Saturday 10 December 2022

 

                            आँखिमे चित्र हो मैथिली केर

                                    (आत्म कथा)

                                                            1.

 जन्म-स्थान :

 

मधुबनीसँ चारि किलोमीटर दक्षिण आ पंडौलसँ पाँच किलोमीटर उत्तर |

गामक नाम सलेमपुर | लोक सलमपुर कहैत छलै |

सलमपुर नामक गाम और छलै, तें स्पष्ट करबा लेल भिट्ठी सलमपुर कहल जाइत छलै |

भिट्ठी हमर पडोसी गामक नाम अछि, तें भेल भिट्ठी सलमपुर |

बहुत बादमे पता चलल जे जमीनक नक्शाक अनुसार हमर गाम अछि शम्भुआड़ |

सलमपुर हमर पडोसी गाम भेल |

 

अही गाममे करीब चारि सय बर्ष पहिने भेल छलाह बेनी ठाकुर |

 

बेनी ठाकुरक पुत्र भेलथिन हरिहर ठाकुर |

 

हरिहर ठाकुरकें चारि पुत्र भेलथिन :

मेबा लाल ठाकुर, जय कृष्ण ठाकुर, जयमंत ठाकुर आ भगलू ठाकुर |

 

मेबा लाल ठाकुरकें दू पुत्र भेलथिन :

अनंत लाल ठाकुर आ अशर्फी लाल ठाकुर |

 

अनंत लाल ठाकुरकें दू पुत्र भेलथिन :

राम नारायण ठाकुर आ दोसर पञ्च लाल ठाकुर जे अविवाहिते मरि गेलाह |

 

जय कृष्ण ठाकुरक एकमात्र पुत्र छलथिन महावीर ठाकुर|

 

जयमंत ठाकुरकें तीन पुत्र भेलथिन :

मोतीलाल ठाकुर, अलीक लाल ठाकुर आ भोगी लाल ठाकुर |

भोगीलाल ठाकुरकें दू पुत्र भेलथिन आ ओ अपने कमे बयसमे मरि गेलाह |

 

भगलू ठाकुरकें तीन पुत्र भेलथिन :

राम रूप ठाकुर, गंगा दत्त ठाकुर आ राम स्वरुप ठाकुर |

 

राम रूप ठाकुरक पुत्र भेलथिन महेंद्र नारायण ठाकुर |

हिनक अलग घरारी छलनि |

 

गंगा दत्त ठाकुरकें तीन पुत्र भेलथिन :

राज नारायण ठाकुर, सुबुध नारायण ठाकुर आ ईश्वर नारायण ठाकुर |

तीनू भाइक परिवार एक घरारी पर एक आङनमे रहैत छल |

 

राम स्वरुप ठाकुरकें तीन पुत्र भेलथिन :

देव नारायण ठाकुर, हीरा लाल ठाकुर आ लक्ष्मी नारायण ठाकुर |

तीनू परिवार एक आङनमे रहैत छल,एक घरारी पर |

 

मेबा लाल ठाकुर आ जयमंत ठाकुरक परिवार एक आङनमे एक घरारी पर रहैत छल |

अही आङनमे अनंत लाल ठाकुरक पौत्र आ राम नारायण ठाकुरक

पहिल संतानक रूपमे हमर जन्म भेल |ओहि दिन विजयादशमी रहै |भोरे हमर जन्म भेल गाममे |

 

बाबा सीमान्त कृषक छलाह |खुट्टा पर एक जोड़ा बरद आ एकटा महींस छल |

खेतमे धान, मडुआ, अल्हुआ, राहरि,मसुरी, खेसारी आ कुसियार होइत छलै |

बहुत बादमे गहूम आ मकइ सेहो हुअलगलै |

 

 

 

घर-आङन :

 

 

परिवारमे माए, बाबू (पिता), दाइ (पितामही), बाबा(पितामह) छलाह |

हमरा बाद घरमे तीन बहिन आ दू भाए एलाह |

 

आङनमे दोसर घर छलनि अशर्फी लाल ठाकुरक जे हमर बाबाक छोट भाए छलाह |

हुनका दोकान बला बाबा सेहो लोक कहैत छलनि |

ओ खेतीक अतिरिक्त किरानाक दोकान सेहो करैत छलाह |

जाड़क मासमे दरबज्जा पर कल्हुआर सेहो चलैत छलै |कुसियारकें पेड़ कगुड़ बनाओल जाइत छलै |

 

 

