Saturday, 10 December 2022

 

                            आँखिमे चित्र हो मैथिली केर

                                    (आत्मकथा)

                                                            3.

               रामकृष्ण कॉलेजसँ गिरीश पार्क धरि

 

कॉलेज

नागेन्द्रजी सी एम कालेज, दरभंगामे नाम लिखौलनि |

हमहूँ ओतहि नाम लिखाबचाहैत रही,मुदा बाबू नै तैयार भेलाह |हमर नाम आर के कालेज, मधुबनीमे लिखाएल |हमर मोन छोट भगेल |

आर्थिक कारण छलैक |

दरभंगामे नाम लिखयबाक मतलब छलै ओतडेरा राखब |मेसक खर्च | समय-समय पर गामसँ जेबा-एबाक खर्च |

मधुबनीमे नाम लिखयबाक मतलब भेल घरसँ खासाइकिलसँ जाएब-आएब |बहुत खर्चसँ मुक्ति |

बाबू नोकरीमे नै छलाह |

खेतीसँ ओते लाभ नै होइत छलै |

 

जाहि सेक्शनमे हम छलहुँ ओकर क्लास 6 बजे सँ शुरू होइत छलैक |

घरसँ भुखले कोना जाएब, तें माए अन्हरोखे भानस चढ़ा दैत छलीह |

हम सवेरे जागिकस्नान-भोजन कसाइकिल लविदा होइत छलहुँ  |

घरसँ 6-7 किलोमीटरक दूरी तय करैत-करैत पहिल क्लास ख़तम हेबाक बादे पहुँचि पबैत छलहुँ |दुखी भजाइत छलहुँ |

गणित आ केमिस्ट्रीक पढाइसँ संतुष्ट नहि होइत छलहुँ |

प्री-साइंसमे हमर तैयारी नीक नहि भेल | हम सेकेण्ड डिवीज़नमे उत्तीर्ण भेलहुँ | गणितमे नीक अंक नै आएल |

 

अही साल परिवारमे दुखद घटना घटि  गेलै |

दाइक हाथमे दर्द भेलनि |

किछु दिन गर्म पानिसँ सेकलनि | कनी काल दर्द नै बुझाइन त होइन जे ठीक भगेल | फेर कखनो दर्द उठनि त वएह इलाज | ककरो पूछि ककोनो गोटी खेलनि ओहूसँ जखन हारि गेलीह आ दर्द बर्दाश्त नै भेलनि त हमरा संगे मधुबनी गेलीह | डा.शिवानीसँ देखौलनि त पुछलकनि, कतहु खसल छलहुँ की ?

दाइकें मोन पड़लनि | किछु मास पहिने बेटीक ओतगेल छलीह नारायणपट्टी | पानि भेल रहै | आङनमे पिच्छड़ भगेल छलै |अइ घरसँ ओइ घर जेबामे पिछड़ि कखसि पडलीह | हाथ रोपलनि से हाथमे किछु भगेलनि जे दर्द करलगलनि | एतएलीह ककरो लग ई बात नै बजलीह | कखनो-कखनो दर्द उठनि त पानि गर्म कसेक लैत छलीह |सभ बात डाक्टरनीकें कहलखिन त ओ कहलखिन, बहुत देरी कदेलियै, हमरा होइए जे सेप्टिक भगेल अछि, जतेक जल्दी हो दरभंगा हॉस्पिटलमे देखाउ |

बाबू डी एम सी एच लगेलखिन |डाक्टर कहलकनि सेप्टिक भगेलनि,

जान बचाबक लेल हाथ काटब जरूरी छनि | बामा हाथ काटल गेलनि | अस्पतालमे दाइकें देखगेलहुँ त दाइ ह्बोढेकार भकानलगलीह |

हमरो कना गेल | ओइ दिन हमरा तीन चारि साल पहिनेक एकटा घटना मोन पड़ि गेल |

दाइ संगे कलम गेल छलहुँ | कलकतिया आमक जे गाछ छलै ताहिमे

हमरा सबहक हिस्सा वलामे कम फड़ल छलै, कक्का वलामे बेशी छलै फड़ल | दाइकें की फुड़लनि, हबर-हबर चारि-पाँचटा आम हुनका  गाछमेसँ तोड़ि लेलखिन | हमरा ओ दृश्य  मोन पड़ि गेल जखन हुनकर  ओ हाथ अस्पतालमे नै देखलियनि |

