क’ हम भरि राति
बोखारमे रहलहुँ | बोखार 102 डिग्री तक रहल |
पानिक पट्टी मात्रसँ ठीक भ’ गेल, मुदा फेर दस दिनक बाद बोखार आएल | डॉक्टरसँ
सम्पर्क केलहुँ | डॉक्टर साहेब सभटा दबाइ लीखि देलनि जे अखबारमे प्रकाशित कएल गेल छलै | कोरोना वला
तीनू नै भेटल | यैह दबाइ भेटल :
1.पारासिटामोल 650
2.अजिथ्रोमायसिन 500
3.विटामिन सी
दू दिनक बाद आब बोखार नहि अछि | अजिथ्रोमायसिन तीन दिन ल’ चुकल छी | पाँच
दिनक सुझाव छल, तें दू दिन और लइए लेब, से सोचैत छी | हिनका पारासिटामोलसँ काज चलि
गेलनि |
परसू रातिमे नाक जाम भ’ गेल | राति भरि निन्न नहि भेल | चिन्ता भेल, मुदा सरिसोक तेलक प्रयोगसँ लाभ भेल | ऐसँ
नै होइत तखन फेर डॉक्टर- अस्पताल-सिलिंडर की-की कर’ पड़ैत आ की-की होइत से के जानय !
एम्हर तरह-तरहक प्रयोग व्यक्तिगत स्तरपर सेहो लोक क’ रहल अछि |
हमर मित्र सुधाकान्तजी (गायक ) सुचित केलनि अछि जे शहरक अस्पताल सभमे
आक्सीजनक कमी सूनि एक गोटे, जिनकर आक्सीजन
स्तर कम भ’ रहल छलनि, शहर छोड़ि गाम आबि गेलाह आ एकटा पीपड़क गाछक जड़ि लग
साफ़ क’क’ ओतहि सात दिनसँ रहै छथि आ एकदम स्वस्थ छथि |
एमहर नारद जी द्वारा कतहु ईहो
प्रसारित कएल गेल अछि जे जहिया आ
जखने ई रावण कोनो चुनावक रैलीमे चलि गेल
अथवा गाम दिस गेल, ओही क्षण ई जरिक’ भस्म भ’ जाएत,कारण एहि बेर ब्रह्माजीसँ वरदान
मंगैत काल अही दुनू ठाम अपन सुरक्षाक
आश्वासन मांगब बिसरि गेल | तें देखै नै छिऐ जे गाममे मूड़न, उपनयन, एकादशीक यज्ञ,
विवाहक भोज-भात आदि अबाधित चलि रहल अछि आ पटना,दिल्ली, मुंबइ और जहाँ-तहाँसँ आबि
लोक एहिमे सम्मिलित भ’ क’ अपन योगदान दैत अयशसँ बचि रहल छथि |
शहरमे प्रति दिन आत्मा सभ देह
छोड़ैत जा रहल छथि |
रंगकर्मी कुमार गगन आ मनोज मनुजकें नहि बचा सकलियनि |
अदभुत लेखक नरेन्द्र कोहली नै रहलाह |
श्रेष्ठ गीतकार-गजलकार कुँवर
बेचैन चल गेलाह |
कतेक घरक खाम्ह खसि पड़ल | कतेक घरक दीप मिझा गेल |
लोक आतंकित अछि | किनकर कहिया आ कखन नंबर आबि जेतनि, से निश्चित नहि अछि
|
एखन क्यो खोंखी करैत अछि, त डेरा जाइ छी | क्यो छीकै छै, त डर भ’ जाइए |
आपातकालमे लिखल गेल दुष्यंत कुमार जीक ई शेर मोन पड़ि रहल अछि :
‘सैर करने के लिए सड़कों पे निकल जाते थे
अब तो आकाश से पथराव का डर होता है’
नीरज जी सेहो कहने छथि :
‘ मित्रो हर पल को जिओ अंतिम पल ही मान
अंतिम पल है कौन-सा कौन सका है
जान’
एकटा स्वामी जी कहैत छलाह, जतेक
पवित्र आत्मा सभ एखन जा रहल छथि,
से किछुए सालक बाद वापस आबि जेताह आ हिनके
सभसँ हैत सतयुगक स्थापना |
स्वामी जीक बातसँ मरबाक डर कम भेल अछि |
(क्रमशः)
पटना /30.04.2021
आत्मकथाक ई भाग ‘विदेह’क अंक 323 (1.6.2021) मे प्रकाशित भेल
छल.
