Saturday 10 December 2022

 

आत्मकथाक ई भाग ‘विदेह’क अंक 320 (15.04.21)   मे छपल  छल.

                                   

 

                  आँखिमे चित्र हो मैथिली केर            

                        (आत्मकथा)

                                             10. कल्पना-गगनमे

वरियातीक  प्रस्थान करबाक समय बाबू हमरा लग आबि कहलनि, कनियाँक पढाइक व्यवस्था कएल जेतनि |

हुनका  गेलाक बाद  लागल जे आब एसगरे हमरा अपन समस्याक समाधान ताक’ पड़त | हमरा इहो लागल जे मोनसँ अथवा बेमोनसँ जखन हम पूर्ण सचेत अवस्थामे विवाह स्वीकार क’ लेलहुँ त आब अनका ककरो दोख देब उचित नहि, एकर जिम्मेदार हम स्वयं छी |

‘कन्यादान’क सी सी मिश्र जकाँ सासुरसँ भागि जाएब उचित नै बुझाएल | हम समाधानक लेल ‘द्विरागमन’क कथाक चिन्तन कर’ लगलहुँ |  बुच्ची दाइकें ठीकसँ बुझबाक प्रयास कर’ लगलहुँ |  मोनक बातकें शब्दमे बन्ह्बाक प्रयास केलहुँ |किछु पाँती मोनमे घुरियाए लागल :

 

           गीत

कल्पना-गगनमे मधुवन सजा रहल छी

दुनियाँमे जीबाक अछि, तें मन लगा रहल छी |

 

             अछि आइ ने कोनो सपना 

             अछि आइ ने कोनो धारा

             मोनो ह्रदयक प्रश्नक

             नहि दैत अछि उतारा

उमड़ल जे बात मनमे, कहितो लजा रहल छी

दुनियाँमे जीबाक अछि, तें मन लगा रहल छी |

किछु पाँती बादमे जोड़ायल :

                चोट’छि ह्रदयमे लागल

               नहि नोर टा बहैए

              मरियोक’ हम जिबै छी

              हँसि ठोर टा कहैए

रूसल जे  भाव मनमे, तकरे मना रहल छी

दुनियाँमे जीबाक अछि,तें मन लगा रहल छी |

        जिनगीसँ सीख भेटल

              हँसिक’ समय बितायब

              सुखमे ने मुँह खसायब

               दर्दमे ने छटपटायब

बाजल जे तार तनमे, तकरे बजा रहल छी

दुनियाँमे जीबाक अछि तें मन लगा रहल छी |

 

शास्त्र  कहैत अछि जे विवाह, जन्म आ मृत्यु जहिया, जत’ जेना हेबाक रहैत छै तहिना होइत छैक |

शास्त्रमे हजारो बरखक अनुभवपर आधारित ज्ञान अछि |

ई ज्ञान लोककें निराशासँ बँचबैत छैक |

अपन स्थितिक समीक्षा केलहुँ त लागल जे हमरा जते नहि भेटल अछि ताहिसँ बहुत बेशी ओ अछि जे भेटल अछि | हमरा जे भेटल अछि ओहिपर ध्यान केन्द्रित क’ क’ प्रसन्न रहबाक चाही आ जे प्रयास केलासँ और नीक भ’ सकैछै,ताहि लेल प्रसन्नतापूर्वक प्रयास करबाक चाही | हमरा सोझाँ एखन द्वितीय बर्षक परीक्षा अछि, जल्दीए ढोली जाए पड़त |

सासुरमे सासु छलीह जजुआरक | ससुर छलाह, दू टा जेठ सार छलाह, दुनू सरहोजि छलीह, चारिटा छोट-छोट सरबेटा छलाह | दूटा जेठ सारि छलीह जे नहि आएल छलीह | एकटाक सासुर डुमरा (बेनीपट्टी) छलनि, दोसरक सासुर कोरियाही (सीतामढ़ी ) छलनि | एकटा साढ़ू आएल छलाह जे दरभंगामे बी.ए.मे पढ़ैत छलाह |