 एहि घटनाक प्रभाव हमरा पर पडल |

 जीवनमे कय बेर ई दूनू घटना मोन पड़ल, हमर पथ-प्रदर्शक बनल ई दुर्घटना  |

पोताक हाथ बाँचल रहनि, ताहि लेल त ने दादी अपन हाथक त्याग केलनि ?

अस्पतालसँ घर एलीह दाइ त जीवनसँ मोह भंग भगेल छलनि | जिजीविषा नै रहलनि | मृत्युक कामना करलगलीह |

जाइत-जाइत एकटा पोतीक वियाह देखि लेबाक कामना प्रवल  भ’ गेलनि  |हुनकर

ई कामना पूरा भेलनि |

हमर छोट बहिनकें हमर मामा गाममे लड़काक पिता देखि कअपन पुत्रक विवाह करयबाक बात शुरू केलनि | ककरो लग चर्च केलखिन | हुनकर  बहिनक विवाह छलनि ओत’ | बात आगू बढ़लै | लड़का सभकें पसंद एलखिन | विवाह भगेलै | दाइक कामना पूर्ण भेलनि |

मधुश्रावणीक बाद दाइक देहांत भगेलंनि |

मरबासँ किछु दिन पूर्व मोहिनारायण कक्का देखएलखिन त दाइ कानि ककहलखिन, बौआ, देखबै कनी, राम नारायण उजड़ि ने जाए !

कक्का भरोस देलखिन, अहाँ चिंता नै करू |

दाइकें आब एतबे चिंता छलनि जे अस्पतालमे खर्च भेलैए, बेटीक वियाहमे खर्चा भेलैए, आब क्रिया-कर्ममे खर्च हेतै, बाहरी आमदनीक कोनो स्रोत छै नै | खेत बेचतै कि भरना रखतै | भरना रखतै त जेहो उपजा होइछै सेहो नै हेतै त नओ आदमीक गुजर कोना हेतै | दाइक चिंता स्वाभाविक छलनि | इएह होइत एलैए |इएह भरहल छै |इएह भरिसक होइत रहतै | सरल चीजकें कतेक कठिन बना देल गेल छैक | कर्मकांडमे भोजक परंपरा : एकादशा, द्वादशा,माछ-मासु,फेर मासे-मासे ब्राह्मण-भोजन | श्राद्धक बाद ओहि तिथिकपाँच साल तक बरखी | केश कटाउ,ब्राह्मण भोजन कराउ |

श्राद्धक समय त लोक कहैत छैक, जीवन भरि त ओ अहीं सभ लेल सभ किछु केलनि, आब अहाँ सबहक कर्तव्य होइत अछि जे नीक जकाँ श्राद्ध कदियनु जाहिसँ हुनका सद्गति होइन, आब ओ अहाँ सभसँ किछु लेबथोड़े एताह |बिना भोज-भातके क्रिया-कर्मक कोनो मोजर लोक नै दै छै |

जकरा गरदनिमे उतरी रहैत छैक ओ भावनामे बहि जाइत अछि, होइछै जे आब जे हेतै देखल जेतै, करब त नीके जकाँ |

 एहि सबहक परिणाम पूज्य जमींदार दुखभंजन ठाकुरक सातम पीढ़ीक समक्ष उपस्थित छल !