आँखिमे चित्र हो
मैथिली केर
( आत्मकथा )
12. चरैवेति-चरैवेति- 2.
रामेश्वरमसँ गाड़ी 20 अप्रैल क’ रातिमे साढ़े दस बजे प्रस्थान केलक |
21 क’ 6 बजे सबेरे मदुरै पहुँचल |
मीनाक्षी मन्दिर जा क’ दर्शन क’क’ 9 बजे प्रस्थान - 4 बजे तीरू जंक्शन
पहुँचै गेलहुँ |
ओत’सँ 11.50 बजे रातिमे
प्रस्थान - 6 बजे ईरोड आ ओत’ सँ 7 बजे प्रस्थान क’ 2 बजे जल्लारपेट पहुचै गेलहुँ |
ओत’ सँ 9 बजे रातिमे
प्रस्थान - 23 क’ भोरे आर्कोनम
पहुँचलहुँ |
24 क’ 3.20 बजे दुपहरमे जनता एक्सप्रेससँ
पुणे लेल प्रस्थान क’ 25 क’ साँझमे 7 बजे पुणे पहुँचै गेलहुँ |
27 क’
4.30 बजे भोरे बॉम्बे वी टी पहुँचलहुँ |
8.30 बजे खेलानन्दक डेरा गेलहुँ |
हमरासँ एक कक्षा आगाँ पढैत छलाह | गामसँ एक साल पहिने आएल छलाह खेलानन्द | मामा गामक किछु गोटे काज करै छलखिन,
हुनके सभ लग रहै छलाह | कहलनि जे आब दुःख होइए जे कम-सँ-कम मैट्रिक पास क’ क’
आएल रहितहुँ त ढंगक नोकरी भेटल रहैत | नीक लागल ई देखि जे अपन पूर्व परिचित लोक सबहक
संग नीक ठाम रहैत छथि | बिना भोजन केने नहि आब’ देलनि |
ओत’सँ घूरिक’ 10.30 बजे स्टेशन एलहुँ | फेर अजायब घर,
सांताक्रूज हबाई अड्डा घूमि अबै गेलहुँ |
28 क’ हबाई अड्डा, ओत’सँ हैंगिंग गार्डन घुमैत साँझमे
8.30 बजे समुद्रक
किछेरमे चौपाटी जाइ गेलहुँ |
3 मईक’ आगरा किला,ताजमहल,फतेहपुर सिकरी घूमि स्टेशन
आबि गेलहुँ |
4 क’ आगरासँ मथुरा, वृन्दावन घूमि मथुरा जंक्शनसँ
राति 11.40 बजे दिल्लीक लेल प्रस्थान |
5 क’ सबेरे नई दिल्ली
जंक्शन पहुँचै गेलहुँ |
आइ. ए. आर. आइ., जंतर-मंतर, जवाहरलाल नेहरु मेमोरियल, क़ुतुब
मीनार,राष्ट्रपति भवन, संसद भवन,लाल किला,राजघाट समाधि, शान्ति घाट, विजय घाट घुमै
गेलहुँ |
कृष्ण कान्त जीसँ भेंट करबाक प्रयास केलहुँ | पता चलल
जे तीन दिन पहिने गाम चलि गेलाह | हमर प्रिय लोक छलाह | पढैमे खूब मेधावी |
मुदा गाममे नीक वातावरण नहि भेटबाक कारण पढ़ाइ छोड़ि दिल्ली चलि गेल छलाह | हम
हुनकासँ भेंट कर’ चाहैत छलहुँ | हुनक स्थिति देख’ चाहैत छलहुँ | नहि भेटलाह त
सोचलहुँ आब गामे जाएब त भेंट करबनि |
6 क’ इंडिया गेट, ललित बाबू ओत’, राष्ट्रपति भवन
घूमि सहरसाक सांसद चिरंजीव झा जी ओत’ हम आ
मिश्रजी भोजन केलहुँ |
सी पी आइ नेता-सांसद भोगेन्द्र