तेसर घर छलनि मोतीलाल ठाकुरक आ भोगीलाल ठाकुरक | भोगीलाल ठाकुरक दू बालक छलथिन |

चारिम घर छलनि अलीक लाल ठाकुरक |

 

आङनमे उत्तर कात मोतीलाल ठाकुर आ भोगी लाल ठाकुर,दच्छिन कात अनंत लाल ठाकुर (हमर पितामह)

पूब दिस दच्छिनसँ अलीक लाल ठाकुरक घर छलनि,उत्तरमे एकटा छोट घर अशर्फी लाल ठाकुरक हिस्सामे छलनि |

एहि दुनूक बीच चारि फीटक रास्ता छलै जाहि दलोक आङनसँ दरबज्जा आ दरबज्जासँ आङन अबैत छल |

पच्छिम दिस उत्तरसँ अशर्फी लाल ठाकुरक घर छलनि आ दच्छिनमे अनंत लाल ठाकुरक हिस्सामे एकटा छोट-छीन घर छलनि

जाहिमे भगवतीक घर आ भनसा-घर दुनू छल |

 

आङनमे एकेटा घर छल जाहिमे नीचाँमे ईंटा आ उपर खपड़ा छलै | ई अशर्फी लाल ठाकुर बनबौने छलाह | शेष सभक  घर फूसक छल |

चारु घरबासीक लेल एकटा सझिया दरबज्जा छल जे खूब नमहर छल |

दरबज्जा पर सभ घरक चौकी कि खाट रहैत छल |अशर्फी लाल ठाकुरक एकटा संदूक सेहो छलनि |

दुपहरियामे आ रातिमे दरबज्जा भरल रहैत छल | दुपहरमे ताशक खेल होइत छलै |

दुर्गा पूजासँ दीयाबाती तक पचीसी सेहो लोक खेलैत छल |

 

भरि गाममे पाचे-छओ टा घर ईंटाक छल, और  सभ फूसक |

फूसक घर लकड़ी, बाँस, खढ, खरही, पतोइ आ साबेक जौड़सँ बनैत छल |

जखन हवा चलैत छलै,लोक अगिलगीक आशंकासँ डेराएल  रहैत छल |

एक शुभ दिनमे हम सभ अगिलगीक दुःख कोना भोगलहुँ, से आगू कहब |

 

आङगनक पच्छिम एकटा इनार छलै | टोल भरिक लोक एकर उपयोग करैत छल |

इनारक पानिक उपयोग पीबा लेल, नहेबा लेल आ कपड़ा खिचबाक लेल कएल जाइत छल |

नवकनियाँ सभ लेल घरक पाछू टाटसँ घेरकबाल्टीमे पानि राखि देल जाइत छलै |

 

टोलक दच्छिन एकटा पोखरि छलै |

हेलि कजाइठतक जाएब आ ओतसँ हेलि कआएब नीक लगैत छलै |

बूढ़ लोक सभकें पोखरिमे नहाएब नीक लगैत छलनि |

लोक माल-जालकें सेहो पोखरिमे नह्बैत छल |

 

पनिभरनी डोलसँ घैलमे पानि इनारसँ भरि कअङने-अङने दअबैत छलीह |

हुनका सभ घरसँ अन्न देल जाइत  छलनि  आ पावनि-तिहार अथवा मूड़न, उपनयन,विवाह आदि अवसरपर कपड़ा सेहो |

 

पैखाना जेबाक लेल बँसबिट्टी अथवा खेत दिस लोक जाइत छल |

नवकनियाँ सबहक लेल बाड़ीमे खाधि खुनि कतात्कालिक व्यवस्था कएल जाइत छल |

हाथ माइटसँ धोल जाइत छलै |

 

परंपरा

 

पुत्र जन्म लेल लोक देवी-देवताक कबुला करैत छल | पुत्र भेला पर बड़ ख़ुशी मनबैत छल |

बच्चा एक-दू सालक होइत छल त नीक दिन तका कबड़ विधि-विधानसँ मूड़न कराओल जाइत छलै |

सभ सम्बन्धीकें नोत-हकार देल जाइत छलनि | पाहुन सभ अबैत छलाह |

गामक लोककें भोज खुआएल जाइत छल | स्त्रीगण  सभ गीत गबैत छलीह |

हजाम कैंचीसँ बच्चाक माथक केश कटैत छलाह | हजामकें पारिश्रमिक आ कपड़ा देल जाइत छलनि |