बी.एस.सी. पार्ट-1 मे स्थिति और ख़राब भेल | कॉलेजमे पढाईक स्थिति ख़राब होइत गेलै |

परीक्षाक फॉर्म भरलहुँ | परीक्षा देबलगलहुँ |गणितक परीक्षा दिन बुझाएल जे 65 सँ बेशी अंक नै आएत |

गणितक परीक्षामे नीक अंक नै आएत माने प्रथम श्रेणीक अंक नै आएत |

एकर मतलब छलै जे नीक टेक्निकल कॉलेजमे एडमिशन असम्भव |

हम परीक्षा ड्राप केलहुँ, शेष विषयक परीक्षा नै देलहुँ |

हमर लक्ष्य भेल बी.एस.सी.पार्ट-1 मे प्रथम श्रेणीक अंक प्राप्त करब |

 

सांस्कृतिक  परिवेश :

टोलमे मूड़न, मरबठटठी,              कुमरम,उपनयन,विवाह,मधुश्रावनी,कोजागरा,जराउर,द्विरागमन

आदि अवसर पर कोनो-ने-कोनो आङनसँ स्त्रीगणक मूहें गीत सूनब आकर्षित करैत छल |

फगुआ,रामनवमी,कृष्णाष्टमी,दुर्गा पूजा,दीयाबाती, छठि आदि अवसर पर राम-कथा, कृष्ण-कथा,सुदामाक कथा,महाभारतक कथा सुनबाक अवसर भेटैत छल |

 

गाममे कैटोला स्थानपर आ शिवनंदन बाबूक ओतसांस्कृतिक कार्यक्रम होइत छलै | बाबा संगे जाइत छलहुँ | नेवत दास आ दरबारी दासक मूहें दिनकर,नेपाली,विद्यापतिक आ मधुपजीक गीत सुनबाक अवसर भेटल |

 

दुर्गा पूजा,दीयाबाती, आदि अवसर पर गाममे नौटंकी आ नाटक देखबाक अवसर भेटल |एहि मंच सभ पर नटुआ सबहक मूहें मधुपजी आ रवीन्द्रजीक गीत सुनलहुँ |

 

डबहारीक भैयाजीक मूहें विवाह कीर्तन सूनब  बहुत आनंददायक होइत छल | ओ कोनो प्रसंगकें बहुत रोचक बना दैत छलाह | कोनो खुशीक अवसर पर हुनका बजाओल जाइत छल |

 

दुर्गास्थानमे मास-मास दिन धरि राम-लीला होइत छलै | पोखरिसामक महंथजीक राम-लीला पार्टी छलनि |

गाममे ई सभ मनोरंजनक साधन छलै |

कैटोला स्थानपर, शिव नंदन सिंहजीक ओत’, पुबाइ टोलमे जगदीश बाबू ओतराम चरित मानसक समूह-गायन,समय-समय पर अष्टियाम आ नवाह सेहो होइत छल |हमरो टोलमे ई सभ होइत छल |

कोनो गीतक टुकड़ीक संग रामचरितमानसक गायन नीक लगैत छल |

कीर्तनमे स्नेहलताक गीत : जखन राघव लला छथि सहाय तखन परवाहे की, अपन किशोरीजीके चरण दबेबै हे मिथिलेमे रह्बै आदि बहुत प्रेमसँ  लोक गबैत छल |

अहिना बिंदुजीक हिंदी गीत सभ सेहो खूब लोकप्रिय छल : जीवन का मैंने सौप दिया सब भार तुम्हारे हाथों में, प्रवल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु का नियम बदलते देखा |

मामा गाम जाइत छलहुँ त ओतहु रवि दिन साँझमे रामचरितमानसक समूह-गायन देखैत-सुनैत छलहुँ |समय-समय पर

अष्टियाम आ नवाह सेहो होइत छलै | हमर बड़का मामा मिडिल स्कूलमे प्रधानाध्यापक छलाह, ओ विवाह कीर्तन सेहो  करैत छलाह | मास्टर साहेब बच्चा बाबू पंडौल हाइ स्कूलमे सहायक प्रधानाध्यापक छलाह, ओहो  

विवाह कीर्तन करैत छलाह | हिनका सबहक विवाह कीर्तनमे गंभीरता बेशी रहैत छलनि, लोक भक्तिमे डूबि जाइत छल  |

 मैथिली-प्रेम :

प्री-साइंसमे एक पेपर मैथिली रखने छलहुँ | प्रो.बुद्धि धारी सिंह रमाकरजी बहुत नीक पढबैत छलाह | मैथिली पढ़ब नीक लगैत्त छल |

 