बाबू ओत’ गेलहुँ | हुनका संगे संसद भवन गेलहुँ | हुनकासँ पहिल बेर भेंट भेल छल मुदा ओ से भान नै हुअ’
देलनि |संगे नेने गेलाह संसद भवन, कत’ की होइ छै से जानकारी भेटल, हुनका संगे सी
पी आइ कार्यालय गेलहुँ | हुनका संगे फोटो खिचबै गेलहुँ | तीन-चारि घंटा हुनका संग
रहलहुँ हम दूनू गोटे, नीक लागल | बादमे
स्टेशन आबि पुरानी दिल्ली स्टेशन गेलहुँ | राति 9.45 बजे लुधियानाक लेल गाड़ी प्रस्थान केलक |
7 क’ रवि रहै | हम आ
मिश्रजी ओहिना घूमय निकललहुँ | एक ठाम ऊनक फैक्ट्रीक शाइन बोर्ड देखलिऐ | गेट
कीपरकें कहलिऐ जे हम सभ फैक्ट्री घूम’ चाहै छी | कहलक, साहब से जाकर पूछो | गेलहुँ
| कहलियनि, हम लोग बिहार के एग्रीकल्चर कॉलेज से टूर पर आए हैं, फैक्ट्री घूमना
चाहते हैं | कहलनि, पहले से कोई अनुमति लिये हैं, कोई पत्राचार किया गया था ?
कहलियनि, नहीं | त कहलनि, फिर मुश्किल है | हम मिश्र जी कें कहलियनि, चलू-चलू, हम
सभ यूनिवर्सिटी चलै छी | हम सभ मैथिलीमे गप करैत वापस हुअ’ लगलहुँ, त ओ सोर पाड़लनि
| हम सभ घुमलहुँ |
एहि बेर ओ बहुत आदरसँ कुर्सीपर
बैसौलनि | दू-दू टा सिंघारा आ दू-दू टा रसगुल्ला मंगबौलनि | नाम-गाम सभ मैथिलीमे
पुछलनि | फेर कहलनि जे हमहूँ सभ दरभंगे
जिलाक विभिन्न गामक छी, हमर गाम झंझारपुर
लग अछि | बहुत आनन्दित भेलहुँ |
एक गोटे एलाह, हुनका हमरा सबहक परिचय देलखिन | ओ हमरा सभकें संग ल’ गेलाह
आ सभ किछु देखा देलनि | एक घंटा घूमि-फीरि एलहुँ त हुनका धन्यवाद दैत बिदा हुअ’
लगलहुँ त रोकि लेलनि, कहलनि, अहाँ सभले’ भोजन तैयार अछि, बिना भोजन केने नै जा सकै
छी | हमरा सभकें आश्चर्य भेल जे पहिल परिचयमे एतेक अपनापन हमरा सभकें कोना उपलब्ध
भ’ गेल | हम सभ कहलियनि जे साँझमे हमरा सबहक गाड़ी खूजत | ओ कहलनि जे भोजन क’ क’
थोड़े काल आराम करब, समयसँ एक घंटा पहिने स्टेशन पहुचायब हमर काज थिक | ओ बड्ड
आग्रह केलनि जे आबि गेल छी त सभ गोटेसँ भेंट-घाँट क’ लिय’, हुनको सभकें नीक लगतनि
| नहि मानलनि, ल’ गेलाह डेरा |
ओत’ जाइत लागल जेना पहिल बेर समधियान
पहुँचल होइ | पयर धोब’ सँ ल’ क’ भोजन –आराम धरिमे बहुत पैघ पाहुनक सत्कार जकाँ
व्यवस्था देखि चकित भ’ गेलहुँ |
बड़का हॉल छलै | सत्ताइस गोटे
रहैत छलाह | विभिन्न शिफ्टमे ड्यूटी रहैत छलनि | शिफ्टक अनुसार जे उपलब्ध रहैत
छलाह हुनके देख-रेखमे भोजन बनैत छल | एक आदमी सहायताक लेल रखने छलाह |
