आँखिमे चित्र हो मैथिली केर
(आत्मकथा)
3.
रामकृष्ण कॉलेजसँ गिरीश पार्क धरि
कॉलेज
नागेन्द्रजी सी एम कालेज, दरभंगामे
नाम लिखौलनि |
हमहूँ ओतहि नाम लिखाब’ चाहैत
रही,मुदा बाबू नै तैयार भेलाह |हमर नाम
आर के कालेज, मधुबनीमे लिखाएल |हमर मोन
छोट भ’ गेल |
आर्थिक कारण छलैक |
दरभंगामे नाम लिखयबाक मतलब छलै ओत’ डेरा राखब |मेसक खर्च | समय-समय
पर गामसँ जेबा-एबाक खर्च |
मधुबनीमे नाम लिखयबाक मतलब भेल घरसँ खा’क’ साइकिलसँ जाएब-आएब |बहुत
खर्चसँ मुक्ति |
बाबू नोकरीमे नै छलाह |
खेतीसँ ओते लाभ नै होइत छलै |
जाहि सेक्शनमे हम छलहुँ ओकर क्लास 6
बजे सँ शुरू होइत छलैक |
घरसँ भुखले कोना जाएब, तें
माए अन्हरोखे भानस चढ़ा दैत छलीह |
हम सवेरे जागिक’ स्नान-भोजन क’क’ साइकिल ल’क’ विदा होइत छलहुँ |
घरसँ 6-7 किलोमीटरक दूरी तय करैत-करैत पहिल क्लास ख़तम हेबाक
बादे पहुँचि पबैत छलहुँ |दुखी भ’ जाइत
छलहुँ |
गणित आ केमिस्ट्रीक पढाइसँ संतुष्ट नहि होइत छलहुँ |
प्री-साइंसमे हमर तैयारी नीक नहि भेल | हम सेकेण्ड डिवीज़नमे उत्तीर्ण भेलहुँ | गणितमे नीक
अंक नै आएल |
अही साल परिवारमे दुखद घटना घटि गेलै |
दाइक हाथमे दर्द भेलनि |
किछु दिन गर्म पानिसँ सेकलनि | कनी
काल दर्द नै बुझाइन त होइन जे ठीक भ’ गेल | फेर कखनो दर्द उठनि त वएह इलाज | ककरो पूछि क’
कोनो गोटी खेलनि ओहूसँ जखन हारि गेलीह आ दर्द बर्दाश्त नै भेलनि त
हमरा संगे मधुबनी गेलीह | डा.शिवानीसँ देखौलनि त पुछलकनि,
कतहु खसल छलहुँ की ?
दाइकें मोन पड़लनि | किछु मास पहिने
बेटीक ओत’ गेल छलीह नारायणपट्टी | पानि
भेल रहै | आङनमे पिच्छड़ भ’ गेल छलै |अइ घरसँ ओइ घर जेबामे पिछड़ि क’ खसि पडलीह | हाथ रोपलनि से हाथमे किछु भ’ गेलनि जे दर्द कर’
लगलनि | एत’ एलीह ककरो
लग ई बात नै बजलीह | कखनो-कखनो दर्द उठनि त पानि गर्म क’क’ सेक लैत छलीह |सभ बात
डाक्टरनीकें कहलखिन त ओ कहलखिन, बहुत देरी क’ देलियै, हमरा होइए जे सेप्टिक भ’ गेल अछि, जतेक जल्दी हो दरभंगा हॉस्पिटलमे देखाउ |
बाबू डी एम सी एच ल’ गेलखिन |डाक्टर कहलकनि सेप्टिक भ’ गेलनि,
जान बचाबक लेल हाथ काटब जरूरी छनि | बामा हाथ काटल गेलनि | अस्पतालमे दाइकें देख’
गेलहुँ त दाइ ह्बोढेकार भ’क’ कान’ लगलीह |
हमरो कना गेल | ओइ दिन हमरा तीन
चारि साल पहिनेक एकटा घटना मोन पड़ि गेल |
दाइ संगे कलम गेल छलहुँ | कलकतिया
आमक जे गाछ छलै ताहिमे
हमरा सबहक हिस्सा वलामे कम फड़ल छलै, कक्का वलामे बेशी छलै फड़ल | दाइकें की फुड़लनि,
हबर-हबर चारि-पाँचटा आम हुनका गाछमेसँ
तोड़ि लेलखिन | हमरा ओ दृश्य मोन
पड़ि गेल जखन हुनकर ओ हाथ अस्पतालमे नै देखलियनि |
एहि घटनाक
प्रभाव हमरा पर पडल |
जीवनमे कय बेर
ई दूनू घटना मोन पड़ल, हमर पथ-प्रदर्शक बनल ई दुर्घटना |
पोताक हाथ बाँचल रहनि, ताहि
लेल त ने दादी अपन हाथक त्याग केलनि ?