 कॉलेजमे विद्यापति पर्व मनाओल गेलै | ओहिमे रमानाथ बाबू  आएल छलाह | भाषण भेलै, कविता पाठ भेलै, गीत-नाद भेलै | रामपट्टीक आर के रमणजी बहुत सुन्दर गीत रचना सस्वर प्रस्तुत केलनि | बहुत नीक लागल | सपना भेल जे हमहूँ एहन रचना लिखी आ मंच पर प्रस्तुत करी |

बाबाक मूहें महादेवक गीत, विद्यापतिक गीत आ पराती सुनैत छलहुँ |

दाइक मूहें रंग-विरंगक फकरा सुनैत छलहुँ |

किताबक कविता सभ पढ़ब आ ओकरा याद करब नीक लगैत छल |

इएह सभ देखैत-सुनैत हमहूँ तुकबंदी करलगलहुँ आ ओकर उपयोग दरबज्जा पर साप्ताहिक रामचरितमानसक समूह-गायनमे

करलगलहुँ | पारंपरिक धुनमे किछु गीत लिखलहुँ जकर पहिल पाँती ई सभ अछि

 

------भरल सभामे आबि जनकजी प्रण केने छथि भारी हे |

------गौरी लीलाविहारी तोहर भंगिया |

------कन्हैया यौ अहाँ आएब कहिया |

 

मधुपजीक अपूर्व रसगुल्लाटटका जिलेबीदेखलहुँ | नीक लागल |

हुनक अनुकरण केलहुँ | ‘अनिलउपनाम रखलहुँ |

फ़िल्मी गीतक धुनपर किछु गीत लिखलहुँ |

-------यार कहू की बियाह केने हम सदिखन पछताय रहल छी,

     आब होयत की माहुर खेने कहुना जीवन बिताय रहल छी |

------वाइफ बैजन्ती माला अपने राजेंद्र कुमार

     महमूद  हम्मर चेला, जानीवाकर  हमर भजार |

------प्रीतम छोड़ि गेला परदेश

     हमरा होइए कते कलेश

     ककरा कह्बै

     जखन विधिए भेल बाम |

------देखिते अमत बर सखी सभ पड़ेली कहिते बाप रे बाप

     बरकें सोहरै सगरो देहियामे साँप रे साँप |

     अहिना और किछु |

 

प्रो. बुद्धिधारी सिंह रमाकरजीकें देखदेलियनि |

हुनकर शुभकामना लैत ओकरा छपा कजहाँ-तहाँ बेचबाक योजनामे लागि गेलहुँ |

 

बाबूजीकें जखन पता चललनि त बहुत दुखी भेलाह |

हुनका हमर कैरियरक चिंता भेलनि |ओ हमरा अपन पाठ्य-पुस्तकसँ प्रेम करबाक सलाह देलनि |

हम हुनक चिंता पर विचार केलहुँ |

साहित्य-प्रेमसँ जीविकोपार्जन असंभव छलै | घरक आर्थिक स्थिति चिंताजनक होइत गेलै | हमरासँ छोट तीनू बहिन आ दूनू भाए छलाह |

निष्कर्ष पर पहुँचलहुँ |

साहित्यकें स’खक रूपमे राखब, इंजीनियरिंग अथवा एग्रीकल्चर पढ़ब,

ताहि लेल बी.एस.सी.पार्ट-1 मे नीक अंक अनबाक  लेल पूर्ण प्रयास करब |

मोने मोन निर्णय केलहुँ जे आब दू साल धरि ने त साहित्यक कोनो वस्तु पढ़ब ने लीखब |

मुदा हम अपन निर्णय पर बहुत दिन धरि अटल नहि रहि सकलहुँ |

बाबूजीक नजरि बचा कमैथिली पत्रिका मिथिला मिहिरपढ़ि लैत छलहुँ, नीक लगैत छल | अपनो लिखबाक मोन होइत छल | अपन लिखल मिथिला मिहिरमे छपल देखबाक सिहन्ता होइत छल |