भोजनक सँचार देखि गुम्म भ’ गेलहुँ |हमरा सबहक आग्रहपर एकटा थारी उपलब्ध
भेल | हम सभ जते भोजन क’ सकैत छलहुँ ततेक
राखि शेष भात,तडुआ, तरकारी वापस केलहुँ | एहि लेल बहुत संघर्ष कर’ पड़ल |
रंग-विरंगक मुट्ठी काटल आम एकटा बाल्टीमे रखने छलाह, से चलब’ लगलाह |
दही आ रसगुल्ला बेरमे फेर बड़का लीला भेल | हम दूनू गोटे मध्यम कोटिक
खौकार छलहुँ | ओ सभ बरियाती जकाँ जोर करैत छलाह | कहुना-कहुनाक’ हम दूनू गोटे भोजन
समाप्त केलहुँ | पान-सुपारी आएल |ओहो सभ जे ओइ दिन छलाह से भोजन केलनि आ तकर बाद
आराम करैत-करैत मिथिलाक संस्कृति, भोज, आदि विषयपर गप्प आ ठहक्काक कार्यक्रम
प्रारम्भ भेल से बड़ी काल धरि चलल |
न्यू एरा वूलेन फैक्ट्री,
ओसवाल फैक्ट्री आ एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी
कैंपस घूमि साँझमे हम सभ स्टेशन पहुँचि गेलहुँ |
रातिमे बर्थपर पड़ल-पड़ल बड़ी काल धरि सोचैत रहलहुँ जे अपन भाषामे गप करबाक कारणे हमरा सभकें एकदम
नव स्थानमे अपरिचित लोक सभसँ अप्रत्यासित सम्मान प्राप्त भेल मुदा की बहुत आवेशसँ भोजने कराएब मात्र मिथिलाक संस्कृति छै |
कतहु किछु कमीक आभास भेल |
किनको मैथिली साहित्यसँ रूचि
किएक नहि देखलियनि | चारि आनामे ‘मिथिला मिहिर’ भेटैत छलै,मुदा एतेक मैथिलक बीच
एकटा ‘मिथिला मिहिर’ किए नहि उपलब्ध छल | भाषाक प्रति जागरूकताक अभाव किएक छल, ई
प्रश्न बेर-बेर मोनमे उठैत रहल | मुदा हिनका सभकें की कह्बनि जखन गाम-घरमे सेहो
स्थिति एहने अछि, लोक भोज करबामे ओतेक खर्च क’ लैत अछि,किन्तु चारि आनाक एकटा पत्रिका कियो कीनैत होथि से
ताकब कठिन अछि | पत्रिका कीनब आवश्यक नहि मानल जाड़त अछि | जखन
मधुबनी-दरभंगाक इएह स्थिति अछि त एतेक दूर
चाकरी कर’ आएल लुधियानाक मैथिलकें की कहबनि |
8 क’ 3 बजे दिनमे पठानकोट जंक्शन पहुँचलहुँ | रात्रि विश्राम एतहि करै गेलहुँ |
9 क’ 7.30 बजे श्रीनगर लेल प्रस्थान करै गेलहुँ |
2.45 बजे 34000 फीट ऊंचाइपर पत्नी
टॉप पहुँचलहुँ |
कूदमे भोजन करै गेलहुँ |
9.30 बजे रातिमे श्रीनगर पहुँचलहुँ |
एकटा अप्रिय घटना एत’ घटि गेलै |
किछु गोटे होटलमे अपन सामान राखि बाहर निकलि गेलाह | हम ठाकुरजी
(अशोक कुमार ठाकुर) आ मिश्र जी फ्रेश भ’ क’ चाह पीबि बाहर निकललहुँ
| घूमि-फीरिक’ भोजन क’ क’ राति 11.40 बजे एम्बेसी होटल पहुँचलहुँ |