दिनमे कते गोटे भेंट कर’ अबैत छलाह | अधिक लोक पीसा कहैत छलाह | चारि दिन भरि घर-दरबज्जा धरि रहैत स्त्रीगण सभक मूँहें गीत सुनैत छलहुँ अथवा नव-नव लोक सभसँ परिचय होइत छल | गीत सभक भास मनमोहक लगैत छल किन्तु शब्द सभमे सुधारक/परिवर्तनक  आवश्यकता लगैत छल | एहेन एकटा गीत तैयार भेल :

घुमा दियनु हे ससुर अङनामे |

                    नहूँ-नहूँ चलियौ दुलहा

                   जोरसँ ने चलियौ

                   एखनेसँ कनियाँकेर

                   हाथ ने छोड़ियौ

धरा दियनु हे ससुर अङनामे |

                देखब दुलहा कहियो

                हुए ने गलती

               अपने चलबै आगाँ

               कनियाँ पाछाँ-पाछाँ चलती

सिखा दियनु हे ससुर अङनामे |

              पोथी मे ने भेटत दुलहा

             एहेन गियान

             जिनगी भरिमे संगी एहेन

             भेटत क्यो ने आन

लिखा दियनु हे ससुर अङनामे |

             देखब दुलहा कहियो

             ई संगी नहि छुटय

             सासुरक बान्हल प्रेमक

             डोरी ने ई टूटय

बन्हा दियनु हे ससुर अङनामे |

          देलहु अमोल धन

          राखब जोगाकय

          बड़ पछ्तायब

          एकरा गमाकय

बुझा दियनु हे ससुर अड़नामे |

         वर-कनियाँ होइए

         एके गाड़ीके दू पहिया

         हैत बड़ कचोट

         बिसरबै ई जहिया

रटा दियनु हे ससुर अङनामे |

 

चारि दिनक बाद  साँझमे हाजीपुर अथवा खिरमा जाइत  छलहुँ | संगमे सार आ  टोलक किछु गोटे रहैत छलाह | सबेरेसँ साँझ धरि पान खेबाक अभ्यास जोर पकड़लक |

बहुत गोटेसँ भेंट-घाँट नियमित होइत रहैत छल, मुदा  एक गोटेसँ भेंट करक लेल अठारह घंटा प्रतीक्षा कर’ पड़ैत छल |पूरा वाक्य सुनबाक लेल दस दिन प्रतीक्षा कर’ पड़ल |

ओ वाक्य छल ‘ आब कहिया एबै ?’

भरिसक अही छोट-छीन वाक्यमे छिपल छल जकरासँ विवाह हो, तकरासँ प्रेम करबाक दर्शन |

ढोली पहुँचलाक बाद परीक्षाक तैयारीमे लागि गेलहुँ | किछुए दिनक बाद सासुरसँ चिट्ठी आएल | संगी ठाकुरजी सोझाँमे छलाह | हम पढ़लिऐ त’ हँसी लागल | ठाकुरजीकें कहलियनि पढ़िक’ अर्थ हमरा बुझा दिय’ | ठाकुरजी पढ़’ लगलाह एके दममे हँसैत पढ़ने जा रहल छलाह, कहलनि पूर्ण विराम त छैहे नै,रुकू कत’ |

कनेक ख़ुशी भेल जे अक्षरक ज्ञान त छन्हि | एकर मतलब किछु सुधारक  आशा  कयल जा सकैत अछि | चिट्ठीसँ ई बुझबामे आयल जे मधुश्रावणीमे हमर आएब सुनिश्चित करबाक अनुरोध कएल गेल अछि | अनुमान कएल गेल जे ओइ समय तक परीक्षा पूर्ण नै भेल रह्तै तें जाएब संभव नहि अछि | परीक्षा शुरू भ’ गेल त एकटा चिट्ठी पठा देलियंनि |

 