परंपराक अनुसार हमरहु मूड़न भेल |

ई उत्सव बेटीक लेल नै कएल जाइत छलै |

 

बच्चा आठ बरखक होइत छल त उपनयनक बात शुरू भजाइत छल |

नीक दिन तकाएल जाइत छल |

एक दिन उद्योग-मरबठट्ठी होइत छल |

बाँस काटल जाइत छल आ मरबा बन्हाइत छल | भराइत छल |

नीपल-पोतल जाइत छल |

गीत-नाद होइत छलैक |भोज होइत छलैक |

 

उपनयनक दोसर चरण होइत छल कुमरम |सर-कुटुंब सब अबैत छलाह |

बच्चाक विवाहित बहिन,दीदी,मामी,नानी,मौसी आदि विदागरी भअबैत छलीह |

पंडितजी अबैत छलाह |पूजा-पाठ होइत छल |गीत-नाद होइत छल | भोज होइत छल |

 

तेसर चरण होइत छल उपनयन | छागर कटाइत छल |गीत-नाद होइत छल |

पूजा-पाठ होइत छल |एक आदमी गुरु बनैत छलाह | एक आदमी ब्रह्मा बनैत छलाह |

बालकक माथक केश अस्थुरा लहजाम द्वारा काटल जाइत छलनि |

बालककें गायत्री मन्त्र पढ़ाओल जाइत छल | जनउ धारण कराओल जाइत छल |

पानि ललघुशंका करब सिखाओल जाइत छल |छुआछूत मानब सिखाओल जाइत छल |

लघुशंका आ दीर्घशंका करैत काल जनउ कान पर राखब सिखाओल जाइत छल |रातिमे फेर भोज होइत छल |

 

चारिम चरण होइत छल रातिम जे उपनयनक चारिम दिन होइत छल |

एकर संग सत्य नारायण भगवानक पूजा होइत छल |

 

पाहुन सभ जे कुमरम दिन अबैत छलाह से रातिमक बादे मुक्त भपबैत छलाह |

बिदागरीवाली सभ सेहो रातिम अथवा पूजाक बादे वापस जाइत छलीह |

पाहुन सभ बरुआक लेल वस्त्र  आ आशीर्वादक रूपमे किछु टाका खर्च करैत छलाह |

जाइत काल हुनका विदाईमे धोती, जनउ-सुपाड़ी देल जाइत छलनि |

स्त्रीगण सभ सेहो बरुआ लेल, बरुआक माए लेल कपड़ा आ पाइ  अनैत छलीह |

हुनको सभकें जाय काल साड़ी,साया,ब्लाउज आदि देल जाइत छलनि |

 

उपनयनक प्रक्रियामे घरवारीकें 15 दिन सँ 20 दिन समय लागि जाइत छलनि आ बहुत अन्न-पानि आ टाका खर्च होइत छलनि |मुदा बहुत उत्साहसँ ई खर्च लोक करैत छल |

जिनका अपना घरमे अन्न-पानि आ टाका नहि रहैत छलनि ओ कर्जा ल’, खेत भरना धव्यवस्था करैत छलाह |

परम्पराक अनुसार हमरहु उपनयन भेल |

बेटीक लेल ई सभ नै होइत छलै |

 

बेटीकें लोक स्कूल नै पठबैत छल |लोक चाहैत छल जे बेटीकें अक्षरक ज्ञान भजाइ, घरवलाकें चिट्ठी लिखैक अवगति भजाइ |बेटी दस-बारह बरखक भेलै त कतहु ओकर विवाह करा कलोक निश्चिन्त भ’ जाइत छल |

 

बेटाकें लोक स्कूल पठबैत छल |

 

गाममे पुबाइ टोलमे छलै स्कूल, पाँचमा तक पढाइ  होइ छलै |

कोनो-कोनो शिक्षक सभ विद्यार्थीक संग बहुत कठोर व्यवहार करैत छलाह |

उद्देश्य नीक छलनि |

जे छात्र सबक याद कनै जाइत छलाह हुनका मारि खाए पड़ैत छलनि |

मारबाक लेल बाँसक करची अथवा खजूरक छड़ी अथवा रोलक उपयोग कएल जाइत छल |

जकरा पर मास्टर साहेब खिसियाइत छलाह, ओकरा मारैत-मारैत ओध-बाध कदै छलथिन |

पीठ पर दाग भजाइत छलै |

विद्यार्थी स्कूल जेबासँ छीह काटलगैत छल |ओकरा और कठोर दंड भेटैत छलै |

शिक्षक बुझैत छलाह जे मारिक डरसँ विद्यार्थी पढ़त, पाठ याद कआएत मुदा परिणाम होइत छल जे बहुत विद्यार्थी स्कूल एनाइ बंद कदैत छल |