हमरा सभकें देखिते हमर सबहक एकटा संगी जोर-जोरसँ अप्रिय शब्द सभ मूँहसँ
उगिल’ लगलाह, जकरा लोक गारि कहैत छैक | हम सभ सोच’ लगलहुँ जे की भ’ गेलै | गपसँ
लगैत छल जे ओ विशेष स्थितिमे छथि | किछु कालक बाद पता चलल जे हम सभ चाह पीबि क’
निकलि गेलिऐ घूम’ ले’ बाहर, ई सभ तखन बाहरसँ आबि गेलाह | होटलक बैरा नहि बुझलकै जे
ई सभ नहि पीने छलाह, हिनका सभकें देखि हिनके हाथमे बिल द’ देलकनि | ई किछु विशेष
स्थितिमे छलाहे,पाइ द’ क’ झगड़ा करबाक तैयारी केलनि आ हमरा सभकें देखिते शुरू भ’ गेलाह |
हमरा मोन पड़ल रस्तामे एकठाम कहने छलाह, हमारी हंगामा पार्टी किसी से कहीं
भी और कभी भी उलझ सकती है | पुछने रहियनि, बिना कारण के भी आप किसी से उलझ जाएंगे
त कहलनि, कारण हम ढूढ लेंगे न | हमरा लागल जे एखन धरि हम सभ बाँचल छलहुँ मुदा आब
हिनका कारण भेटि गेलनि | हमरा एखन पाइ चुकता क’
चुप रहि जाएब उचित बुझाएल | हम एहेन स्थितिमे कमजोर भ’ जाइ छलहुँ, आइयो यैह स्थिति
अछि !
अशोक कुमार ठाकुरजीकें अनर्गल बात बर्दाश्त नै होइत छलनि | ओ डाँटिक’
गारि नै पढबाक लेल चेतौनी देलखिन | ओ ढूसि लडबाक लेल तैयार छल | आगू बढल | हम सभ
ठाकुरजीकें रोकि लेलियनि | मिश्र जी ओकरा सामने ठाढ़ भ’ गेलखिन | ओ चिकरल, आप हमारे
सामने आनेबाले कौन हैं ! मिश्र जी कहलखिन, मैं तुम्हारा पैगम्बर हूँ | दू गोटे
ओकरो पकड़िक’ ओकरा शांत करबाक कोशिश केलक | ओ शांत होइते नहि छल | ठाकुर जी कहलखिन,
तुमने हमें गाली दी है, मैं तुम्हें शाप देता हू कि तुम फेल कर जाओगे |
बड़ी काल पर लोक सूतल |
सबेरे ओ एलाह, रात की गलती के लिए मुझे माफ़ कर दीजिए | कहलियनि, ठाकुरजी
से कहिए |
ठाकुरजीसँ सेहो माफ़ी मंगलनि |
सभ यज्ञमे व्यवधान होइत अछि, से भेलै | यात्रा आगाँ बढ़ल |
10 क’ 9.45 बजे होटलसँ प्रस्थान क’ 12.30 बजे दुपहरमे सोनमर्ग पहुँचै गेलहुँ |
2.30 बजे ओत’सँ प्रस्थान क’ 5 बजे होटल वापस आबि जाइ गेलहुँ |
6 बजे चाह पीबि बजार घूमय गेलहुँ | 9.30 बजे होटल घूरि अबै गेलहुँ |
11 क’
7.30 बजे बससँ प्रस्थान क’ चश्मेशाही, निसादबाग,आदि रमणीय स्थान सभ देखैत 12.30
बजे 87 किलोमीटरपर स्थित पहलगाम पहुँचै गेलहुँ |
भोजन क’ क’ घोड़ासँ पहलगामसँ 2 मीलपर स्थित बेईशरण गेलहुँ | आधा घंटा ओत’ ठहरि ओइठामक मनोहर दृश्य देखैत
घोड़ासँ घूरि अबै गेलहुँ |