अस्पतालसँ घर एलीह दाइ त जीवनसँ मोह भंग भ’
गेल छलनि | जिजीविषा नै रहलनि | मृत्युक कामना कर’ लगलीह |
जाइत-जाइत एकटा पोतीक वियाह देखि लेबाक कामना प्रवल भ’ गेलनि |हुनकर
ई कामना पूरा भेलनि |
हमर छोट बहिनकें हमर मामा गाममे लड़काक पिता देखि क’
अपन पुत्रक विवाह करयबाक बात शुरू केलनि | ककरो
लग चर्च केलखिन | हुनकर बहिनक
विवाह छलनि ओत’ | बात आगू बढ़लै | लड़का
सभकें पसंद एलखिन | विवाह भ’ गेलै |
दाइक कामना पूर्ण भेलनि |
मधुश्रावणीक बाद दाइक देहांत भ’ गेलंनि
|
मरबासँ किछु दिन पूर्व मोहिनारायण कक्का देख’
एलखिन त दाइ कानि क’ कहलखिन, बौआ, देखबै कनी, राम नारायण
उजड़ि ने जाए !
कक्का भरोस देलखिन, अहाँ चिंता नै करू |
दाइकें आब एतबे चिंता छलनि जे अस्पतालमे खर्च भेलैए,
बेटीक वियाहमे खर्चा भेलैए, आब क्रिया-कर्ममे
खर्च हेतै, बाहरी आमदनीक कोनो स्रोत छै नै | खेत बेचतै कि भरना रखतै | भरना रखतै त जेहो उपजा
होइछै सेहो नै हेतै त नओ आदमीक गुजर कोना हेतै | दाइक चिंता
स्वाभाविक छलनि | इएह होइत एलैए |इएह भ’
रहल छै |इएह भरिसक होइत रहतै | सरल चीजकें कतेक कठिन बना देल गेल छैक | कर्मकांडमे
भोजक परंपरा : एकादशा, द्वादशा,माछ-मासु,फेर मासे-मासे ब्राह्मण-भोजन | श्राद्धक बाद ओहि
तिथिक’ पाँच साल तक बरखी | केश कटाउ,ब्राह्मण भोजन कराउ |
श्राद्धक समय त लोक कहैत छैक, जीवन
भरि त ओ अहीं सभ लेल सभ किछु केलनि, आब अहाँ सबहक कर्तव्य
होइत अछि जे नीक जकाँ श्राद्ध क’ दियनु जाहिसँ हुनका सद्गति
होइन, आब ओ अहाँ सभसँ किछु लेब’ थोड़े
एताह |बिना भोज-भातके क्रिया-कर्मक कोनो मोजर लोक नै दै छै |
जकरा गरदनिमे उतरी रहैत छैक ओ भावनामे बहि जाइत अछि,
होइछै जे आब जे हेतै देखल जेतै, करब त नीके
जकाँ |
एहि सबहक परिणाम पूज्य जमींदार दुखभंजन ठाकुरक
सातम पीढ़ीक समक्ष उपस्थित छल !