माए-बाबू सेहो सोचलगैत छलाह जे जीतै त बीस टा उपाए हेतै | एहन बच्चा सभ खुरपी-कोदारि धलैत छल |

 

 

प्राइमरी पाठशाला

घरसँ एक किलोमीटर पर छल स्कूल |

बाल मुकुंद बाबू छलाह प्रधानाध्यापक |दूटा और शिक्षक छलाह |

बाल मुकुंद बाबूक डर बहुत होइ छलै विद्यार्थी सभकें | जे हुनका डरसँ पाठ याद कगेल से बाँचल, जे नै याद केलक ओकरा छड़ी अथवा रोलसँ बड़ मारि खाए पडैत छलैक | भरिसके  कियो हुनकासँ मारि नै खेने हएत | मारि नै खाए पड़य, ताही डरसँ पाठ याद कजाइत छलहुँ | तकर लाभ भेल |

हमर संगी छलाह राजेन्द्र ठाकुर |

हुनकर बाबू हुनका गायक बनबचाहैत छलथिन |

ओ साँझ ककैटोला स्थानपर एकटा गबैयाजीसँ गायन सीखजाइत छलाह |

हुनका संगे एकदिन हमहूँ गेलहुँ |

हरमुनियाँ पर सा रे ग म प ध नी सा,सा नी ध प म ग रे साक अभ्यास करब आकर्षित केलक |

बाबूकें नीक नै लगलनि |

ओ हमरा बुझौलनि जे बी ए पास  केलाक बाद और जे किछु करबाक हुअसे करिह’, एखन नै |

ओ स्कूलमे मास्टर साहेबकें सेहो कहि देलखिन |

मास्टर साहेब तेहेन छौंकी लगेलनि जे हमर गायन सिखबाक उत्साह ख़तम भगेल |

स्कूलमे एकटा सज्जन मास्टर साहेब एलाह | ओ ककरो नै मारैत छलखिन | ओ साइकिलसँ गामसँ अबैत छलाह | साइकिलसँ अबैत काल हुनका लोक बेर-बेर पुछैत रहै छलनि, मास्टर साहेब कते बजलैए ओ खौंझाइत छलाह | लोक दौड़ि कलग जा कपूछि दैत छल | ओ कहैत छलखिन दस’, चाहे कतबो बाजल होइ |

स्कूलमे प्रार्थना होइ छलै, से हमरा सबसँ बेशी नीक लगैत छल | सरस्वतीक पूजाक अवसर पर स्कूलक आगाँ नाटक होइ छलै,सेहो देखब नीक लगैत छल |नाटक ओही टोलक नवयुवक सभ करैत छलाह |

 

हमे दूरदर्शन

 

दाइक सुइत हेरा गेलनि |वियाहमे भेटल रहनि |

चानीक छलै | धन्हारीक खोधलीमे रखने छलीह |बहुत खोज भेलै | नै भेटलनि | आठ बरख के भीतरक  दू टा बच्चाकें लदाइ  भौड़ा पहुँचलीह | एकटा हम रही |दोसर छलाह बाबू नारायण | ओ हमरासँ दू बरखक जेठ छलाह |

हमरा सभक दहिना औंठामे काजर लगाकमौलबी साहेब मोने-मोने किछु पढ़लनि आ कनी कालक बाद हमरा औंठाकें सोझाँ राखि पुछ्लनि देखियौ त किछु देखाइए | हम किछु नै देखलियै | बाबू नारायण कहलखिन, हँ,हम त देखै छियै,  त कैला छै |

दाइ कहलखिन, हे, ठीकसँ देखही, कैला नै हेतै, दोसर कियो हेतै |

बाबू नारायण कहलखिन, हम ठीकसँ देखै छियै, ई कैले छै |

मौलबी साहेब फेर आँखि मूनि ककिछु मोने-मोने पढ़िककहलखिन, आब देखियौ त की सभ ओ करै छै |

बाबू नारायण बाजय लगलाह :

ओ घरमे गेलैए .....धनहारीमे हाथ देलकैए ......ओइमे सकिछु निकालिकफाँड़मे रखलकैए .....आब घरसँ  निकलि गेलै....आब आङनसँ बाहर आबि गेलै.....कतौ जाइ छै .........एक ठाम पोखरि खुनाइ छै....ओतठाढ़ भककरोसँ गप्प करै छै.....जकरासँ गप्प करै छै ओकरा नै चिन्है छियै......आब बिदा भेलै.....जा रहल छै....आब घर सभ छै.....एकटा आङनमे एलै......एकटा मौगीकें गोर लगै छै ....ओकरा संगे एकटा घरमे गेलैए....किछु देलकैए ओकरा ...आब घरसँ बाहर आबि गेलै....फेर ककरो गोर लगैछै, हम नै चिन्है छियै.....