6 बजे घूरिक’ आबिक’,
जलखै क’ क’ सिंकारासँ डल झीलमे 7 बजेसँ 10 बजे धरि विचरण करैत झीलक मध्यसँ चारू कात
पहाड़क मनमोहक दृश्यक अवलोकन करैत नेहरू पार्क, कबूतरखाना, चार चिनार आदि महत्वपूर्ण
स्थानक आनन्ददायक दृश्यसँ लाभान्वित होइत गेलहुँ |
श्रीनगरक ओ साँझ, गार्डन बुलबुल (सिंकाराक )क माँझी नूर
अहमदक मस्ती भरल प्रेम गीत ‘ ओलाइश्चिगो
गाइश्चे दिलदार मे .......’ अविस्मरनीय रहल
|
12 क’ साढ़े नौ बजे होटलसँ प्रस्थान क’ क’ साढ़े बारह बजे गुलमर्ग, डेढ़ बजे खिलनमर्ग पहुँचि
क’, ओतहि भोजन क’ पुनः गुलमर्ग होइत घूरि आबि डल झील, बजार घुमैत, भोजन करैत साढ़े
दस बजे होटल आबि गेलहुँ |
13 क’ टूरिस्ट सेंटरसँ प्रस्थान क’, पौने दू बजे बाटमे भोजन क’ साढ़े
नौ बजे पठानकोट जंक्शन पहुँचैत गेलहुँ |
14 क’ 1.40 बजे पठानकोट जंक्शनसँ प्रस्थान क’ 6 बजे जल्लारपेट जंक्शन, 10 बजे लुधियाना जंक्शन आ ओत’सँ हरिद्वार
लेल प्रस्थान करै गेलहुँ |
15 क’ 11 बजे हरिद्वार पहुँचि
स्नान क’,मन्दिरमे दर्शन-पूजाक बाद भोजन क’ क’ बोगीमे चलि एलहुँ |
16 क’ सबेरे ऋषिकेश लेल प्रस्थान करै गेलहुँ | 9.30 बजे ऋषिकेश पहुँचि
साढ़े दस वला ट्रेनसँ पुनः हरिद्वार आबि संध्या
3.45 बजे हरिद्वारसँ
देहरादून लेल प्रस्थान क’ साढ़े पाँच बजे देहरादून पहुँचै गेलहुँ |
17 क’ सबेरे आठ बजे मसूरीक लेल प्रस्थान क’ पौने दस
बजे मसूरी पहुँचै गेलहुँ | रोप-वे पर यात्रा केलहुँ | लाल टिब्बा गेलहुँ, जतय
टेलिस्कोपसँ हिमालय, तिलायनामाक गौतम मन्दिर, दुर्गा मन्दिर, बद्रीनाथ, केदारनाथ,
सेंट जेवियर्स कॉलेज देखिक’ डेढ़ बजे बससँ
विदा भ’ क’ साढ़े तीन बजे स्टेशन पहुँचै गेलहुँ |
18 क’ भोरे साढ़े तीन बजे बरेलीसँ प्रस्थान क’
काठगोदाम आ ओत’ सँ साढ़े नौ बजे बससँ नैनीताल लेल प्रस्थान करै गेलहुँ | साढ़े
ग्यारह बजे नैनीताल पहुँचै गेलहुँ | साँझमे नावसँ झीलमे विचरण करै गेलहुँ | बजार
घूमि, भोजन क’ क’ दस बजे रातिमे वापस अबै गेलहुँ |
19 क’ साढ़े दस बजे
नैनीतालसँ प्रस्थान क’ काठगोदाम होइत सबा बारह बजे पन्तनगर पहुँचै गेलहुँ | साढ़े
तीन बजे पन्तनगर कृषि कॉलेज पहुँचै गेलहुँ |
साँझमे सबा छौ बजे पन्तनगरसँ ट्रेनसँ बरेली लेल प्रस्थान करै गेलहुँ |
20 क’ 2.30 बजे भोरमे बरेलीसँ लखनउ लेल प्रस्थान क’ सबा नौ बजे लखनउ पहुँचै गेलहुँ |