 गाममे किछु हिन्दी नाटक फैसला, भगत सिंह आदिक अतिरिक्त मैथिली नाटक ‘बसात’, कुहेस’ आ ‘उगना’ खेलै गेलहुँ, उगना नाटकमे विद्यापतिक पार्ट खेलबामे हमरा खूब नीक लागल.हमर सबहक निर्देशक रहैत छलाह हमरा टोलक अमीरी लाल ठाकुर जिनका लोक मुखियाजी कहैत छलनि, ओ नीक रंगकर्मी छलाह

नाटकमे बैदिक  कक्का,भगवान बाबू, उमा बाबू ,आशा बाबू, बाबू नारायण,वैद्यनाथ, परीक्षण झा सभ सेहो रहैत छलाह.गबैयाजी संगीत-प्रमुख रहैत छलाह.

 

आकाशवाणी,पटनासँ प्रसारित मैथिली कार्यक्रम भारतीकतहु सुनि लैत छलहुँ |गंगेश गुंजन जी द्वारा प्रस्तुत ‘भारती’ कार्यक्रम बहुत नीक लगैत छल | रवि आ मंगल दिन नियमित रूपसँ सुनैत छलहुँ | अपन लीखल रचनाक आकाशवाणीसँ प्रसारण हेबाक कल्पना करय लगलहुँ |

 

मैथिली पढ़ब आ सूनब हमरा लेल सबसँ बेशी आनंददायक भगेल छल.|

 

एहि बीच हरिमोहन बाबूक चर्चरीमामा गामक लाइब्रेरीसँ आनि कपढ़ि गेलहुँ |

एहि सबहक असरि ई भेल जे जखन रातिमे सभ क्यो सूति रहै छल, हम किछु ने किछु लीखलगैत छलहुँ |

किछु कथा लिखलहुँ |’मिथिला मिहिरमे पठौलियैक |

एकटा कथा आकाशवाणीकें पठौलियैक | घूरि आएल |

दू-तीन दिन धरि उदास रहलहुँ | फेर दोसर पठौलियैक | एक मासक बाद ओहो घुरि आएल |

किछु दिनक बाद एकटा हास्य-कथा लिखलहुँ |’रमाकरजीकें देखदेलियनि |

हुनकासँ सुधार कराकफेर ओकरा फेयर कआकाशवाणी पठौलिऐक |

एहि बेर स्वीकृतिक सूचना भेटल |

 

स्वीकृतिक सूचना पाबि एतेक ख़ुशी भेल जे बाबूकें सेहो कहि देलियनि |

ओ नाराज त भेलाह मुदा, हुनका ख़ुशी सेहो भेलनि, से हम अनुभव केलहुँ  |

1968 मे हमर रचना / विनोद वार्ता मोने अछि एखन धरि सासुरक यात्राआकाशवाणी,पटनासँ मैथिली कार्यक्रम भारतीमे प्रसारित भेल |

कार्यक्रमक संचालन गुंजनजी करैत छलाह | बटुक भाइ  बहुत नीक जकाँ पढ़लनि |

हम सभ गामपर रेडियोसँ सुनलहुँ | बाबाकें हर्ष भेलनि |

 

हमरा पच्चीस टाका भेटैत |

छात्रवृत्तिक अतिरिक्त हमर ई पहिल कमाइ  होइत | बाबा कें पुछलियनि अहाँ लेकी नेने आएब ?’

बाबा कहलनि दू आना के सुपारी नेने अबिह’ |

 

बाबा सुपारी लेनहि रुकलाह |

जहिया पच्चीस टाकाक चेक आएल, बाबाक एकादशा रहनि |

ओइ बेर हम सभ दीयाबाती नहि मनौने रही,

ओही भोरमे बहुत पातर पैखाना भेलनि आ  बाबा चिर-निद्रामे चल गेलाह ....

