हमर
गामक चौक पर
(गजल)
चारि
टा दोकान चाहक, हमर गामक चौक पर ।
भीड़
भारी भेल लोकक, हमर गामक चौक पर ।।
की
मोहाली मे भेलै आ की श्रीलंका मे भेलै ।
लोक डम्फा लए नचैए, हमर गामक चौक पर ।।
हमर
गामक लोक केँ बुझल ने छै हालो अपन ।
टुटि
गेलए इसकूल गामक, हमर गामक चौक पर ।।
हमर
गामक लोक केँ की भऽ गेलै, सोचै छी हम ।
खुजि
गेलए दारूक भट्ठी, हमर गामक चौक पर ।।
चल
गेला बासुदेवजी, रामायणक पद बाँचि कऽ ।
आब
महाभारत मचैए, हमर गामक
चौक पर ।।
“मिथिला दर्शन” , सितम्बर – अक्टूबर २०११, वर्ष
५९, अंक ५, पृष्ठ ३९ पर प्रकाशित ।
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