ई जुनि बुझू झूठ कहै छी |

कहिया दर्शन हैत अहाँसँ

आंगुरपर हम दिन गनै छी |

             सासुर अएबाक होइतछि इच्छा

             मुदा चलैतछि एखन परीक्षा

बितत कोना ई मिलन-प्रतीक्षा

कखनो-कखनो खूब सोचै छी,

ई जुनि बुझू झूठ कहै छी |

             हैत परीक्षा-फल जँ ने बढ़ियाँ

             लोक कहत जे अभागलि कनियाँ

चुटकी लेत हमरा भरि दुनियाँ

मोन मारि तें एखन पढै छी,

ई जुनि बुझू झूठ कहै छी |

                   जुनि बूझब जे अहाँकें बिसरलौं

                   ककरहु माया-जालमे फँसलौं

हम त अहाँकेर हाथ पकड़लौं

अहींकेर प्रेम-गगनमे उड़ै छी,

ई जुनि बुझू झूठ कहै छी |

                   बितत परीक्षा शीघ्रे आयब

                   तखन अपन हम कुशल सुनायब

अहाँ कथू ले’ ने गाल फुलायब

चिट्ठी एखन बस एतबे लिखै छी,

ई जुनि बुझू झूठ कहै छी |

एखन विदेहमे भाइ राम लोचन ठाकुर जी पर जे विशेषांक आएल अछि, ताहिमे वंदना किशोरजी  द्वारा जे साक्षात्कार प्रस्तुत कएल गेल अछि ताहिमे एक प्रश्नक जबाब दैत भाइ कहैत छथि जे हमरा पत्नीकें अक्षरक ज्ञान छलनि, मात्राक नहि |

हमरा लगैत अछि जे इहो प्रश्न पूछल जेबाक चाही जे ओहि स्थितिमे परिवर्तनक हेतु अहाँ द्वारा की प्रयास कएल गेलै | मुदा, बड्ड देरी भ’ गेल अछि, आब ई प्रश्न ककरासँ पूछब ?

ओहि समयमे ई स्थिति सामान्य रहैक | ‘कन्यादान’क बाद ‘द्विरागमन’ उपन्यासमे हरिमोहन बाबू जे समाधानक एकटा ‘मॉडल’ देने रहथि तकर कतेक उपयोग भेल अथवा ओकर की प्रभाव ओहि समयक लोकपर पड़ल, से एकटा शोधक विषय भ’ सकैत अछि |

शास्त्र  ईहो कहैत अछि जे हमर एकटा निर्णय  हमरा कत’सँ  कत’ पहुँचा सकैत अछि तकर ठेकान नहि, तें सभ काज सोचिक’ करक चाही | बहुत काज अज्ञानतावश लोक करैत अछि, जाधरि ज्ञान होइ ताबत बहुत देरी भ’ गेल रहै छै |

गलतीसँ जे अनुभव होइत छैक से सीढ़ीक काज क’ सकैत अछि |

मुदा किछु गलती एहेन होइछ जकर परिणाम ई अवसर नहि दैछ जे ओ सीढ़ीक काज क’ सकय |

हमर एकटा कवि-मित्र छलाह आर. के. रवि | हमरा छत्तीसगढ़मे 28 साल पहिने परिचय भेल छल |  हजारीबाग जिलासँ गेल छलाह | 6  साल धरि प्रायः प्रतिदिन भेंट होइत छलाह | ओकर बाद मोबाइलसँ सम्पर्क बनल छल | सालमे दू-चारि बेर मोबाइल पर गप नीक जकाँ भ’ जाइत छल | हिन्दीमे गीत-गजल लिखैत छलाह | गजलक दू टा पोथी प्रकाशित छनि : ‘सुबह की धूप’ आ ‘धूप और छाँव’ | ओ कोलियरीमे काज करैत छलाह |

किछु साल पहिने सेवा निवृत भेल छलाह | बिलासपुरमे घर बनौलनि | बेटी-बेटा

इंजिनियर छथिन, बंगलोरमे काज करै जाइ  छथि, मुदा किछु माससँ घरेसँ काज करैत छथिन | पत्नी शिक्षिका छथिन बिलासपुरसँ दूर एकटा ग्रामीण विद्यालयमे | संगे रहैत छलाह |

दू साल पहिने गप भेल छल त कहलनि जे उच्च-रक्त चापक नियंत्रणक हेतु अंग्रेजी दबाइ जे खाइ छलाह से छोड़ि देलनि, छओ मास दुनू साँझ दू-दू टा मुक्तावटी खाक’ आब ओहो छोड़ि देलनि आ रक्त-चाप सामान्य रहैत छनि |

ओ उच्च रक्त-चापक समस्यासँ अपनाकें मुक्त मानैत छलाह | बीस जुलाई 2020  क’ गप भेल त कहलनि जे पत्नीक ट्रान्सफर बिलासपुर करेबाक  प्रयासमे लागल छी, नै भ’ रहल अछि |

