डिबिया
(कविता)
बंगला
अछि
गाड़ी अछि
टी.
व्ही. अछि
फ्रीज़
अछि
कूलर अछि
फोन अछि
कतेक
धनीक छी हम सब,
जीबि नहि
सकैत छी
बिना
घूसक
क नहि
सकैत छी
बेटाक
बियाह
बिना
दहेजक
कतेक
गरीब छी हम सब !
( प्रकाशित : आरम्भ,
मैथिली पत्रिका, पटना, अंक २४ / जून २००० )
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