बी.एस.सी. पार्ट-1 मे स्थिति और ख़राब
भेल | कॉलेजमे पढाईक स्थिति ख़राब होइत गेलै |
परीक्षाक फॉर्म भरलहुँ | परीक्षा
देब’ लगलहुँ |गणितक परीक्षा दिन बुझाएल
जे 65 सँ बेशी अंक नै आएत |
गणितक परीक्षामे नीक अंक नै आएत माने प्रथम श्रेणीक अंक नै आएत |
एकर मतलब छलै जे नीक टेक्निकल कॉलेजमे एडमिशन असम्भव |
हम परीक्षा ड्राप केलहुँ, शेष
विषयक परीक्षा नै देलहुँ |
हमर लक्ष्य भेल बी.एस.सी.पार्ट-1 मे
प्रथम श्रेणीक अंक प्राप्त करब |
सांस्कृतिक परिवेश :
टोलमे मूड़न, मरबठटठी, कुमरम,उपनयन,विवाह,मधुश्रावनी,कोजागरा,जराउर,द्विरागमन
आदि अवसर पर कोनो-ने-कोनो आङनसँ स्त्रीगणक मूहें गीत सूनब आकर्षित
करैत छल |
फगुआ,रामनवमी,कृष्णाष्टमी,दुर्गा पूजा,दीयाबाती, छठि आदि
अवसर पर राम-कथा, कृष्ण-कथा,सुदामाक
कथा,महाभारतक कथा सुनबाक अवसर भेटैत छल |
गाममे कैटोला स्थानपर आ शिवनंदन बाबूक ओत’
सांस्कृतिक कार्यक्रम होइत छलै | बाबा संगे
जाइत छलहुँ | नेवत दास आ दरबारी दासक मूहें दिनकर,नेपाली,विद्यापतिक आ मधुपजीक गीत सुनबाक अवसर भेटल |
दुर्गा पूजा,दीयाबाती, आदि अवसर पर गाममे
नौटंकी आ नाटक देखबाक अवसर भेटल |एहि मंच सभ पर नटुआ सबहक
मूहें मधुपजी आ रवीन्द्रजीक गीत सुनलहुँ |
डबहारीक भैयाजीक मूहें विवाह कीर्तन सूनब
बहुत आनंददायक होइत छल | ओ कोनो प्रसंगकें
बहुत रोचक बना दैत छलाह | कोनो खुशीक अवसर पर हुनका बजाओल
जाइत छल |
दुर्गास्थानमे मास-मास दिन धरि राम-लीला होइत छलै |
पोखरिसामक महंथजीक राम-लीला पार्टी छलनि |
गाममे ई सभ मनोरंजनक साधन छलै |
कैटोला स्थानपर, शिव नंदन सिंहजीक
ओत’, पुबाइ टोलमे जगदीश बाबू ओत’ राम
चरित मानसक समूह-गायन,समय-समय पर अष्टियाम आ नवाह सेहो होइत
छल |हमरो टोलमे ई सभ होइत छल |
कोनो गीतक टुकड़ीक संग रामचरितमानसक गायन नीक लगैत छल |
कीर्तनमे स्नेहलताक गीत : जखन राघव लला छथि सहाय तखन परवाहे की,
अपन किशोरीजीके चरण दबेबै हे मिथिलेमे रह्बै आदि बहुत प्रेमसँ
लोक गबैत छल |
अहिना बिंदुजीक हिंदी गीत सभ सेहो खूब लोकप्रिय छल : जीवन का मैंने
सौप दिया सब भार तुम्हारे हाथों में, प्रवल
प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु का नियम बदलते देखा |
मामा गाम जाइत छलहुँ त ओतहु रवि दिन साँझमे रामचरितमानसक समूह-गायन
देखैत-सुनैत छलहुँ |समय-समय पर
अष्टियाम आ नवाह सेहो होइत छलै | हमर
बड़का मामा मिडिल स्कूलमे प्रधानाध्यापक छलाह, ओ विवाह कीर्तन सेहो करैत छलाह | मास्टर साहेब बच्चा बाबू पंडौल हाइ
स्कूलमे सहायक प्रधानाध्यापक छलाह, ओहो
विवाह कीर्तन करैत छलाह | हिनका
सबहक विवाह कीर्तनमे गंभीरता बेशी रहैत छलनि, लोक भक्तिमे डूबि जाइत छल |
मैथिली-प्रेम :
प्री-साइंसमे एक पेपर मैथिली रखने छलहुँ |
प्रो.बुद्धि धारी सिंह ‘रमाकर’ जी बहुत नीक पढबैत छलाह | मैथिली पढ़ब नीक लगैत्त छल |