मौलबी साहेब पुछलखिन, ई कैला के अछि ?

दाइ कहलखिन, नै मौलबी साहेब, कैला हमर वस्तु नै चोरा सकैए |

मौलबी साहेब कहलखिन, वएह लेलक-ए, ओकरे पुछिऔ |

घर अबै गेलहुँ |

घरमे ककरो मोन नै मानै जे कैला चोरौने हेतै | कैला सबहक विश्वास पात्र छल |महींसक चरबाही करैत छल |

कियो पुछलखिन त कैला सोझे नठि गेल |

बाबा चिराकी चाउरक प्रयोगक घोषणा केलनि |

 

चोर पकड़बा लेल चिराकी चाउरक प्रयोग :

 

चिराकी चाउरक नाम सुनिते कैला बाजलागल, हम त एक किलो चाउर चिबा जेबै, हमरा कोनो डर अछि, हम चोरेने छियैहे ने त हमरा कथीक डर |

साँझमे टोलक बहुत लोक सभ जमा भेल | एकटा थारीमे अरबा चाउर आएल | बाबा किछु मन्त्र पढ़िककनी-कनी कसभकें देलखिन चिबाब’|

सभ कनिएँ कालमे चिबाकघोंटि गेल, कैलाकें घोंटल हेबे नै करै | कतेक काल धरि चिबबैत रहल कैला, एक मुट्ठी चाउर नै भेलै चिबाएल |

पक्का भगेलै जे कैले चोर अछि |

बाबाक आँखिमे नोर भरि एलनि |कैला दिस तकलनि |

कैला बाबाक पएर पर खसल, हमरा माफ़ कदियगिरहत, हमही चोर छी |

कैला चोर नै छल | घरमे बेगरता छलै | तें एहेन केलक |

ओ गछलक जे हम त ओकरा बेचि लेलहुँ, मुदा हम ओकर पाइ सधा देब |कैलाकें कोनो दंड नै देल गेलै | ओकरा फ़ज्झति नै कएल गेलै | ओकरासँ घृणा नै कएल गेलै |

कैला दू-तीन सालमे कर्जसँ मुक्त भगेल |

बादमे ओ नोकरी करआसाम चल गेल | ओतसँ सालमे एक बेर अपन  गाम अबैत छल त हमरो गाम आबि बाबा-दाइक भेंट करअवश्य अबैत छल |

कैलू हमरो नीक लगैत छल |

गहना रखबाक एहेन उपाय, एहेन चोरी, चोर पकड़बाक एहेन उपाय, चोरक प्रति एहेन भाव आ पकड़ा गेलाक बाद चोरक संग एहेन व्यवहार हमरा प्रभावित केलक | हमर व्यक्तित्वक निर्माणमे एकर महत्व अछि |हम मानैत छी जे जीवनमे ककरोसँ कोनो क्षति भजाइ त ओकरा दंड देबाक बात नै सोचबाक चाही, ओकर स्थितिक अनुमान करक चाही,ओकरा प्रति करुणाक भाव रखैत क्षति कम करबाक प्रयास करबा पर ध्यान देबाक चाही, क्षति और ने भजाए से होश राखब जरुरी होइत छैक |सकैछै जकरा अहाँ अपराधी बुझैत छी से अपराधी नै हो, ओ मात्र एकटा उपकरण हो आ अहाँक क्षति अहीं द्वारा निर्मित एकटा परिस्थितिक परिणाम हो | तें अपराधक जड़ि तकबाक प्रयास करब आ ओकर निदान ताकब बेशी उपयुक्त भसकैत अछि |

अधिक काल एना होइत छैक जे कोनो दुर्घटना भेला पर लोक अपनाकें निर्दोष आ शेष सभकें अपराधी बुझैत अछि, जकर परिणाम शुभ नहि होइत अछि |

 

( क्रमशः )

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