 

  

 भोरसँ साँझ धरि :                                                 

घरक आर्थिक स्थिति कमजोर भगेलै |

दू टा कन्यादानक बाद 65  मे दाइक अस्पतालक खर्च आ तकर बाद हुनक देहांत |

65  मे हुनक श्राद्ध | 66  मे पहिल बरखी |

67  मे दोसर बरखी | फेर बाबाक क्रिया-कर्मक खर्च |

खेतीसँ साल भरिक खर्चक लेल अन्न नै भपबैत छलैक |

आवश्यकतानुसार जमीन भरना राखपड़ैत छलनि आ पाई सेहो कर्ज लेबपडैत छलनि |

 

दुखभंजन ठाकुर झिल्ला-शाहपुर ( जिला पूर्णिया आ कि सहरसा )सँ जमींदारीपर आयल छलाह सलमपुर, हुनक बादक सातम पीढ़ीक  हाल दयनीय भ’ गेलनि,

बाबूक स्वभावमे तामस बेसी प्रगट हुअ लगलनि |

हमरा गाममे नीक नै लागय |

जेना-तेना बी.एस सी.पार्ट 1 के परीक्षा देलहुँ  |

परीक्षा बहुत सुंदर तनहि भेल, मुदा अनुमान केलहुँ जे साठि प्रतिशतसँ बेशी अंक आबि जेबाक चाही जे एग्रीकल्चर कॉलेजमे एडमिशन लेल आवश्यक बुझाइत छल |

हम गाम पर असहज होमय लगलहुँ |

आ एक दिन कलकत्ता जेबाक निश्चय कलेलहुँ |

हमरा एकटा कुटुंबक पता छल |

ओ एक बेर कहने छलाह जे अहाँकें मैट्रिकमे तेहेन सुंदर नम्बर अछि जे

कतहु नोकरी भेट जाएत |

हम मोने मोन निश्चय केलहुँ जे नोकरी भेटत त करब |

एकटा पिसिऔत भाए सेहो ओतछलाह | हुनको पता छल |

हम दीदी ओतनारायणपट्टी जाइछी, से कहि कघरसँ विदा भेलहुँ |

दीदी ओतगेलहुँ | हुनका अपन विचार कहलियनि|

हुनका ख़राब नै लगलनि | पढल-लिखल लोक नोकरी करकलकत्ता जाइते छल |

ओ हमरा संगमे तीन-चारि किलो चाउर आ किछु चूड़ा आ गुड़ ददेलनि |

 किछु पाइ  हमरा लग छल |

 

ओइ समय आरक्षण जरुरी नै होइ छलै | हम राजनगर स्टेशनसँ गाड़ी पकडलहुँ समस्तीपुरक लेल |

समस्तीपुरमे प्लेटफार्मपर बेंच पर बैसल एकटा सज्जनकें देखलियनि |

ओ बहुत सुंदर मैथिली बजैत छलाह |

बीच- बीचमे अंग्रेजीमे सेहो बजैत छलाह |

हुनक अंग्रेजी बाजब सेहो आकृष्ट केलक |

हमहूँ ठाढ़ भहुनक बात सूनलगलहुँ |

ओ देशक स्थिति पर बात करैत छलाह |

बेरोजगारी पर बात करैत छलाह |

एक दू आदमी कखनो ककिछु टोक दैत छलनि त ओ ओइ पर बाजलगैत छलाह |

एतेक सुंदर मैथिली आ अंग्रेजी हम एहिसँ पहिने नहि सुनने छलहुँ | हमरा नीक लगैत  छल |

थोड़े काल बाद एक आदमी उठलाह तहम ओतबैसि गेलहुँ |

एकटा ट्रेन एलै त और दू टा व्यक्ति चल गेलाह |

ओ हमरा दिस तकलनि |

‘विद्यार्थी, अहाँ हावड़ा चलब ?

‘हँ ’ हम कहलियनि |

‘ओतकोनो काज करै छी की ?

फेर वैह पुछलनि पहिले बेर जा रहल छी ?

‘हँ’  हम कहलियनि |

गप्प हुअलागल |

‘ओइ ठाम के रहैत छथि ?

पिसिऔत भाए छथि | और एकटा कुटुंब छथि |

‘भाइ साहेब कतरहै छथि ?

शाम बाजार लग |

‘की करै छथि ?

ट्यूशन करैत छलाह | एखन और किछु करैत छथि की नहि से नै बुझल अछि |

‘हुनका बूझल छनि जे अहाँ आबि रहल छी ?

एखन त नै कहने छियनि |

‘दोसर कुटुंब कतरहै छथि ?

