Saturday, 28 January 2012

डिबिया

                                        
डिबिया
(कविता)

बंगला अछि
गाड़ी अछि
टी. व्ही. अछि
फ्रीज़ अछि
कूलर अछि
फोन अछि
कतेक धनीक छी हम सब,

जीबि नहि सकैत छी
बिना घूसक
क नहि सकैत छी
बेटाक बियाह
बिना दहेजक
कतेक गरीब छी हम सब !



( प्रकाशित : आरम्भ, मैथिली पत्रिका, पटना, अंक २४ / जून २०००  )


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