कॉलेजमे विद्यापति पर्व मनाओल गेलै | ओहिमे रमानाथ बाबू आएल छलाह | भाषण भेलै, कविता पाठ भेलै, गीत-नाद
भेलै | रामपट्टीक आर के ‘रमण’ जी बहुत सुन्दर गीत रचना सस्वर प्रस्तुत केलनि | बहुत
नीक लागल | सपना भेल जे हमहूँ एहन रचना लिखी आ मंच पर
प्रस्तुत करी |
बाबाक मूहें महादेवक गीत, विद्यापतिक
गीत आ पराती सुनैत छलहुँ |
दाइक मूहें रंग-विरंगक फकरा सुनैत छलहुँ |
किताबक कविता सभ पढ़ब आ ओकरा याद करब नीक लगैत छल |
इएह सभ देखैत-सुनैत हमहूँ तुकबंदी कर’ लगलहुँ आ ओकर उपयोग दरबज्जा पर साप्ताहिक रामचरितमानसक समूह-गायनमे
कर’ लगलहुँ | पारंपरिक धुनमे किछु
गीत लिखलहुँ जकर पहिल पाँती ई सभ अछि –
------भरल सभामे आबि जनकजी प्रण केने छथि भारी हे |
------गौरी लीलाविहारी तोहर भंगिया |
------कन्हैया यौ अहाँ आएब कहिया |
मधुपजीक ‘अपूर्व रसगुल्ला’ आ ‘टटका जिलेबी’ देखलहुँ | नीक
लागल |
हुनक अनुकरण केलहुँ | ‘अनिल’
उपनाम रखलहुँ |
फ़िल्मी गीतक धुनपर किछु गीत लिखलहुँ |
-------यार कहू की बियाह केने हम सदिखन पछताय रहल छी,
आब होयत की माहुर खेने कहुना
जीवन बिताय रहल छी |
------वाइफ बैजन्ती माला अपने राजेंद्र कुमार
महमूद हम्मर चेला, जानीवाकर हमर
भजार |
------प्रीतम छोड़ि गेला परदेश
हमरा होइए कते कलेश
ककरा कह्बै
जखन विधिए भेल बाम |
------देखिते अमत बर सखी सभ पड़ेली कहिते बाप रे बाप
बरकें सोहरै सगरो देहियामे
साँप रे साँप |
अहिना और किछु |
प्रो. बुद्धिधारी सिंह ‘रमाकर’जीकें देख’ देलियनि |
हुनकर शुभकामना लैत ओकरा छपा क’ जहाँ-तहाँ
बेचबाक योजनामे लागि गेलहुँ |
बाबूजीकें जखन पता चललनि त बहुत दुखी भेलाह |
हुनका हमर कैरियरक चिंता भेलनि |ओ हमरा
अपन पाठ्य-पुस्तकसँ प्रेम करबाक सलाह देलनि |
हम हुनक चिंता पर विचार केलहुँ |
साहित्य-प्रेमसँ जीविकोपार्जन असंभव छलै |
घरक आर्थिक स्थिति चिंताजनक होइत गेलै | हमरासँ
छोट तीनू बहिन आ दूनू भाए छलाह |
निष्कर्ष पर पहुँचलहुँ |
साहित्यकें स’खक रूपमे राखब, इंजीनियरिंग
अथवा एग्रीकल्चर पढ़ब,
ताहि लेल बी.एस.सी.पार्ट-1 मे नीक
अंक अनबाक लेल पूर्ण प्रयास करब |
मोने मोन निर्णय केलहुँ जे आब दू साल धरि ने त साहित्यक कोनो वस्तु
पढ़ब ने लीखब |
मुदा हम अपन निर्णय पर बहुत दिन धरि अटल नहि रहि सकलहुँ |
बाबूजीक नजरि बचा क’ मैथिली पत्रिका ‘मिथिला मिहिर’ पढ़ि लैत छलहुँ, नीक
लगैत छल | अपनो लिखबाक मोन होइत छल | अपन
लिखल मिथिला मिहिरमे छपल देखबाक सिहन्ता होइत छल |
गाममे किछु हिन्दी नाटक फैसला, भगत सिंह आदिक
अतिरिक्त मैथिली नाटक ‘बसात’, कुहेस’ आ ‘उगना’ खेलै गेलहुँ, उगना नाटकमे
विद्यापतिक पार्ट खेलबामे हमरा खूब नीक लागल.हमर सबहक निर्देशक रहैत छलाह हमरा
टोलक अमीरी लाल ठाकुर जिनका लोक मुखियाजी कहैत छलनि, ओ नीक रंगकर्मी छलाह
नाटकमे बैदिक कक्का,भगवान
बाबू, उमा बाबू ,आशा बाबू, बाबू नारायण,वैद्यनाथ, परीक्षण झा सभ सेहो रहैत छलाह.गबैयाजी
संगीत-प्रमुख रहैत छलाह.