गत 26  मार्चक’ बाथ रूममे खसि पड़लाह, ब्रेन हेमरेज भ’ गेलनि | अपोलो अस्पतालमे भर्ती कएल गेलनि | चारि दिन वेंटीलेटरपर रहलाह | फगुआक प्रात 30  मार्चक’ एहि जगतकें नमस्कार कहि गेलाह | हुनक पुत्र हिमांशुसँ सम्पर्क भेल छल | चिरमिरी कोलियरीक अवकाश प्राप्त इंजिनियर आ गायक-मित्र दादा पल्टू मुखर्जी सर्वप्रथम ई सूचना देलनि आ समय-समयपर स्थितिसँ अवगत करबैत रहलाह अछि  | दादा सेहो बिलासपुरमे रहैत छथि | दादा रविजीक आ हमर दस-दस टा गीत-गजलकें शास्त्रीय धुनमे संगीतबद्ध क’क’ कैसेट उपलब्ध करौने छलाह जकरा हमसभ एखन धरि सुरक्षित नहि राखि सकलहुँ | दादाकें आब डॉक्टर जोरसँ गीत गेबासँ मना क’ देने छनि | तें अपने अपन गायनसँ संतुष्ट नै होइत छथि |

दादा रविजीक बेटी नेहाकें गायनक किछु  अभ्यास करौने छलथिन | नेहा नोकरीमे बंगलोर चलि गेलीह त दादाक प्रशिक्षण छुटि गेलनि | नेहा इंजिनियर छथि मुदा गीत-संगीतसँ लगाव आ शौक छनि, स्वर नीक छनि | आब नेहा अपन पिताक गीत-गजलकें स्वर द’ क’ हुनक शब्द सभकें जीवन्त राखि सकैत छथि | ई रविजीक प्रति उचित श्रद्धांजलि हेतनि |

लगैत अछि जे उच्च-रक्त चापक नियंत्रण हेतु दबाइ छोड़बाक निर्णय रविजीकें ओत’ पहुँचा देलकनि जत’ हुनका लेल आब किछु नहि कएल जा सकैत छै | हुनकहि दू टा शेरसँ हुनका श्रद्धांजलि अर्पित करबाक प्रयास क’ रहल छी :

‘बेखुदी में जो कभी गीत गुनगुनाते हैं

आंसू छलकाते हुए गम भी चले आते हैं’

‘वक्त बिगड़े, तो बदल जाता है सारा आलम

खुद के साये भी खुद से दूर नजर आते हैं’

 

‘विदेह’मे प्रकाशित विशेषांकमे अग्रज राम लोचन ठाकुर जीक मैथिली साहित्यमे योगदानक विषयमे बहुत किछु जनलाक बाद आश्चर्य होइत अछि जे एतेक कर्मठ लोक एतेक जल्दी कोना अदृश्य भ’ गेलाह ?

कोन एहेन गलती कोन  स्तरसँ भेलै जे स्थिति ककरो नियंत्रणमे नहि रहि सकलै ?   12 फरबरीक’ घरसँ निकलला आ एके बेर 6 अप्रैलक’ मृत अवस्थामे पाओल गेलाह | बीचक स्थितिक कल्पनासँ मोन बेकल भ’ जाइत अछि | भाइ कत’ खसल-पड़ल हेताह—कोना दीन-हीन अवस्थामे की भेल हेतनि, एहि जिज्ञासाक समाधान कठिन अछि | आदरणीय राम लोचन जी एहेन साहित्यकारकें एहि तरहें जाएब सभकें व्यथित केलकनि | कते गोटे हुनका खोजमे डेढ़ माससँ लागल छलाह |

मुदा अहू प्रश्नक उत्तर लेल शास्त्रक सुनय पड़त : विवाह आ जन्म-मृत्यु  ..........|

ओना भाइ बहुत किछु मैथिली साहित्य जगतकें द’ गेल छथि जाहिसँ ओ  युग-युग धरि चर्चामे सभ ठाम उपस्थित  रहताह |

