Saturday, 28 January 2012

मुट्ठीमे भोर अछि

                                                  मुट्ठीमे भोर अछि
(गीत)

भरि  गाम  चोरे,  तऽ चोर कहू ककरा ।
कोतवालो सएह तखन सोर करू ककरा ।।

छोट माँछ, पैघ मांछ
आर बहुत पैघ माँछ
छोट जाल, महाजाल
आर महा - महाजाल
गुम्म छी  जे  बंसी आ बोर कहू ककरा
भरि  गाम  चोरे,  तऽ चोर कहू ककरा ।।


छोट   बाँस,  पैघ   बाँस
बीस   आ  उनैस   बाँस
लहकि रहल, महकि रहल
फूलि  रहल  साँस - साँस
सभ  लोक  पैघे  तऽ  थोड़ कहू ककरा
भरि  गाम  चोरे,  तऽ चोर कहू ककरा ।।


भेटि   गेल   कारा
ढेकार हम करैत छी
छी बिलाइ, मूस केर
शिकार हम करैत छी
सभ  मुँह  कारी  तऽ  गोर  कहू ककरा
भरि  गाम  चोरे,  तऽ चोर कहू ककरा ।।


जे भेलैक,  से भेलैक
आब  तेना  नै  हेतै
हाथ  हो  मशाल तऽ
अन्हार कोना  नै जेतै
मुट्ठीमे  भोर  अछि  खोलि  देखू तकरा
भरि  गाम  चोरे,  तऽ चोर कहू ककरा ।।





प्रकाशित : मैथिली पत्रिका देशज २००१ )





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