आकाशवाणी,पटनासँ प्रसारित मैथिली कार्यक्रम ‘भारती’ कतहु सुनि लैत छलहुँ |गंगेश
गुंजन जी द्वारा प्रस्तुत ‘भारती’ कार्यक्रम बहुत नीक लगैत छल | रवि आ मंगल दिन नियमित रूपसँ सुनैत छलहुँ | अपन लीखल
रचनाक आकाशवाणीसँ प्रसारण हेबाक कल्पना करय लगलहुँ |
मैथिली पढ़ब आ सूनब हमरा लेल सबसँ बेशी आनंददायक भ’
गेल छल.|
एहि बीच हरिमोहन बाबूक ‘चर्चरी’
मामा गामक लाइब्रेरीसँ आनि क’ पढ़ि गेलहुँ |
एहि सबहक असरि ई भेल जे जखन रातिमे सभ क्यो सूति रहै छल,
हम किछु ने किछु लीख’ लगैत छलहुँ |
किछु कथा लिखलहुँ |’मिथिला मिहिर’
मे पठौलियैक |
एकटा कथा आकाशवाणीकें पठौलियैक | घूरि
आएल |
दू-तीन दिन धरि उदास रहलहुँ | फेर
दोसर पठौलियैक | एक मासक बाद ओहो घुरि आएल |
किछु दिनक बाद एकटा हास्य-कथा लिखलहुँ |’रमाकर’जीकें देख’ देलियनि |
हुनकासँ सुधार कराक’ फेर ओकरा फेयर क’क’ आकाशवाणी पठौलिऐक |
एहि बेर स्वीकृतिक सूचना भेटल |
स्वीकृतिक सूचना पाबि एतेक ख़ुशी भेल जे बाबूकें सेहो कहि देलियनि |
ओ नाराज त भेलाह मुदा, हुनका
ख़ुशी सेहो भेलनि, से हम अनुभव केलहुँ |
1968 मे हमर रचना / विनोद वार्ता ‘मोने अछि एखन धरि सासुरक यात्रा’आकाशवाणी,पटनासँ मैथिली कार्यक्रम ‘भारती’मे प्रसारित भेल |
कार्यक्रमक संचालन गुंजनजी करैत छलाह | बटुक भाइ बहुत नीक जकाँ पढ़लनि |
हम सभ गामपर रेडियोसँ सुनलहुँ | बाबाकें
हर्ष भेलनि |
हमरा पच्चीस टाका भेटैत |
छात्रवृत्तिक अतिरिक्त हमर ई पहिल कमाइ
होइत | बाबा कें पुछलियनि ‘अहाँ ले’ की नेने आएब ?’
बाबा कहलनि ‘दू आना के सुपारी नेने अबिह’ |
बाबा सुपारी ले’ नहि रुकलाह |
जहिया पच्चीस टाकाक चेक आएल, बाबाक
एकादशा रहनि |
ओइ बेर हम सभ दीयाबाती नहि मनौने रही,
ओही भोरमे बहुत पातर पैखाना भेलनि आ
बाबा चिर-निद्रामे चल गेलाह ....