अपन अनुभव यैह कहैत अछि जे बहुत स्थितिक स्पष्टीकरण लोक अपनहु नै द’ सकैत  अछि | गत पन्द्रह मार्च क’ हम अपने बाथरूममे कोना खसि पडलहुँ से नै बुझि सकलिऐ | ने पिच्छर छलै, ने चप्पल स्लिप करबाक कोनो आन कारण बूझ’ मे आएल आ ने बी पीक  दबाइ छोड़ने रही | देबालसँ टकरयबाक कारण माथक अगिला भागमे चोट बेशी बुझाएल |

बेहोश नै भेलहुँ आ ने ब्लीडिंग भेल | तत्काल बर्फसँ ओहि ठाम थोड़े काल सेकाइ क’ क’ बादमे डॉक्टरसँ सम्पर्क केलहुँ | दस दिनक हेतु  चारि टा दबाइ लिखलनि |दर्द त नै होइ छल तैयो दर्दक दबाइ सेहो कम-सँ-कम तीन दिन ल’ लेब’ कहलनि |

पाँच दिनक बाद दुपहरमे भोजनक बाद दीवानपर बैसल-बैसल औंघी लागि गेल आ नीचाँ खसि पडलहुँ | ऐ बेर केहुनीमे बेशी चोट लागल | एम्स गेलहुँ | हड्डी विभागमे सम्पर्क केलहुँ | डॉक्टर  दू सप्ताहक लेल दबाइ लीखि देलनि |

जेनरल मेडिसिन विभागमे सेहो सम्पर्क केलहुँ | ओहि ठाम बी.पी.क दबाइ बदलि लेबाक सलाह भेटल | पहिने टेलमा  40  लै छलहुँ, आब टेलमा ए एम लेब’ कहलनि |

सूगरसँ एखन धरि दुनू गोटे बाँचल छी | आँखिक  ऑपरेशनक स्थिति एखनधरि नै आएल अछि,  समय-समयपर आइ-ड्रापसँ काज चलि जाइत अछि |

हम डॉक्टरक सलाहक  अनुसार चारि सालसँ  हाइ बी पी आ चारि माससँ  प्रोस्टेटक दबाइ यूरिमैक्स-डी ल’ रहल छी | पत्नी  पच्चीस सालसँ बी पीक दबाइ ल’ रहल छथि |  दुनू गोटे कोरोनाक टीकाक दुनू डोज ल’ नेने छी | यात्रासँ बचैत छी | घरसँ बाहर मास्कक उपयोग करैत छी | भोजनमे संयम रखैत छी | तथापि मृत्यु देवताकें जखन एबाक हेतनि, हुनका के मनाक’ सकैत छनि ? मुदा वैज्ञानिक अथवा सरकारी आदेश अथवा सुझावक अवहेलना करैत स्वयं मृत्युकें आमंत्रित करी, ई त कोनो दृष्टिसँ उचित नहि कहल जा सकैत अछि |

गाममे लोक कोरोनासँ नहि डेराइत अछि | एखनहु बहुत लोक एकरा फूसि बुझैत छथि | शहरोमे किछु  लोक सरकारी सुझावक  पालन करब आवश्यक नहि बुझैत छथि | परिणाम चिन्तित करबा योग्य अछि |

सौभाग्यसँ हमरा सबहक बीच  80-90  बरखसँ उपरक  लोक सभ सेहो  छथि जे सक्रिय  छथि | हमरा लगैत अछि जे बेरा-बेरी हुनका सबहक स्वाथ्य-प्रबंधनक  जानकारी सार्वजनिक होइत त नीक बात होइत | हुनका सभक अनुभवसँ  बहुत किछु सीखल जा सकैत अछि |

दू बरखक दुनू नातिन धीया, यानवी आ तीन बरखक पोता आर्षभ एखन नै जागल अछि, तें लिखबाक काजक लेल भोरक समय हमरा लेल उपयुक्त रहैत अछि |

आब जे घड़ी ने तीनू जागत  | पहिने धीया कि यानवी जगतीह  आ सोझे हमरा लग आबिक’ लैपटॉपक की-बोर्ड पर आक्रमण  करतीह | प्रातसँ राति दस बजे धरि तीनू गोटे हमरा सबहक मनोरंजन आ उपयोग करैत रहैत छथि |......

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

वृन्दावन कॉलोनी, phulwarइ sharif,

 

( क्रमशः )

 

पटना / 14.04.2021       आगाँक कथा अगिला रवि दिन

 

 

 

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