छोटा इमामबाड़ा, बड़ा इमामबाड़ा,
भूल भुलैया, चिड़ियाखाना, म्यूजियम, बोटैनिकल गार्डन घूमै गेलहुँ |
21 क’ भोरे 4 बजे लखनउसँ कानपुर लेल प्रस्थान कएल गेल |
7 बजे
कानपुर पहुँचै गेलहुँ | बहुत गरमी छलै | दिन भरि ओतहि विश्राम करै गेलहुँ |
22 क’ भोरे 2.30 बजे कानपुरसँ वनारसक लेल प्रस्थान कएल गेल |
सबेरे आठ बजे इलाहाबाद पहुँचै
गेलहुँ | 9.30 बजे ओत’सँ प्रस्थान क’ तीन बजे वनारस पहुँचै गेलहुँ |
हिन्दू यूनिवर्सिटी, बिड़ला मन्दिर,संकट मोचन,श्री सत्य नारायण तुलसी मानस
मन्दिर, दुर्गा मन्दिर, बाबा विश्वनाथ मन्दिर घूमै गेलहुँ |
गंगामे स्नान क’, बाबा विश्वनाथक पूजा क’ क’ राति पौने नौ बजे स्टेशन
घूरि अबै गेलहुँ |
23 क’ 12.15 बजे वनारससँ प्रस्थान कय मुग़लसराय होइत तीन बजे
अपराह्नमे पटना जंक्शन पहुँचै गेलहुँ | आकाशवाणी,पटना गेलहुँ | साढ़े नौ बजे रातिमे
पटना जंक्शनसँ प्रस्थान कय राति बारह बजे बरौनी जंक्शन पहुँचलहुँ |
24 क’ भोरे पाँच बजे बरौनीसँ प्रस्थान क’ सात बजे
समस्तीपुर जंक्शन पहुँचै गेलहुँ |
समस्तीपुर जंक्शनसँ आठ बजे प्रस्थान क’ सबा नौ बजे दरभंगा पहुँचलहुँ |
दरभंगासँ बससँ एगारह बजे गाम सलमपुर –शम्भुआड़ (मधुबनी)पहुँचि
गेलहुँ |
टूर प्रोग्रामक समाप्तिपर एक सप्ताहक विशेष अवकाश स्वीकृत भेल छलै,
से तीन दिन गाममे बीतल आ तीन दिन सासुरमे |
विभिन्न स्वभावक पैंतालीस गोटेक संग एतेक दिन यात्राक बाद एहि निष्कर्षपर
पहुँचल रही जे जखन जाहि स्थानपर रही, जाहि व्यक्तिक संग रही आ सोझाँमे जे काज रहय
तकरा श्रेष्ठ मानिक’ रही त जीवन-यात्रा सुखद भ’ सकैत अछि !
एहि यात्राक बाद फेर कतहु घुमबाक आकर्षण नहि रहल.
ढोली पहुँचि फेर सभ गोटे पढाइमे लागि गेलहुँ |
दू मासक बाद परीक्षा भेलै |
ठाकुरजीक श्राप फलित भेलनि |
अशोक कुमार ठाकुर प्रथम श्रेणीमे प्रथम एलाह |
हम, मिश्र जी, नन्द कुमार झाजी द्वितीय श्रेणीमे उतीर्ण भेलहुँ |
हमरा संतोष भेल जे प्राप्तांक 56.2 % आएल, एहि आधारपर बैंकमे बहालीक लेल होइबला प्रतियोगिता परीक्षामे
सम्मिलित भ’ सकै छी |
ठाकुरजी ओही कॉलेजमे एम.एस.सी.(ए जी) कर’ लगलाह |
हम सभ बैंकमे नोकरीक लेल प्रतियोगिता परीक्षाक प्रतीक्षा कर’ लगलहुँ |
( क्रमशः )
आगाँक कथा ‘एकटा छलाह ननू कक्का’ अगिला रवि दिन
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