भोरसँ साँझ धरि :
घरक आर्थिक स्थिति कमजोर भ’ गेलै |
दू टा कन्यादानक बाद 65 मे दाइक अस्पतालक खर्च आ तकर बाद हुनक देहांत |
65 मे हुनक श्राद्ध | 66 मे पहिल बरखी |
67 मे दोसर बरखी | फेर
बाबाक क्रिया-कर्मक खर्च |
खेतीसँ साल भरिक खर्चक लेल अन्न नै भ’ पबैत छलैक |
आवश्यकतानुसार जमीन भरना राख’ पड़ैत
छलनि आ पाई सेहो कर्ज लेब’ पडैत छलनि |
दुखभंजन ठाकुर झिल्ला-शाहपुर ( जिला पूर्णिया आ कि सहरसा )सँ जमींदारीपर
आयल छलाह सलमपुर, हुनक बादक सातम पीढ़ीक
हाल दयनीय भ’ गेलनि,
बाबूक स्वभावमे तामस बेसी प्रगट हुअ लगलनि |
हमरा गाममे नीक नै लागय |
जेना-तेना बी.एस सी.पार्ट 1 के
परीक्षा देलहुँ |
परीक्षा बहुत सुंदर त’ नहि
भेल, मुदा अनुमान केलहुँ जे साठि प्रतिशतसँ बेशी अंक आबि
जेबाक चाही जे
एग्रीकल्चर कॉलेजमे एडमिशन लेल आवश्यक बुझाइत छल |
हम गाम पर असहज होमय लगलहुँ |
आ एक दिन कलकत्ता जेबाक निश्चय क’ लेलहुँ
|
हमरा एकटा कुटुंबक पता छल |
ओ एक बेर कहने छलाह जे अहाँकें मैट्रिकमे तेहेन सुंदर नम्बर अछि जे
कतहु नोकरी भेट जाएत |
हम मोने मोन निश्चय केलहुँ जे नोकरी भेटत त करब |
एकटा पिसिऔत भाए सेहो ओत’ छलाह |
हुनको पता छल |
हम दीदी ओत’ नारायणपट्टी जाइछी, से कहि क’
घरसँ विदा भेलहुँ |
दीदी ओत’ गेलहुँ | हुनका अपन विचार
कहलियनि|
हुनका ख़राब नै लगलनि | पढल-लिखल
लोक नोकरी कर’ कलकत्ता जाइते छल |
ओ हमरा संगमे तीन-चारि किलो चाउर आ किछु चूड़ा आ गुड़ द’
देलनि |
किछु पाइ हमरा लग छल
|
ओइ समय आरक्षण जरुरी नै होइ छलै | हम
राजनगर स्टेशनसँ गाड़ी पकडलहुँ समस्तीपुरक लेल |
समस्तीपुरमे प्लेटफार्मपर बेंच पर बैसल एकटा सज्जनकें देखलियनि |
ओ बहुत सुंदर मैथिली बजैत छलाह |
बीच- बीचमे अंग्रेजीमे सेहो बजैत छलाह |
हुनक अंग्रेजी बाजब सेहो आकृष्ट केलक |
हमहूँ ठाढ़ भ’ क’ हुनक बात सून’ लगलहुँ |
ओ देशक स्थिति पर बात करैत छलाह |
बेरोजगारी पर बात करैत छलाह |
एक –दू आदमी कखनो क’ किछु टोक दैत
छलनि त ओ ओइ पर बाज’ लगैत छलाह |
एतेक सुंदर मैथिली आ अंग्रेजी हम एहिसँ पहिने नहि सुनने छलहुँ |
हमरा नीक लगैत छल |
थोड़े काल बाद एक आदमी उठलाह त’ हम ओत’
बैसि गेलहुँ |
एकटा ट्रेन एलै त और दू टा व्यक्ति चल गेलाह |
ओ हमरा दिस तकलनि |
‘विद्यार्थी, अहाँ हावड़ा चलब ?’
‘हँ ’ हम कहलियनि |
‘ओत’ कोनो काज करै छी की ?’
फेर वैह पुछलनि ‘ पहिले बेर जा रहल
छी ?’
‘हँ’ हम कहलियनि |
गप्प हुअ’ लागल |
‘ओइ ठाम के रहैत छथि ?’
पिसिऔत भाए छथि | और एकटा कुटुंब छथि
|
‘भाइ साहेब कत’ रहै छथि ?’
शाम बाजार लग |
‘की करै छथि ?’
ट्यूशन करैत छलाह | एखन और किछु करैत
छथि की नहि से नै बुझल अछि |
‘हुनका बूझल छनि जे अहाँ आबि रहल छी ?’
एखन त नै कहने छियनि |
‘दोसर कुटुंब कत’ रहै छथि ?’