हम हुनकर पता देखदेलियनि |

‘हुनको पता नै हेतनि जे अहाँ आबि रहल छी ?

हुनको नै कहने छियनि |

‘एखन अहाँ घूमजा रहल छी पाँच-दस दिन लेल कि और किछु उद्देश्य अछि ?

हम चाहै छी कोनो नोकरी अथवा ट्यूशन भेट जाए |

‘मैट्रिकमे कतेक प्राप्तांक छल ?

648

‘माने 72 % ?

हं |

‘साइंस सब्जेक्टमे ?

77 %

‘प्री-साइंसमे ?

सेकेंड डिवीज़न | 55 % |

‘बी एस सी पार्ट 1 मे की उमीद अछि ?

आशा अछि साठि प्रतिशतसँ उपर नंबर आबि जायत |

‘आगू पढ़बाक विचार नै अछि ?

बी एस सी (ए जी )मे नाम लिखा जाइत तखन पढ़ितहुँ  | मुदा साठि प्रतिशतसँ अधिक  अंक आएत तखने संभव अछि |

ओ अपन परिचय देलनि |

‘हम डिप्लोमा इन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग केने छी | एक सालसँ कलकत्तामे ट्यूशन करहल छी |

हम ट्यूशन एही लेल करहल छी जे अप्लाइ  करबालेल आ कतहु जेबा-एबाक लेल गार्जियनसँ मांगनै पड़य |

हमरा विचारसँ अहाँकें नीक होइत जे पोलिटेकनिकमे सिविल ब्रांचमे जाकएडमिशन ललितहुँ, बी.एस.सी. पार्ट 1 के रिजल्ट भेलापर

बी.एस.सी.(एजी)मे अप्लाइ  दितियै, गेला पर पालीटेकनिक छोड़ि  दितियै आ नै भेल त पोलीटेकनिक जारी रखितहुँ |

सिविलमे स्कोप छै |

 

हम दुविधामे पड़ि गेलहुँ |

ओ सुझाव देलनि जे अहाँ एकटा काज कसकैत छी |कलकत्ता विदा भगेल छी त चलू, किछु दिन घुमि-फिरि क सोचि लियजे अहाँ एतरहि सकै छी कि नै | अहाँ अपने निर्णय लेब त ठीक रहत |

हुनकर  ई बात हमरा बेसी नीक लागल |

 

हवड़ा जंक्शन पर उतरि ई बता देलनि जे अपेक्षित जगह पर पहुँचबाक लेल कोन बस कि ट्राम पकड़ब ठीक रहत | एहि संगे इहो कहलनि जे चारिम दिन रवि छै, हम दू बजे तक गिरीश पार्क  पहुँचब |अहाँ आबि सकी त ओहि दिन ओतआउ, अहाँक निर्णय सुनबामे नीक लागत | ओ इहो कहलनि जे जौं अहाँ इएह तय करब जे एतहि रहब त हम तत्काल एक-दूटा ट्यूशन पकड़यबामे मदति करबाक कोशिश करब |

 

जाहि दू गोटेक पता हमरा लग छल, हुनका लोकनिसँ भेंट भेल | हुनका सबहक आवास देखलाक बाद हमर दुविधा समाप्त भगेल |

 

हम रविदिन गिरीश पार्क पहुँचि हुनका अपन निर्णय कहलियनि जे हम तुरत गाम वापस जाएब, पोलिटेकनिकमे एडमिशन लेब, बी.एस.सी.पार्ट 1 के रिजल्ट निकललापर जौं हमरा एग्रीकल्चरमे एडमिशन भजाएत त  पोलिटेकनिक छोड़ि कएग्रीकल्चरमे एडमिशन ललेब |

ओ बहुत प्रसन्न भेलाह | गिरीश पार्क लग कोनो होटल रहै ओतदूटा रसगुल्ला आ एकटा समोसा खुआकहमरा विदा कदेलनि |हमरा पाइ नै देबदेलनि |कहलनि एखन अहाँ नै कमाइ छी, हम त कमाइ छी |......

( क्रमशः ) संपर्क  : 8789616115

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