हम हुनकर पता देख’ देलियनि |
‘हुनको पता नै हेतनि जे अहाँ आबि रहल छी ?’
हुनको नै कहने छियनि |
‘एखन अहाँ घूम’ जा रहल छी पाँच-दस
दिन लेल कि और किछु उद्देश्य अछि ?’
हम चाहै छी कोनो नोकरी अथवा ट्यूशन भेट जाए |
‘मैट्रिकमे कतेक प्राप्तांक छल ?’
648
‘माने 72 % ?’
हं |
‘साइंस सब्जेक्टमे ?’
77 %
‘प्री-साइंसमे ?’
सेकेंड डिवीज़न | 55 % |
‘बी एस सी पार्ट 1 मे की उमीद अछि ?’
आशा अछि साठि प्रतिशतसँ उपर नंबर आबि जायत |
‘आगू पढ़बाक विचार नै अछि ?’
बी एस सी (ए जी )मे नाम लिखा जाइत तखन पढ़ितहुँ
| मुदा साठि प्रतिशतसँ अधिक अंक आएत तखने संभव अछि |
ओ अपन परिचय देलनि |
‘हम डिप्लोमा इन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग केने छी |
एक सालसँ कलकत्तामे ट्यूशन क’ रहल छी |
हम ट्यूशन एही लेल क’ रहल छी
जे अप्लाइ करबालेल आ कतहु जेबा-एबाक लेल गार्जियनसँ
मांग’ नै पड़य |
हमरा विचारसँ अहाँकें नीक होइत जे पोलिटेकनिकमे सिविल ब्रांचमे जाक’
एडमिशन ल’ लितहुँ, बी.एस.सी.
पार्ट 1 के रिजल्ट भेलापर
बी.एस.सी.(एजी)मे अप्लाइ क’
दितियै, भ’ गेला पर
पालीटेकनिक छोड़ि दितियै आ नै भेल त पोलीटेकनिक जारी
रखितहुँ |
सिविलमे स्कोप छै |
हम दुविधामे पड़ि गेलहुँ |
ओ सुझाव देलनि जे अहाँ एकटा काज क’ सकैत छी |कलकत्ता विदा भ’ गेल
छी त चलू, किछु दिन घुमि-फिरि क’ सोचि लिय’
जे अहाँ एत’ रहि सकै छी कि नै | अहाँ अपने निर्णय लेब त ठीक रहत |
हुनकर ई बात हमरा बेसी नीक लागल |
हवड़ा जंक्शन पर उतरि ई बता देलनि जे अपेक्षित जगह पर पहुँचबाक लेल
कोन बस कि ट्राम पकड़ब ठीक रहत | एहि संगे इहो कहलनि
जे चारिम दिन रवि छै, हम दू बजे तक गिरीश पार्क
पहुँचब |अहाँ आबि सकी त ओहि दिन ओत’ आउ, अहाँक निर्णय सुनबामे नीक लागत | ओ इहो कहलनि जे जौं अहाँ इएह तय करब जे एतहि रहब त हम तत्काल एक-दूटा
ट्यूशन पकड़यबामे मदति करबाक कोशिश करब |
जाहि दू गोटेक पता हमरा लग छल, हुनका
लोकनिसँ भेंट भेल | हुनका सबहक आवास देखलाक बाद हमर दुविधा
समाप्त भ’ गेल |
हम रविदिन गिरीश पार्क पहुँचि हुनका अपन निर्णय कहलियनि जे हम तुरत
गाम वापस जाएब, पोलिटेकनिकमे एडमिशन लेब, बी.एस.सी.पार्ट
1 के रिजल्ट निकललापर जौं हमरा एग्रीकल्चरमे एडमिशन भ’
जाएत त पोलिटेकनिक छोड़ि क’ एग्रीकल्चरमे एडमिशन ल’ लेब |
ओ बहुत प्रसन्न भेलाह | गिरीश
पार्क लग कोनो होटल रहै ओत’ दूटा रसगुल्ला आ एकटा समोसा खुआक’
हमरा विदा क’ देलनि |हमरा
पाइ नै देब’ देलनि |कहलनि एखन अहाँ नै
कमाइ छी, हम त कमाइ छी |......
( क्रमशः ) संपर्क : 8789616115
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